Move to Jagran APP
5/5शेष फ्री लेख

Begumpuri Masjid : कैसे बचाया जाए दिल्ली की बेगमपुरी मस्जिद को, प्लान बना रहा है ASI

Begumpuri Masjid पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग ने इस स्मारक की नींव में पानी जाने से रोकने के लिए योजना बनाई है इसके लिए काम शुरू किया गया है। इसके तहत स्मारक की सात बड़ी व गहरी नालियों की सफाई कराई गई है। इन नालियों की मरम्मत कराई जा रही है।

By Jp YadavEdited By: Updated: Fri, 17 Sep 2021 01:31 PM (IST)
Hero Image
कैसे बचाया जाए दिल्ली की बेगमपुरी मस्जिद को, प्लान बना रहा है ASI

नई दिल्ली [वीके शुक्ला]। जर्जर हो चुकी बेगमपुरी मस्जिद राष्ट्रीय स्मारक को बचाने के लिए भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआइ) विभाग ने कवायद शुरू की है। इस स्मारक के तकनीकी सर्वेक्षण में पता चला है कि बारिश का पानी इसकी नीव में जा रहा है। इससे स्मारक कमजोर हो रहा है। पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग ने इस स्मारक की नींव में पानी जाने से रोकने के लिए योजना बनाई है, इसके लिए काम शुरू किया गया है। इसके तहत स्मारक की सात बड़ी व गहरी नालियों की सफाई कराई गई है। इन नालियों की मरम्मत कराई जा रही है। इसके अलावा अंदर के पानी को बाहर निकालने के लिए सही व्यवस्था की जा रही है।

बताया जा रहा हैकि स्मारक के चारों ओर भी ऐसी व्यवस्था किए जाने की योजना है कि पानी किसी भाग से अंदर नहीं जाए। इस कार्य के पूरा हो जाने के बाद दूसरे चरण में स्मारक का संरक्षण कार्य कराया जाएगा। इसमें स्मारक के बचे हिस्से को मजबूती दी जाएगी। पिछले कुछ वर्षों में इस राष्ट्रीय स्मारक को बहुत नुकसान पहुंचा है। कुछ माह पहले यहां से काफी मलबा हटाया गया है। मलबा यहां वर्षो से पड़ा हुआ था। गिरने के कगार पर आ चुके मस्जिद के गेट के लिए ईंटों के पिलर (खंभे) बनाए गए हैं, जिससे उन्हें सपोर्ट दिया जा रहा है।

एक ट्वीट पर विभाग ने खोजे पुराने दस्तावेज

बेगमपुर स्थित मस्जिद स्मारक का एक हिस्सा ढह जाने के बारे में ट्वीट किए जाने के मामले में पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग ने 33 साल पुरानी तस्वीर जारी की है। दरअसल, मस्जिद को लेकर एक नामी लेखक और इतिहासकार ने अपने ट्विटर अकाउंट पर तस्वीर के जरिए मस्जिद की छत बारिश से ढहने का दावा किया था। लेकिन, इसे विभाग ने गलत बताया है। अब विभाग ने मस्जिद की वर्ष 1988 की एक पुरानी तस्वीर जारी कर कहा है कि छत का काफी हिस्सा पहले से ही टूट गया था। विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि बारिश के कारण मस्जिद की छत नहीं ढही है। 33 साल पुरानी तस्वीर और ट्विटर पर हाल ही में डाली गई तस्वीर में काफी समानता देखने को मिल जाएगी। पानी की निकासी को लेकर वहां पर कार्य चल रहा था।

बेगमपुर गांव में है यह मस्जिद

फिरोजशाह तुगलक के वजीरे आजम खाने जहां जूना शाह ने बेगमपुर गांव में ये मस्जिद बनवाई थी। यहां मेहराबी तथा स्तंभयुक्त गलियारे हैं। तीन गलियारों वाला इबादत खाना है, जिसका आंगन 94 मीटर लंबा और 88 मीटर चौड़ा है। इस मस्जिद का अनगढ़े पत्थरों से निर्मित ढांचा एक ऊंचे चबूतरे पर बना है। उसके गलियारों में उत्तर, दक्षिण और पूर्व की ओर एक द्वार है। इसमें से पूर्व का द्वार ही मुख्यरूप से उपयोग में लाया जाता है। इस इबादत खाने के सामने के भाग में 24 मेहराबी द्वार हैं। इसमें बीच का द्वार सबसे ऊंचा है। तुगलकी शैली में उनके दोनों ओर छोटी छोटी मीनारें हैं। प्रार्थना कक्ष एक बड़े गुंबद से ढका हुआ है। जो कई स्थानों से ढह चुका है।