एम्स फैकल्टी अपने स्तर पर भेज रहे प्रस्ताव
-अस्पताल प्रशासन की ओर से स्वीकृति के बगैर सरकारी महकमों या संस्थाओं में प्रस्ताव नहीं भेजन
राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली : एम्स अजीबोगरीब स्थिति से गुजर रहा है। संस्थान के फैकल्टी संस्थान के प्रबंधन को विश्वास में लिए बगैर सुविधाओं के विस्तार व नया सेंटर शुरू करने के लिए संस्थाओं या सरकारी महकमों में फाइल भेज देते हैं। जबकि एम्स प्रशासन उससे अंजान होता है। प्रशासनिक दृष्टि से इसे गंभीर मामला मानते हुए एम्स प्रशासन ने डॉक्टरों को आदेश जारी करते हुए कहा है कि संस्थान की स्वीकृति के बगैर किसी सरकारी विभाग, संस्था या किसी व्यक्ति के पास प्रस्ताव भेजने पर उसे रद कर दिया जाएगा।
इस आदेश में कहा गया है कि संस्थान के कार्य व सुविधाओं में सुधार के लिए एम्स किसी भी अच्छे प्रस्ताव को लागू करने की पूरी कोशिश करता है। सुविधाओं में सुधार से संबंधित यदि कोई प्रस्ताव व सुझाव हो तो उसे संस्थान में संबंधित अधिकारी के समक्ष रखा जाना चाहिए। संस्थान उस मामले को संबंधित एजेंसी के समक्ष रखेगा। ताकि उस पर बेहतर तरीके से अमल हो सके। आदेश में कहा गया है कि यह देखा जा रहा है कि कुछ डॉक्टर व्यक्तिगत स्तर पर प्रस्ताव भेज देते हैं। जब संबंधित एजेंसी से उस पर विचार के लिए वापस फाइल एम्स प्रशासन के पास पहुंचती है तो चिंताजनक स्थिति से गुजरना पड़ता है।
बताया जा रहा है कि हाल के समय में ऐसी कई घटनाएं भी हुई हैं। असल में एम्स को सीएसआर (कॉरपोरेट सोशल रिस्पांसिबिलिटी) के तहत कई जगहों से फंड का पेशकश मिलता है। ऐसी स्थिति में कई विभागों व सेंटरों के डॉक्टर अपने स्तर से मौजूदा सुविधाओं में विस्तार का प्रस्ताव भेजते हैं। एम्स प्रशासन को यह बात पसंद नहीं आ रही है। हालांकि एम्स के नए आदेश से संस्थान के कई डॉक्टर सहमत नहीं हैं। उनका कहना है कि संस्थान से कई परियोजनाओं के लिए फंड नहीं मिल पाता। ऐसी स्थिति में यदि कोई फैकल्टी सरकार या किसी संगठन को प्रस्ताव भेजता है तो गलत क्या है। नए आदेश से विकेंद्रीकृत व्यवस्था को केंद्रीयकृत करने की कोशिश की जा रही है।