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फर्स्ट और सेंकेंड ईयर के छात्र क्या आ सकेंगे कॉलेज, पढ़िये- डीयू के वीसी का एक्सक्लूसिव इंटरव्यू

अंतिम वर्ष के छात्रों को सिर्फ प्रायोगिक कार्य के लिए परिसर में प्रवेश की इजाजत दी गई है। कॉलेजों से कहा गया है कि सीमित संख्या में प्रयोगशाला में छात्रों को प्रवेश दें। थ्योरी तो ऑनलाइन पढ़ाई जा सकती है लेकिन प्रायोगिक कार्यों के लिए तो प्रयोगशाला जरूरी है।

By JP YadavEdited By: Updated: Mon, 25 Jan 2021 09:04 AM (IST)
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कोरोना संक्रमण की स्थिति के आधार पर आगे इसे लेकर निर्णय लिया जाएगा।
नई दिल्ली।  करीब दस माह बाद दिल्ली विश्वविद्यालय अंतिम वर्ष के छात्रों को परिसर में प्रवेश की इजाजत देगा। फिलहाल प्रायोगिक कार्यों के लिए सीमित छात्रों को परिसर में दाखिले की अनुमति होगी। हालांकि, छात्र संगठनों की तरफ से डीयू को सभी के लिए खोलने की मांग की जा रही है। डीयू में छात्रों के प्रवेश समेत विभिन्न मसलों पर कार्यवाहक कुलपति प्रो. पीसी जोशी से संजीव कुमार मिश्र ने बातचीत की है। प्रस्तुत हैं बातचीत के प्रमुख अंश :

दस माह के बाद अंतिम वर्ष के छात्र परिसर में प्रवेश करेंगे। प्रथम व द्वितीय वर्ष के छात्रों के लिए कॉलेज कब खुलेगा?

अंतिम वर्ष के छात्रों को सिर्फ प्रायोगिक कार्य के लिए परिसर में प्रवेश की इजाजत दी गई है। कॉलेजों से कहा गया है कि सीमित संख्या में प्रयोगशाला में छात्रों को प्रवेश दें। थ्योरी तो ऑनलाइन पढ़ाई जा सकती है, लेकिन प्रायोगिक कार्यों के लिए तो प्रयोगशाला जरूरी है। यह भी पूरी तरह एच्छिक है। छात्रों पर आने के लिए किसी तरह का दबाव नहीं होगा। परिसर में फिलहाल सभी छात्रों को प्रवेश की अनुमति नहीं दी जाएगी। कोरोना संक्रमण की स्थिति के आधार पर आगे इसे लेकर निर्णय लिया जाएगा।

हाल के वर्षों में शोध क्षेत्र काफी प्रभावित हुआ है। इसे आगे ले जाने के लिए डीयू क्या कर रहा है?

विगत छह माह में कई ठोस कदम उठाए गए हैं। पहली बार डीयू संयुक्त शोध की तरफ बढ़ा है। कॉलेजों में शोध में माहिर शिक्षक हैं, उन्हें पहली बार अपने विभागों के साथ मिलकर शोध करने का अवसर मिलेगा। कॉलेजों को शोध के लिए दिया जाने वाला अनुदान दोबारा शुरू किया गया है। इसके लिए विद्या विस्तार योजना लागू की गई है, जिसके तहत कॉलेजों को दूर दराज इलाकों के कॉलेजों व विभागों से जुड़ने का मौका मिलेगा।

कोरोना काल में पहली बार डीयू में परीक्षा व पढ़ाई दोनों ही आनलाइन संचालित हुई। किस तरह का अनुभव रहा।

कोविड-19 की वजह से मार्च में लॉकडाउन लगा। सेमेस्टर के बीच में लॉकडाउन लगने से व्यवस्थाएं प्रभावित हुई। डीयू को तुरंत आनलाइन प्लेटफार्म पर शिफ्ट किया गया। आंतरिक मूल्यांकन और परीक्षाएं ऑनलाइन संचालित की गई। 2.9 लाख छात्र गत वर्ष अगस्त में आयोजित ओपन बुक परीक्षा में बैठे थे। पहली और दूसरी ओबीई में कई चुनौतियां आईं, लेकिन काफी कुछ सीखने को भी मिला। इसके बाद दिसंबर में आयोजित ओबीई में सौ प्रतिशत छात्रों की भागीदारी हुई। दाखिला भी पहली बार पूरी तरह ऑनलाइन हुआ। ऑनलाइन पढ़ाई के लिए वन-डीयू प्रोग्राम शुरू किया गया। यह एक अनूठा प्रयास था जहां छात्रों को ऑनलाइन पाठ्यक्रम उपलब्ध कराया गया। अब तो डीयू डिजिटल डिग्री और प्रोविजनल सर्टिफिकेट भी आनलाइन मुहैया करा रहा हैं। अब तक 19, 281 डिजिटल डिग्री और 3885 प्रोविजिनल सर्टिफिकेट जारी किए जा चुके हैं। 1.2 लाख डिजिटल डिग्री जारी करने की प्रक्रिया चल रही है।

विश्व रैंकिंग में डीयू शीर्ष 500 में भी जगह नहीं बना पाया। रैंकिंग सुधारने के लिए क्या कदम उठा रहे हैं।

विश्व शैक्षणिक संस्थान की रैंकिंग 510 थी। डीयू मिशन 500 और मिशन 300 पर तेजी से काम कर रहा है। मिशन 500 के तहत विश्व रैंकिंग सुधारना है। इसके लिए ना केवल शोध पर ध्यान दिया जा रहा है बल्कि प्रमोशन, पूर्व छात्रों की मदद भी ली जा रही है। डीयू ने विगत छह माह में ही 200 शोध आवेदन स्वीकृत किए हैं। इसके लिए 5.5 करोड़ की धनराशि आवंटित की गई। मिशन 300 के तहत पूर्व छात्रों सहित अन्य मददगारों की सहायता से 300 करोड़ रुपये का एक फंड जुटाया जा रहा है। वैश्विक छवि भी सुधारने की कोशिश की जा रही है। इंस्टीट्यूट आफ इमीनेंस संस्थानों में डीयू का नाम है। डीयू को विदेश में कैंपस खोलने की इजाजत मिली है। इसके लिए एक टीम गठित की जाएगी जो कार्ययोजना बनाएगी।

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