हाई कोर्ट ने एम्स सहित कई विश्वविद्यालयों को भेजा नोटिस
अगस्त 2016 में खुदकशी करने वाले एमिटी लॉ यूनिवर्सिटी के छात्र सुशांत के मामले में दिल्ली हाई कोर्ट ने शुक्रवार को एम्स इंडियन मार कम्युनिकेशन (आइएमसी) इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ फॉरेन ट्रेड (आइआइएफटी) और द एनर्जी एंड रिसोर्स इंस्टीट्यूट (टेरी) समेत दिल्ली के कई विश्वविद्यालयों को नोटिस जारी किया है। न्यायमूर्ति सिद्धार्थ मृदुल व
By JagranEdited By: Updated: Sat, 25 May 2019 06:26 AM (IST)
विनीत त्रिपाठी, नई दिल्ली
अगस्त 2016 में खुदकशी करने वाले एमिटी लॉ यूनिवर्सिटी के छात्र सुशांत के मामले में दिल्ली हाई कोर्ट ने शुक्रवार को एम्स, इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मास कम्युनिकेशन (आइआइएमसी), इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ फॉरेन ट्रेड (आइआइएफटी) और द एनर्जी एंड रिसोर्स इंस्टीट्यूट (टेरी) समेत दिल्ली के कई विश्वविद्यालयों को नोटिस जारी किया है। न्यायमूर्ति सिद्धार्थ मृदुल व न्यायमूर्ति नज्मी वजीरी की पीठ ने विवि प्रशासन से पूछा है कि उनके यहां शिकायत प्रकोष्ठ है या नहीं और क्या यह कार्यरत है। हाई कोर्ट इस पर अगले सप्ताह सुनवाई कर सकता है। दो सदस्यीय पीठ ने सुनवाई करते हुए कहा कि अगर विश्वविद्यालय में शिकायत प्रकोष्ठ है तो इसमें छात्रों का प्रतिनिधि करने वाला एक छात्र होना चाहिए। विवि को इस पर विचार करना चाहिए। एमिटी यूनिवर्सिटी के छात्र के साथ हुई घटना के बाद पीठ यह तय करना चाहती है कि ऐसी घटना किसी भी विवि में दोबारा न हो। मामले में एमिटी यूनिवर्सिटी की तरफ से पक्ष रखा जा चुका है। खुदकशी के इस मामले को सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट में स्थानांतरित कर दिया था। तृतीय वर्ष के छात्र सुशांत रोहिल्ला को एमिटी विश्वविद्यालय में कम उपस्थिति के कारण सेमेस्टर की परीक्षा में बैठने से रोक दिया गया था। इससे क्षुब्ध होकर 10 अगस्त 2016 को छात्र ने खुदकशी कर ली थी। उसने अपने सुसाइड नोट में लिया था कि उसे अब जीने की इच्छा नहीं है। हाई कोर्ट ने इस पर टिप्पणी की थी कि आप नियमों को लागू करें, लेकिन छात्रों की जान जोखिम में न डालें। वहीं विश्वविद्यालय ने दलील दी थी कि उन्होंने उपस्थिति के नियमों का पालन किया था।
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