26 जनवरी की हिंसा के बाद दिल्ली-एनसीआर में बदले हालात, कई जगह शुरू हुआ धरने का विरोध
Delhi Farmers Protest कुंडली बॉर्डर पर बृहस्पतिवार को दर्जनभर गांवों के लोगों ने बैठकर हाईवे पर लगे किसानों के तंबू को उखाड़ने का फैसला किया है। शुक्रवार को आसपास के 40 गांवों की महापंचायत बुलाई गई है जिसमें धरनास्थल खाली कराने का निर्णय लिया जाएगा।
नई दिल्ली, जागरण टीम। गणतंत्र दिवस पर उपद्रव और हिंसा के कारण किसान आंदोलन ने आम लोगों की हमदर्दी गंवा दी है। कुछ दिन पहले तक धरने पर बैठे किसानों की मदद में बढ़ रहे हाथ लोगों ने पीछे खींच लिए हैं। आंदोलन का प्रतीक बन गए कुंडली बार्डर, टीकरी बॉर्डर और यूपी गेट पर धरने के खिलाफ आसपास के लोग सड़क पर उतर आए हैं। कुंडली बॉर्डर पर बृहस्पतिवार को दर्जनभर गांवों के लोगों ने बैठकर हाईवे पर लगे किसानों के तंबू को उखाड़ने का फैसला किया है। शुक्रवार को आसपास के 40 गांवों की महापंचायत बुलाई गई है, जिसमें धरनास्थल खाली कराने का निर्णय लिया जाएगा।
दहिया खाप के बाद गठवाला खाप ने भी इस मुद्दे को लेकर जल्द ही सर्वखाप की पंचायत बुलाने का एलान कर दिया है, जिसमें आंदोलन को लेकर अंतिम फैसला किया जाएगा। खाप के राष्ट्रीय महासचिव अशोक मदीना ने कहा कि गठवाला खाप हिंसा और उपद्रव के साथ नहीं है। तिरंगा देश का गौरव है। तिरंगे की जगह कोई दूसरा झंडा नहीं ले सकता है। नरवाल खाप ने भी स्पष्ट किया कि तिरंगे के बराबर अन्य झंडे को फहराने को किसी कीमत पर बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
शाहजहांपुर बार्डर पर बैठे किसानों को स्थानीय लोगों की चेतावनी
हरियाणा और राजस्थान सीमा पर स्थित शाहजहांपुर-जयसिंहपुर खेड़ा बॉर्डर पर दिल्ली-जयपुर राजमार्ग के बीच बैठे आंदोलनकारियों का भी विरोध शुरू हो गया है। गुरुवार को रेवाड़ी और अलवर जिले के कई गांवों के लोगों ने पंचायत के बाद आंदोलन कर रहे लोगों को 24 घंटे में हाईवे खाली करने की चेतावनी दी।
बता दें कि पिछले महीने 13 दिसंबर से ही किसानों के धरना-प्रदर्शन के कारण परेशानी झेल रहे लोगों के गुस्से को देखते हुए पुलिस टकराव की आशंका से चिंतित है। गुरुवार को यहां दिन भर तनातनी बनी रही। कई दौर की बातचीत बेनतीजा रही। अगर शुक्रवार को धरने पर मौजूद किसान नहीं उठते हैं तो टकराव संभव है।
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