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दिल्ली के तीनों नगर निगम एक हुए तो होगी तकरीबन 1000 करोड़ रुपये की बचत

रिपोर्ट में बताया गया है कि इससे कर्मचारियों के वेतन और पेंशन के मुद्दे का भी समाधान हो जाएगा। रिपोर्ट में यह भी सुझाव दिया गया है कि तीनों निगम की जो भी आय होगी उसे 116 के अनुपात में तीनों निगम में वितरित किया जाएगा।

By JP YadavEdited By: Updated: Sat, 30 Jan 2021 11:56 AM (IST)
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तीनों निगम में कई ऐसे विभाग हैं तो अलग-अलग न करके एक ही तरह से काम करते हैं।

नई दिल्ली [निहाल सिंह]। खराब आर्थिक हालत से राजधानी दिल्ली के तीनों नगर निगम गुजर रहे हैं। आलम यह है कि कर्मचारियों का पांच से छह माह देरी से वेतन मिलता है। इतना ही नहीं पेंशन के लिए आठ-आठ माह का समय लग जाता है। ऐसे में इस बदहाल व्यवस्था को दूर करने के लिए कन्फेडेरेशन ऑफ एमसीडी एम्पलाइज यूनियंस ने एक रिपोर्ट तैयार कर तीनों निगम का वित्त विभाग एक करने का सुझाव देते हुए निगम की आर्थिक स्थिति को सुधारने के लिए विस्तृत रिपोर्ट तैयार की है। अगर, उपराज्यपाल इस सुझाव को मान लें तो एक आदेश से तीनों निगम की न केवल आर्थिक बदहाली दूर हो जाएगी बल्कि पांच-पांच सौ करोड़ रुपये की बचत भी होगी। रिपोर्ट के अनुसार तीनों निगम के वित्त विभाग को एक करने से निगम के खर्चे भी कम होंगे साथ ही विकास कार्यों को भी गति मिल सकेगी। रिपोर्ट में बताया गया है कि इससे कर्मचारियों के वेतन और पेंशन के मुद्दे का भी समाधान हो जाएगा। रिपोर्ट में यह भी सुझाव दिया गया है कि तीनों निगम की जो भी आय होगी उसे 1:1:6 के अनुपात में तीनों निगम में वितरित किया जाएगा।

ऐसे होगा समस्या का समाधान

उत्तरी निगम के पास इस समय कर्मचारियों के वेतन और पेंशन बकाया के साथ लोन के साथ कर्मचारियों के एरियर का करीब 8750 करोड़ रुपये की देनदारी है। ऐसे में तीनों निगम की आंतरिक आय और दिल्ली सरकार से मिलने वाले अनुदान को समाहित कर दिया जाए तो 10 हजार 48 करोड़ बैठता है। अगर, 8750 रुपये का भुगदान भी कर दिया जाए तो उत्तरी और दक्षिणी निगम को विकास कार्य के लिए 467-467 करोड़ रुपये मिलेंगे। वहीं पूर्वी निगम को 282 करोड़ रुपये मिलेंगे।

तीनों निगम के कई विभाग जो एक की तरह करते हैं काम

तीनों निगम में कई ऐसे विभाग हैं तो अलग-अलग न करके एक ही तरह से काम करते हैं। इसमें सबसे पहले टोल टैक्स हैं। तीनों निगमों के क्षेत्राधिकार में करीब 126 टोल नाके हैं। इन टोल नाकों से टोल वसूली के लिए दक्षिणी निगम टेंडर करता है। जो कंपनी टेंडर लेती है उसका भुगतान दक्षिणी निगम को कर दिया जाता है। फिर दक्षिणी निगम 1:1:6 के अनुपात में राशि को तीनों निगमों में बांट देता है। इसी तरह बहुत समय तक प्रेस एवं सूचना विभाग ने एक साथ कार्य किया है। वहीं, शिक्षकों की भर्ती की प्रक्रिया भी दक्षिणी निगम तीनों निगमों के लिए करता है। कन्फेडेरेशन का कहना कि उपराज्यपाल, निदेशक स्थानीय निकाय को आदेश देकर तीनों निगम का वित्त विभाग एक करा सकते हैं। इसके लिए विधानसभा या लोकसभा से निगम एक्ट में बदलाव करने की जरुरत नहीं है।

निगम की सुधरेगी छवि

रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि वर्तमान में निगमों की खराब आर्थिक स्थिति से निगमों की परियोजनाओं को लेने के लिए लोग तैयार नहीं हो रहे हैं। ऐसे में अगर निगम अपनी आर्थिक स्थिति ठीक कर देगा तो निगम की परियोजनाओं पर लोग पैसा लगाने के लिए तैयार हो जाएंगे। उत्तरी निगम की बात करें तो मिंटो रोड, आजादपुर, बंग्लो रोड पुर्नविकास जैसी करीब 20 परियोजनाएं इस वजह से रुकी हुई हैं, जबकि करीब 18 हजार करोड़ रुपये की आय ही उत्तरी निगम को हो जाएगी।

यह भी हैं सुझाव

  • तीनों निगमों के लिए एक चीफ अकाउंटेंड कम वित्तीय सलाहकार की नियुक्ति हो। इसका एक पूरा स्टॉफ हो।
  • वित्त विभाग के अलावा निगम की वर्तमान व्यवस्था में कोई और बदलाव नहीं होगा
  • बजट से संबंधित सारी प्रक्रियाएं वर्तमान स्थिति की तरह कार्य करती रहेगी 

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