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एफएसएल की वरिष्ठ वैज्ञानिक के खिलाफ आपराधिक मुकदमा दर्ज, एलजी के आदेश पर हुई कार्रवाई

आरोप लगाया गया है कि इमराना ने वरिष्ठ वैज्ञानिक (बायलॉजी) पद के लिए आवेदन के दौरान झूठी जानकारी दी थी। प्रकरण में शिकायत के बाद विभागीय जांच से लेकर सतर्कता विभाग ने जांच कर अपनी रिपोर्ट दी थी।

By JP YadavEdited By: Updated: Thu, 31 Dec 2020 11:59 AM (IST)
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अंतरिम रिपोर्ट मार्च 2016 में निदेशक को सौंपी।

नई दिल्ली [विनीत त्रिपाठी]। विधि विज्ञान प्रयोगशाला (एफएसएल) में वर्ष 2009 में हुई वरिष्ठ वैज्ञानिकों की भर्ती में हुई गड़बड़ी मामले में उप-राज्यपाल अनिल बैजल के आदेश पर पहली एफआइआर दर्ज हुई है। लंबे समय से विभिन्न स्तर पर हुई जांच के बाद वरिष्ठ वैज्ञानिक (बायलॉजी) इमराना के खिलाफ प्रशांत विहार थाने में आपराधिक मुकदमा दर्ज किया गया है। आरोप है कि इमराना ने वरिष्ठ वैज्ञानिक (बायलॉजी) पद के लिए आवेदन के दौरान झूठी जानकारी दी थी। प्रकरण में शिकायत के बाद विभागीय जांच से लेकर सतर्कता विभाग ने जांच कर अपनी रिपोर्ट दी थी। संघ लोक सेवा आयोग द्वारा वर्ष 2009 में की गई भर्ती के मामले में जनवरी 2015 में अधिवक्ता केहर सिंह ने गड़बड़ी की शिकायत की थी। उनकी शिकायत पर तत्कालीन एफएसएल निदेशक ने उप-निदेशक डॉ. मुदलिका शर्मा की अध्यक्षता में जांच समिति गठित की थी।

समिति ने मामले में विभागीय जांच कर अंतरिम रिपोर्ट मार्च 2016 में निदेशक को सौंपी। रिपोर्ट में बताया था कि प्रयोगशाला में वरिष्ठ वैज्ञानिक पद पर हुई भर्ती में कई प्रतिभागियों अनुभव प्रमाण पत्र के संबंध में झूठी जानकारी दी है। बाद में इस मामले की दिल्ली सरकार ने सतर्कता विभाग से जांच कराई थी। विभिन्न स्तर पर हुई प्राथमिक जांच के बाद हाल ही में उप-राज्यपाल अनिल बैजल ने वरिष्ठ वैज्ञानिक इमराना के खिलाफ आपराधिक मुकदमा दर्ज कराने का आदेश दिया था।

मिली जानकारी के अनुसार वरिष्ठ वैज्ञानिक इमराना ने भर्ती के दौरान अनुभव प्रमाणपत्र के तौर पर दस्तावेज दिए थे। उन्होंने दावा किया था कि पांच जून 2005 से 10 जून 2008 तक उन्होंने परफेक्ट एनालिटिकल लैब में कार्य किया है। हालांकि, जांच में मौके पर ऐसी कोई लैब नहीं मिली। वहां पर एक हाउ¨सग सोसाइटी मिली। सोसाइटी अध्यक्ष टीवी दिनेश और मैनेजर तैयब हुसैन ने बयान दिया था कि वहां कभी कोई परफेक्ट लैब थी ही नहीं।

कई अन्य के खिलाफ भी चल रही है जांच

इस मामले में कुछ अन्य वरिष्ठ वैज्ञानिकों के खिलाफ भी जांच चल रही है। इन सभी के मामले में प्राथमिक जांच पूरी होने के बाद ही आगे की कार्रवाई की जाएगी। जांच में कुछ गड़बड़ी होने की स्थिति में उनके खिलाफ भी रिपोर्ट दर्ज कराई जाएगी या फिर उन्हें क्लीनचिट दी जाएगी।

वरिष्ठ वैज्ञानिक पद पर भर्ती प्रक्रिया 2009 में हुई थी और प्राथमिक जांच में पता चला है कि भर्ती के दौरान दाखिल किए गए दस्तावेज में गलत जानकारी दी गई है। ऐसे में उच्चाधिकारियों की राय थी कि मामले में रिपोर्ट दर्ज करा कर निष्पक्ष जांच कराई जाए। ऐसे में प्रशांत विहार थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई गई है। मामले में निष्पक्ष जांच के बाद उचित निर्णय लिया जाएगा। -दीपा वर्मा, निदेशक, एफएसएल 

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