Delhi News: एडवांस लेकर पौधों का ऑडिट करना भूला फॉरेस्ट रिसर्च इंस्टीट्यूट
वन एवं पर्यावरण विभाग ने फॉरेस्ट रिसर्च इंस्टीट्यूट को भेजा रिमाइंडर कहा अब कोरोना संक्रमण का भी नहीं रहा डर जल्द प्रारंभ करें ऑडिट का कार्य। मानसून के दौरान हर साल ही दिल्ली में लाखों पौधे रोपे जाते हैं। बड़ा हिस्सा डीडीए सीपीडब्ल्यूडी एमसीडी एनडीएमसी इत्यादि का भी रहता है।
संजीव गुप्ता, नई दिल्ली। देहरादून के फॉरेस्ट रिसर्च इंस्टीट्यूट (एफआरआइ) ने वन एवं पर्यावरण विभाग से अग्रिम राशि तो ले ली, लेकिन दिल्ली के पौधों का ऑडिट करना शायद भूल गया। यही वजह है कि अग्रिम भुगतान करने के करीब दो माह बीत जाने पर विभाग ने एफआरआइ को रिमाइंडर पत्र भेजा है। इस पत्र में यहां तक कहा गया है कि अब तो कोरोना संक्रमण का डर भी खत्म हो चुका है। लिहाजा, ऑडिट का काम जल्द शुरू करें।
गौरतलब है कि मानसून के दौरान हर साल ही दिल्ली में लाखों पौधे रोपे जाते हैं। इनमें बड़ा हिस्सा डीडीए, सीपीडब्ल्यूडी, एमसीडी, एनडीएमसी इत्यादि का भी रहता है। विडंबना यह कि पौधे लगा तो दिए जाते हैं, लेकिन बाद में इनकी कोई सुध नहीं ली जाती। ऐसे में आधे से ज्यादा पौधे रख-रखाव के अभाव में पेड़ बनने से पूर्व ही दम तोड़ देते हैं। इसी के मद्देनजर वन विभाग ने एफआरआइ से बीते तीन वर्षों 2017-18, 2018-19, 2019-20 के दौरान दिल्ली ने लगाए गए सभी पौधों का ऑडिट कराने का निर्णय लिया।
एफआरआइ की टीम जांच करेगी कि लगाए गए कितने पौधे मर चुके हैं, कितने मरने के कगार पर हैं और जो जीवित हैं, उनका विकास किस गति से हो रहा है। इन पहलुओं पर जानकारी जुटाने के साथ-साथ यह टीम अपनी रिपोर्ट में सुझाव भी देगी कि जो पौधे जीवित हैं, उनका बेहतर विकास कैसे हो और भविष्य में लगाए जाने वाले पौधों का बेहतर रख-रखाव कैसे किया जाए।
जानकारी के मुताबिक एफआरआइ ने वन विभाग के अनुरोध पत्र पर यह ऑडिट करने के लिए हामी तो भर दी, लेकिन पहले कोरोना संक्रमण खत्म होने के बाद काम शुरू करने की बात कही और फिर इस कार्य की कुल राशि का कुछ हिस्सा अग्रिम देने की मांग रखी। आमतौर पर वन विभाग अग्रिम राशि का भुगतान नहीं करता, लेकिन एफआरआइ को कर दिया गया। विडंबना यह कि इस भुगतान के करीब दो माह बीत जाने पर भी एफआरआइ की टीम दिल्ली नहीं पहुंची। यही वजह है कि विभाग ने अब एफआरआइ को रिमाइंडर पत्र भेजा है।
इन स्तरों पर होती है लापरवाही
वन विभाग के अधिकारी बताते हैं कि पौधा 90 डिग्री के एंगल से रोपा जाना चाहिए। इसके अलावा मिट्टी में उसकी पकड़ मजबूत हो, पहली बार पानी ठीक से दिया जाए एवं एंटीटरमाइट दवा भी ठीक से डाली जाए तो ही पौधे के जीवित रहने व बढ़ने की संभावना रहती है। ऐसा नहीं होने पर पौधे दम तोड़ने लगते हैं।
ईश्वर सिंह (प्रधान मुख्य वन संरक्षक, वन एवं पर्यावरण विभाग, दिल्ली) का कहना है कि पौधे लगा देना ही नहीं, उनका रखरखाव करना भी उतना ही जरूरी है। रोप देने भर से पौधरोपण का मकसद हल नहीं हो जाता। इसीलिए एफआरआइ से एक ऑडिट रिपोर्ट तैयार कराकर भविष्य के लिए पुख्ता योजना बनाने का निर्णय लिया गया। इस कार्य के लिए एफआरआइ के साथ सहमति हो गई है। हमने उन्हें अग्रिम भुगतान भी कर दिया है, लेकिन ऑडिट शुरू नहीं हो पाया। अब एफआरआइ को एक रिमाइंडर पत्र भेजा गया है।