Narendra Chanchal Death: सो गया जगराते गाने वाला आवाज का जादूगर 'चंचल'
चंचल से 35 साल से जुड़े पवन चड्ढा ने बताया कि उन्होंने गीत-संगीत की शिक्षा नहीं ली थी। उनकी मां भी भजन-कीर्तन गाती थीं। बस उन्होंने मां को ही गुरु मानकर अपना सफर शुरू किया और जिंदगी भर मां आदिशक्ति के लिए गाते रहे।
By Vinay Kumar TiwariEdited By: Updated: Sat, 23 Jan 2021 12:19 PM (IST)
अरविंद कुमार द्विवेदी, दक्षिणी दिल्ली। ‘चलो बुलावा आया है, माता ने बुलाया है.. मां वैष्णो देवी की चढ़ाई हो या बड़े-बड़े मंदिर, या फिर गली मोहल्ले का जगराता, मशहूर गायक नरेंद्र चंचल के गाए इस भजन के बिना पूरा कार्यक्रम अधूरा लगता है। जगरातों में ओ जंगल के राजा, मेरी मैया को लेके आजा..गीत बजते ही भक्त जोश से भर जाते हैं। नरेंद्र चंचल अन्य लेखकों की लिखी भेंट (भजन) तो गाते ही थे, वह खुद भी भेंट लिखते थे।
चंचल से 35 साल से जुड़े रहे और उनके ज्यादातर कार्यक्रमों में साथ रहने वाले पवन चड्ढा ने बताया कि उन्होंने गीत-संगीत की शिक्षा नहीं ली थी। उनकी मां भी भजन-कीर्तन गाती थीं। बस उन्होंने मां को ही गुरु मानकर अपना सफर शुरू किया और जिंदगी भर मां आदिशक्ति के लिए गाते रहे।
चंचल ने अपने एक इंटरव्यू में कहा था कि चलो बुलावा आया है.. मां के भक्तों के लिए राष्ट्रगान की तरह है। उन्होंने कुछ फिल्मों में गीत गाए, लेकिन वहां उनका मन नहीं लगा। कुछ ही समय बाद उन्होंने तय कर लिया कि आगे वे मां के लिए ही गाएंगे। चंचल से करीब 40 साल से जुड़े सुदर्शन लूथरा ने बताया कि उनके एक मित्र वर्ष-1980 में वीडियो रिकॉर्डर लाए थे।
करोल बाग में चंचल जी का कार्यक्रम था। उसकी रिकॉर्डिंग के लिए उन्होंने उनसे संपर्क किया था। भारत में वीडियो रिकॉर्ड किया गया यह उनका पहला कार्यक्रम था। इसके बाद सुदर्शन द्वारा आयोजित 40 जगरातों में से 30 में तो नरेंद्र चंचल ने ही मां के गीत गाए। उन्होंने बताया कि कई साल पहले जोशजी चंचल के लिए भेंट लिखा करते थे।
जब उनका निधन हुआ था तब चंचल फूट-फूटकर रोए थे। हिंदी व पंजाबी में गाने वाले नरेंद्र चंचल से लंबे समय से जुड़े भजन लेखक अनिल कात्याल ने बताया कि उन्होंने उनके लिए 24 भेंट लिखी थीं।
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