Delhi MCD: सियासी खींचतान के बीच भाजपा का बड़ा फैसला, माफ नहीं होगा सिविक सेंटर का किराया
स्थायी समिति अध्यक्ष छैल बिहारी गोस्वामी ने बजट को लेकर विशेष बैठक वर्ष 2021-22 के लिए प्रस्तावित बजट अनुमान पेश करते हुए निगमायुक्त का प्रस्ताव निरस्त कर दिया है। आठ दिसंबर को निगमायुक्त ने किराया माफ कर उस मद में बकाया शून्य कर दिया था।
By Mangal YadavEdited By: Updated: Sat, 23 Jan 2021 09:02 AM (IST)
नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। सिविक सेंटर के किराये को लेकर निगम की सत्तारुढ़ भाजपा और विपक्षी आम आदमी पार्टी (आप) की चल रही सियासी खींचतान के बीच भाजपा ने बड़ा फैसला लिया है। निगम दक्षिणी निगम पर सिविक सेंटर का किराया माफ नहीं करेगा। इसको लेकर स्थायी समिति अध्यक्ष छैल बिहारी गोस्वामी ने बजट को लेकर विशेष बैठक वर्ष 2021-22 के लिए प्रस्तावित बजट अनुमान पेश करते हुए निगमायुक्त का प्रस्ताव निरस्त कर दिया है। आठ दिसंबर को बजट में निगमायुक्त ने किराया माफ कर उस मद में बकाया शून्य कर दिया था। जबकि स्थायी समिति ने उस प्रस्ताव को निरस्त करते हुए 324 करोड़ रुपये लेने का प्रस्ताव किया है। यानि उत्तरी निगम अब बकाये के समेत 324 करोड़ रुपये प्रतिवर्ष के हिसाब से दक्षिणी निगम से किराया वसूल करेगा।
स्थायी समिति के अध्यक्ष छैल बिहारी गोस्वामी ने कहा कि सिविक सेंटर से किराया माफ करने के प्रस्ताव बीते वर्षों में भी निगमायुक्त लेकर आते रहे हैं, स्थायी समिति और सदन ने उन प्रस्तावों को खारिज किया है। गोस्वामी ने कहा कि जो भी किराया दक्षिणी निगम पर बनता हैं वह लिया जाएगा। उन्होंने यह भी कहा कि आप के झूठे आरोपों को लेकर उन्होंने न्यायालय में भी मानहानि का मुकदमा किया है।
उल्लेखनीय है कि वर्ष 2012 में एकीकृत निगम के तीन हिस्से हो गए थे। इसमें पूर्वी निगम को मुख्यालय पटपड़गंज औद्योगिक क्षेत्र में मिल गया था। वहीं, उत्तरी और दक्षिणी निगम का मुख्यालय सिविक सेंटर में चलता है। दक्षिणी निगम जब तक इस कार्यालय में रहेगा तब तक कि उसका खुद का मुख्यालय तैयार नहीं हो जाता। वर्ष 2017 से लेकर वर्ष 2020 तक यह किराया बकाये के रुप में 2477 करोड़ तक जा पहुंचा है।
आप ने लगाया था घोटाले का आरोप आठ दिसंबर को निगमायुक्त के बजट प्रस्ताव में सिविक सेंटर से किराये मद में शून्य किए जाने से आप ने घोटाले का आरोप लगाया था। आप का कहना था कि एक ओर उत्तरी निगम के पास कर्मचारियों के पास वेतन देने को पैसे नहीं हैं ऊपर से किराया माफ कर कर्मचारियों का हक मारा जा रहा है।
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