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एम्स के डॉ. पुनीत मिश्र बोले- कोरोना वायरस का टीका असुरक्षित होता तो एम्स के वरिष्ठ डॉक्टर क्यों लगवाते

Coronavirus Vaccination In Delhi नीति आयोग के सदस्य डॉ. वीके पॉल एम्स निदेशक डॉ. रणदीप गुलेरिया देश के ख्याति प्राप्त डाक्टर हैं। उनके साथ-साथ एम्स के कई वरिष्ठ डॉक्टरों ने टीका लगवाया है। क्या इतने बड़े डॉक्टर किसे ऐसे टीके को लेंगे जो पूरी तरह सुरक्षित न हो।

By JP YadavEdited By: Updated: Mon, 18 Jan 2021 08:09 AM (IST)
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टीका लगने के बाद कुछ लोगों को बुखार, दर्द, थकान, घबराहट इत्यादि की थोड़ी समस्या हो सकती है।
नई दिल्ली। कोरोना का संक्रमण हाल के दिनों में कम हुआ है। इसके बावजूद अब भी कोरोना से मौत हो रहीं हैं। टीकाकरण का अभियान भी शुरू हो गया है। इस बीच टीके को लेकर तरह-तरह के सवाल भी उठाए जा रहे हैं। शुरुआती चरण में स्वास्थ्यकर्मियों को टीका लगाया जा रहा है। दबी जुबान से कुछ डॉक्टर व स्वास्थ्य कर्मी भी टीके को लेकर सवाल उठा रहे हैं। इसके मद्देनजर टीके के ट्रायल का हिस्सा रहे एम्स में कम्युनिटी मेडिसिन विभाग के प्रोफेसर डॉ. पुनीत मिश्र से रणविजय सिंह ने बातचीत की। उन्होंने टीकाकरण के पहले दिन एम्स में खुद भी टीका लगवाया। पेश हैं उनसे बातचीत के प्रमुख अंश:

 टीका लगने के बाद आपको किसी तरह की कोई परेशानी महसूस हुई?

-16 जनवरी को सुबह करीब 11:30 बजे टीका लगा था। एक दिन बाद भी कोई परेशानी नहीं है। बिल्कुल ठीक और स्वस्थ हूं।

 टीकाकरण के पहले दिन 52 लोगों में हल्का दुष्प्रभाव देखा गया। इस पर आप क्या कहेंगे?

-पहले से ही बताया जा रहा है कि टीका लगने के बाद कुछ लोगों को बुखार, दर्द, थकान, घबराहट इत्यादि की थोड़ी समस्या हो सकती है। ऐसे में कुछ स्वास्थ्य कर्मियों में हल्के दुष्प्रभाव की बात समाने आना अप्रत्याशित नहीं है। ऐसा सभी टीकों के साथ होता है। इससे बिल्कुल घबराने की बात नहीं है।

 टीके को लेकर कुछ डॉक्टरों में भी थोड़ी आशंका है कि यह कितना प्रभावी होगा, खास तौर पर कोवैक्सीन को लेकर सवाल अधिक उठाए जा रहे हैं?

-मैंने कोवैक्सीन ही लिया है। दोनों टीके सुरक्षित हैं। दोनों टीकों से अच्छी प्रतिरोधक क्षमता विकसित हो रही है। लोगों में सही जानकारी की कमी है, इसलिए अफवाहें फैल रही हैं। ऐसे में मीडिया की जिम्मेदारी अहम है कि लोगों तक सही जानकारी पहुंचाए। विशेषज्ञों की राय लोगों के सामने रखे, ताकि उनका भ्रम दूर हो। दूसरी बात यह है कि नीति आयोग के सदस्य डॉ. वीके पॉल, एम्स निदेशक डॉ. रणदीप गुलेरिया देश के ख्याति प्राप्त डाक्टर हैं। उनके साथ-साथ एम्स के कई वरिष्ठ डॉक्टरों ने टीका लगवाया है। क्या इतने बड़े डॉक्टर किसे ऐसे टीके को लेंगे जो पूरी तरह सुरक्षित न हो। हम हमेशा से कहते थे कि कोरोना का टीका सुरक्षित है। लोगों को लगता था कि बोलने में क्या है, कुछ भी बोल दीजिए। लेकिन प्रत्यक्ष को प्रमाण की क्या आवश्यकता। यदि हमने टीके को सुरक्षित बताया तो आगे बढ़कर टीका लिया भी, इसलिए लोग किसी भ्रम में न पड़ें और विशेषज्ञों पर भरोसा करें। महामारी से निपटने में टीकाकरण अभियान में सहयोग करें। जहां पर जो टीका उपलब्ध कराया गया है, उसे बारी आने पर जरूर लगवाएं।

 यह बात भी उठ रही है कि कोरोना से 98 फीसद से ज्यादा मरीज ठीक हो जाते हैं और टीका 60-70 फीसद ही प्रभावी है तो फिर टीका क्यों लगवाएं?

-टीका व्यक्ति को बीमारी होने से बचाने में कारगर है। टीका लगने के बाद यदि किसी को संक्रमण होता भी है तो गंभीर बीमारी नहीं होगी। जबकि टीका नहीं लेने पर कोरोना का संक्रमण होने पर बीमारी हो सकती है। ऐसी स्थिति में मरीज पूरी तरह ठीक हो सकते हैं या ठीक होने के बाद भी कई तरह की परेशानियां (पोस्ट कोविड सिंड्रोम) हो सकती हैं। बीमारी गंभीर होने पर मौत भी हो सकती है, इसलिए मौत को कम करने के लिए भी टीका लगवाना जरूरी है।

क्या टीकाकरण के बाद कोरोना के कारण लोगों के दैनिक जीवन में आया बदलाव सामान्य हो जाएगा?

कई अस्पतालों में अब भी संक्रमण के डर के कारण मरीज ज्यादा नहीं देखे जा रहे हैं। टीका लगने से डॉक्टर निडर होकर मरीजों का इलाज कर सकेंगे और अस्पतालों में चिकित्सा सुविधाएं सामान्य हो पाएंगी। अन्य क्षेत्रों में भी लोग बेखौफ होकर काम नहीं कर पा रहे हैं, इसलिए जरूरी है कि सभी लोग सही जानकारी लेकर टीका लगवाएं। इससे रोजमर्रा के कामकाज को आगे बढ़ाने और देश को सामान्य स्थिति व प्रगति की तरफ लेकर जाने में मदद मिलेगी। इस महामारी को खत्म करने का सबसे प्रभावी उपाय टीकाकरण ही है।

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