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हफ्तेभर में बिक गया 3000 लीटर गोबर पेंट, दिल्ली के खादी भवन में बढ़ी मांग; कीमत मात्र इतनी

Gobar Paint खादी इंडिया के दिल्ली के असिस्टेंट डायरेक्टर हितेंद्र हुड्डा ने बताया कि दिल्ली में गोबर पेंट की अच्छी मांग है। लोग इसे लेकर जा रहे हैं। यह एंटी वैक्टीरियल और प्राकृतिक पेंट है। गोबर में पेंट की मात्र तय करना चुनौती।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Updated: Wed, 03 Feb 2021 09:53 AM (IST)
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दिनभर में तैयार पेंटों की पैकिंग। सौ: मुहम्मद खान

रुमनी घोष। मकर संक्राति के दिन सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योग मंत्री नितिन गडकरी ने गोबर का पेंट लांच किया था। खादी ग्रामोद्योग के अधीन काम करने वाले कुमारप्पा हैंडमेड पेपर इंस्टीट्यूट ने डेढ़ साल की मेहनत के बाद इसे तैयार किया। अब इसके परिणाम सामने आने लगे हैं। खादी भवन के अधिकारियों के अनुसार बाजार में इसकी मांग बढ़ गई है। यही नहीं जयपुर में प्रशिक्षण भी शुरू हो गया। लगभग 70 लोगों को प्रशिक्षित किया जा चुका है। पेंट तैयार करने की विधि से लेकर प्रशिक्षण तक की प्रक्रिया पर रिपोर्ट:

पेंट बनाने की प्रक्रिया: खदानों में मिलने वाले खनिजों का ही इस्तेमाल : पेंट बनाने के लिए गीले गोबर में खनिज का ही उपयोग किया। जैसे चूना, खरिया, डोलोमाइट और टेटेनियम के साथ गोबर मिलाकर प्रोसेस किया गया। डिस्टेंपर और इम्युलशन बनाने के लिए गोबर की अलग-अलग मात्र इस्तेमाल की गई। यानि पूरी तरह से प्राकृतिक पेंट।

पेंट का बेस रंग सफेद है: गोबर पेंट का बेस कलर सफेद है। गीले गोबर को ब्लीच और प्रोसेस कर इसे सफेद रंग का बनाया गया। इसमें कोई भी रंग मिलाया जा सकता है।

गांव से शहर तक पहुंचा: गांव में तो गोबर से लिपे घर-आंगन आम है लेकिन अब देश की राजधानी दिल्ली सहित कई बड़े शहरों में भी ऐसे ही घर दिखेंगे। इन घरों पर गोबर पेंट लगा होगा। दरअसल खादी ग्रामोद्योग द्वारा तैयार किए गए गोबर पेंट की काफी मांग है। दिल्ली के खादी भवन में ही बीते एक सप्ताह में 3000 लीटर पेंट की मांग आई है।

डेढ़ साल पहले शुरू किया था शोध: गोबर पेंट का उत्पादन जयपुर स्थित कुमारप्पा हैंडमेड पेपर इंस्टीट्यूट द्वारा किया गया है। लगभग डेढ़ साल के शोध के बाद यह पेंट तैयार किया गया। गोबर पेंट बनाने की तकनीक विकसित करने वाले विज्ञानी मुहम्मद ईसा खान का कहना है, हम गोबर से कई उत्पाद बनाते रहे हैं। इससे पहले गोबर से हैंडमेड पेपर तैयार किया था। जब केंद्रीय मंत्री गिरीराज ने पेंट बनाने का सुझाव दिया तो हमने इस पर काम शुरू किया।

10 लाख रुपये और 100 गज जमीन चाहिए: शोध को बाजार दिलाने के लिए हैंडमेड पेपर इंस्टीट्यूट ने पेंट बनाने का प्रशिक्षण देना भी शुरू कर दिया है। एक्जीक्यूटिव डायरेक्टर बालेश्वर प्रसाद बताते हैं, हमने शोध किया और अब प्रशिक्षण देकर आंत्रप्रेन्योर तैयार कर रहे हैं। अब तक तीन बैच निकल चुके हैं। दिल्ली, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, गुजरात, आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र, सहित देश के अलग-अलग हिस्सों से अब तक 70 लोगों को प्रशिक्षित किया जा चुका है। पांच दिन के प्रशिक्षण की फीस 5000 रुपये है। तीन बैच निकल चुके हैं।

दावा इसलिए है बेहतर

सस्ता: 120 रुपये लीटर डिस्टेंपर और 215 रुपये लीटर इम्युलसन गोबर पेंट की कीमत रखी गई है। जबकि बाजार में उपलब्ध नामी कंपनियों के पेंट की कीमत 450 रुपये लीटर के आसपास है।

गंधहीन: बाजार में उपलब्ध अन्य पेंट में एक गंध है जो काफी दिनों तक बनी रहती है। गोबर पेंट गंधहीन है। लगाने के तुरंत बाद ही कमरे में आसानी से रहा जा सकता है।

दावा: कोई भी हानिकारक धातू नहीं है गोबर पेंट में

दावा है कि गोबर से बने इस पेंट में लेड, मरकरी, कैडमियम, क्रोमियम जैसी हानिकारक धातुएं नहीं हैं।

परीक्षण: दिल्ली, मुंबई और गाजियाबाद में हुआ परीक्षण

इनका परीक्षण नेशनल टेस्ट हाउस मुंबई और गाजियाबाद एवं श्री राम इंस्ट्टियूट फॉर इंडस्टियल रिसर्च, नई दिल्ली में किया गया है।

नतीजा: चार घंटे में ही सूख जाता है दीवार पर लगा पेंट

दीवार पर पेंट करने के बाद यह सिर्फ चार घंटे में सूख जाएगा। इस पेंट में आप अपनी जरूरत के हिसाब से रंग भी मिला सकते हैं।

उपलब्धता: 2 से 30 लीटर का पैक

संस्था के विज्ञानी मुहम्मद ईसा खान बताते हैं, गोबर में पेंट की मात्र तय करना ही सबसे बड़ी चुनौती का काम था। गोबर के अलावा पेंट में जिन चीजों का उपयोग करना था वह भी प्राकृतिक होना चाहिए था। शोध के दौरान अलग-अलग चीजों को मिलाकर प्रयोगशाला में परीक्षण करते रहे।

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