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आतंकियों से जुड़ी संस्था से फंड लेने का दो चाइल्ड केयर होम पर लगा आरोप, एफआइआर दर्ज

राजधानी के दो चाइल्ड केयर होम पर आतंकियों से जुड़ी संस्था से फंड लेने के आरोप लगे हैं। राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) की शिकायत पर महरौली थाना पुलिस ने दोनों शेल्टर होम के प्रबंधन के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया है।

By Prateek KumarEdited By: Updated: Sat, 06 Feb 2021 07:10 AM (IST)
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राजधानी के दो चाइल्ड केयर होम पर आतंकियों से जुड़ी संस्था से फंड लेने के आरोप लगे हैं।

नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। राजधानी के दो चाइल्ड केयर होम पर आतंकियों से जुड़ी संस्था से फंड लेने के आरोप लगे हैं। राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) की शिकायत पर महरौली थाना पुलिस ने दोनों शेल्टर होम के प्रबंधन के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया है। आयोग की टीम ने चाइल्ड केयर होम का पिछले दिनों दौरा किया था। इसके बाद आयोग के चेयरमैन प्रियांक कानूनगो के नेतृत्व में रिपोर्ट तैयार की गई है, जिसमेंं फंड लेने का जिक्र किया गया है।

आयोग के चेयरमैन की रिपोर्ट और पुलिस में दी गई शिकायत के अनुसार लड़कों के 'उम्मीद अमन होम' में बच्चों के साथ यौन शोषण हो रहा था। यहां वर्ष- 2012, 13 व 2016 में भी यौन शोषण की शिकायत मिल चुकी है। लड़कियों के शेल्टर होम का नाम 'खुशी रेनबो होम' है।

आयोग के वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि दोनों चाइल्ड केयर होम को चलाने वाले एनजीओ सेंटर फॉर इक्विटी स्टडीज को इस्लामिक रिलीफ वर्ल्‍डवाइड से 35 लाख रुपये का फंड मिला है। यह संस्था हमास जैसे आतंकी संगठन को भी फंडिंग करती है, जिस कारण यह बांग्लादेश में प्रतिबंधित है।

सेंटर फॉर इक्विटी के डायरेक्टर पूर्व ब्यूरोक्रेट व नेशनल एडवाइजरी काउंसिल (एनएसी) के पूर्व सदस्य हर्ष मंदर हैं। प्रियांक कानूनगो ने बताया कि हर्ष मंदर ने जांच के दौरान आयोग से यह झूठ बोला कि उनका इस एनजीओ से कोई संबंध नहीं है। दस्तावेज की जांच में वह इसके डायरेक्टर पाए गए। दक्षिणी दिल्ली जिले के पुलिस उपायुक्त अतुल कुमार ठाकुर ने बताया कि एनसीपीसीआर की शिकायत पर एफआइआर दर्ज कर ली गई है। विभिन्न पहलुओं को ध्यान में रखकर से मामले की जांच की जा रही है।

सीएए-एनआरसी विरोधी धरनों में जबरदस्ती भेजे जाते थे बच्चे

आयोग के अधिकारी ने बताया कि कई कार्यों के लिए इन चाइल्ड होम में सरकार की नजर से छिपाकर पैसे लाए जा रहे थे। बच्चों के साथ दुव्र्यवहार की मिल रहीं शिकायतों के बाद दौरा कर आयोग की टीम ने जांच की। टीम ने पाया कि बच्चों को पोर्टा केबिन में रखा जाता था। सीनियर व जूनियर बच्चों के बाथरूम अलग न होने के कारण सीनियर बच्चे जूनियर बच्चों का यौन शोषण कर रहे थे। यहां के लड़के-लड़कियों को अवैध तरीके से सीएए-एनआरसी (नागरिकता संशोधन कानून-राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर) विरोधी धरना-प्रदर्शनों में भीड़ बढ़ाने के लिए जबरदस्ती ले जाया जाता था।

ये भी मिलीं अनियमितताएं

- शेल्टर होम में न तो रिकॉर्ड रूम है और न ही विजिटर्स रूम

- जरूरत के अनुसार पर्याप्त बाथरूम नहीं है

- न पर्याप्त काउंसलर हैं और न ही चाइल्ड वेल्फेयर ऑफिसर

- कोरोना प्रोटोकाल के तहत न तो शारीरिक दूरी का पालन हो रहा है और न ही बच्चों को मास्क दिए गए

- रात के समय बच्चों के लिए नर्स या पैरामेडिकल स्टाफ नहीं है

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