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कव्वाली के जरिये अमीर खुसरो को किया गया याद

हजरत निजामुद्दीन औलिया दरगाह में आयोजित अमीर खुसरो के 714वें उर्स का समापन हो गया है।

By JagranEdited By: Updated: Thu, 05 Jul 2018 09:30 PM (IST)
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कव्वाली के जरिये अमीर खुसरो को किया गया याद

जागरण संवाददाता, नई दिल्ली : हजरत निजामुद्दीन औलिया दरगाह में आयोजित अमीर खुसरो के 714वें उर्स का बृहस्पतिवार रात को समापन हो गया। उर्स के आखिरी दिन मौला अली की फातिहा पढ़ी गई और देर रात दरगाह में कव्वाली कार्यक्रम का आयोजन हुआ। वहीं, 700 साल पुरानी इमारत ताक-ए-बुजुर्ग के अंदर भी कव्वालों ने अमीर खुसरो की याद में कव्वाली पेश की।

कव्वालों को सुनने के लिए काफी तादाद में जायरीन नजर आ रहे थे। इस दौरान कुछ जायरीन भावुक भी हो गए। जायरीनों के लिए लंगर की व्यवस्था भी की गई थी। उर्स के आखिरी दिन दरगाह में पैर रखने तक के लिए जगह नहीं थी। जायरीनों ने खुशहाली की दुआ मांगी और मन्नत की चादर भी चढ़ाई। देश की सुख-समृद्धि के लिए भी दरगाह से दुआ की गई। साथ ही लोगों में आपसी भाईचारा बना रहे उसका संदेश भी दिया गया।

निजामुद्दीन दरगाह उर्स महोत्सव के आयोजक फरीद अहमद निजामी ने बताया कि उर्स के आखिरी दिन जायरीनों के लिए खासतौर पर लंगर लगाया जाता है। इस दिन जायरीनों को बेसन की रोटी और दाल साग का प्रसाद खाने के लिए दिया जाता है, जिसके लिए दूरदराज से जायरीन आते हैं। इस पांच दिवसीय उर्स का आयोजन बेहद ही अच्छे हुआ।

दरगाह में मन्नत की चादर चढ़ाने पहुंचे मोहम्मद युसूफ कहते हैं कि लंबे से उन्हें इस उर्स का इंतजार था। वह कुछ सालों से विदेश में थे, जिस कारण दरगाह पर आना नहीं हो सका था। लेकिन, उर्स के मौके पर यह मौका मिल गया और प्रसाद खाने का अवसर भी मिला।

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