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वायुसेना ने रिहायशी इलाके में पहली बार चलाया बांबी ऑपरेशन

जागरण संवाददाता, नई दिल्ली : मालवीय नगर स्थित रबर के गोदाम में लगी आग को बुझाने के लिए वायुसेना के हेलीकॉप्टर की मदद लेनी पड़ी।

By JagranEdited By: Updated: Thu, 31 May 2018 10:12 PM (IST)
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वायुसेना ने रिहायशी इलाके में पहली बार चलाया बांबी ऑपरेशन

जागरण संवाददाता, नई दिल्ली : मालवीय नगर स्थित रबर के गोदाम में लगी आग को बुझाने के लिए वायुसेना के हेलीकॉप्टर एमआइ-17 को भी लगाया गया था। हेलीकॉप्टर से बांबी बकेट द्वारा तीन बार में आग पर करीब नौ हजार लीटर पानी का छिड़काव किया गया। वायुसेना के अधिकारियों के मुताबिक यह पहला मौका था जब सेना ने रिहायशी इलाके में बांबी ऑपरेशन चलाया। इससे पहले जंगल में लगी आग में कई बार वायुसेना के हेलीकॉप्टर का प्रयोग किया जा चुका है। रिहायशी इलाका, क्षेत्र में ऊंची इमारतें व हाईटेंशन तार होने के कारण हेलीकॉप्टर द्वारा आग बुझाने में कई तरह की चुनौतियां थीं, लेकिन सेना के प्रशिक्षित विंग कमांडर ने इसे बखूबी अंजाम दिया।

मंगलवार शाम आग लगने के बाद डीएम ने आधी रात में वायुसेना से हेलीकॉप्टर की मांग की थी। रात में हेलीकॉप्टर का संचालन नहीं होने के कारण अधिकारियों ने सुबह इसका प्रबंध करने का भरोसा दिया था। बुधवार सुबह सहारनपुर से वायुसेना का हेलीकॉप्टर पालम लाया गया। बाद में यमुना जलाशय से बांबी बकेट से पानी भरकर उसे गोदाम में लगी आग पर डाला गया। ऊंची इमारतों, पेड़ और हाईटेंशन तारों से बचाते हुए बांबी बकेट को घटनास्थल तक ले जाना था। नेवीगेशन में दिक्कत आने के साथ ही ज्यादा धुएं के कारण यह पता लगाने में परेशानी हुई कि पानी डाला कहां जाए। यमुना जलाशय को भी ढूंढ़ने में दिक्कत आई। बांबी बकेट लगी होने के कारण पहले ज्यादा ऊंचाई पर हेलीकॉप्टर को उड़ाया गया फिर घटनास्थल पर धीरे-धीरे नीचे लाकर पानी गिराया गया। कम ऊंचाई पर धुआं और पक्षियों के टकराने के डर के बीच प्रशिक्षण कर्मियों ने सफलतापूर्वक कार्य को अंजाम दिया।

क्या है बांबी बकेट

बांबी बकेट लचीले मिश्रित कपडे़ से बना एक बाल्टीनुमा ढांचा है, जिसमें पानी भरकर हवाई मार्ग द्वारा कार्रवाई की जाती है। इसका रंग अमूमन संतरे जैसा होता है। आग पर काबू पाने के लिए अलग-अलग क्षमता की बांबी बकेट होती हैं। इनमें नदियों या तालाब से पानी भरा जाता है। इसका प्रयोग भारत सहित अन्य देश की सेना ज्यादातर जंगल में लगी आग को बुझाने में करती हैं। इसका आविष्कार कनाडा निवासी डॉन अरने ने वर्ष 1980 में किया था। वर्ष 1983 से इसका व्यावसायिक उत्पादन शुरू हो गया था।

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हेलीकॉप्टर से आग बुझाने की नहीं थी जरूरत : दमकल विभाग

दिल्ली फायर सर्विस के निदेशक डॉ. जीसी मिश्रा कहते हैं कि मालवीय नगर में लगी आग भले ही भीषण थी, लेकिन दमकल विभाग की क्षमता से बाहर नहीं थी। इसके लिए हेलीकॉप्टर की जरूरत नहीं थी। सूचना मिलते ही दमकल की गाड़ियों को रवाना कर दिया गया था। शुरुआत में गोदाम में रबर और रसायन जलने के अलावा तेज हवा चलने के कारण दमकलकर्मियों को आग बुझाने में दिक्कत आई थी, लेकिन छह घंटे बाद स्थिति नियंत्रण में आ गई थी। गुरुवार सुबह सात बजे आग पर काबू पा लिया गया था। इसके बाद हेलीकॉप्टर से आग पर पानी का छिड़काव किया गया, जिसका ज्यादा फायदा नहीं हुआ। स्थिति को नियंत्रण में देखते हुए ही अन्य राज्यों से मदद और न ही हेलीकॉप्टर की मांग की थी।

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