पंजाबी बाग इलाके को जाम से नहीं मिल पा रही निजात
जागरण संवाददाता, बाहरी दिल्ली : पंजाबी बाग, मोतीनगर एवं जखीरा इलाके में जाम से निजात के लिए
जागरण संवाददाता, बाहरी दिल्ली : पंजाबी बाग, मोतीनगर एवं जखीरा इलाके में जाम से निजात के लिए अरबों रुपये खर्च करके फ्लाई ओवर, अंडरपास और सब-वे बने। मेट्रो रेल भी यहां से गुजर रही है मगर फिर भी जाम के झाम से लोगों को निजात नहीं मिल सकी। राजनीतिक कारणों के चलते योजनाओं में नेताओं की ओर से अपने हिसाब से कराई गई तोड़मरोड़ लोगों पर भारी पड़ रही है। कभी तेज रफ्तार वाहन के नीचे आकर लोग दम तोड़ते हैं और जो ¨जदा हैं उनकी उम्र यहां बढ़ रहा प्रदूषण का ग्राफ कम कर रहा है। केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने भी इस स्थान को दिल्ली के 10 ब्लैक स्पॉट में शामिल कर मान लिया कि हालात यहां गंभीर हैं। लोग आज भी गडकरी की योजना के मूर्त रूप लेने का इंतजार कर रहे हैं। अब लोग कह रहे हैं कि हालात तभी सुधरेंगे जब पंजाबी बाग से जखीरा वाया मोतीनगर-अशोक पार्क के लिए योजना बनाकर उस पर ईमानदारी के साथ अमल हो।
मोतीनगर लालबत्ती से पंजाबी बाग चौक तक अक्सर जाम रहता है। इसी मार्ग पर फुट ओवर ब्रिज बना। पहले तो उसके स्थान चयन में खूब राजनीति हुई लेकिन वादे के बावजूद लिफ्ट न लगने के कारण यह केवल सफेद हाथी ही साबित हो रहा है। लोग इसका इस्तेमाल करने के बजाय जान हथेली पर रखकर ही वाहनों के बीच से ही सड़क पार करने को मजबूर हैं। पंजाबी बाग फ्लाई ओवर के ऊपर और नीचे चारों तरफ भी अक्सर जाम ही नजर आता है। ब्रिटानिया चौक से पंजाबी बाग फ्लाई ओवर के ऊपर से होकर मोतीनगर की तरफ जाने के लिए जब वाहन चालक फ्लाई ओवर से नीचे उतरने की कोशिश करते हैं। वहां रास्ता संकरा होने की वजह से वाहनों की लंबी कतार लग जाती है, जहां अक्सर वाहन टकराते हैं। नांगलोई से जखीरा की तरफ जाना हो या जखीरा से नांगलोई की तरफ फ्लाई ओवर के नीचे गोल चक्कर के पास वाहनों की लंबी कतार प्रदूषण में इजाफा करती नजर आती हैं तो अंडर पास के नीचे से होकर गुजरने वाले वाहन भी कई बार रेलवे कॉलोनी से आरपार होने वाले यात्रियों को कुचलकर चले जाते हैं।
सब-वे को कर दिया बेकार
पैदल पार यात्रियों की सहूलियत के नाम पर आधा किलोमीटर के दायरे में दो सब वे हैं। एक सब वे के ऊपर फुट ओवर ब्रिज, लेकिन पहले ही सब वे होने के बावजूद उसके ऊपर से फुट ओवर ब्रिज बना दिया गया। इससे सब वे के निर्माण में लगे लाखों रुपये बर्बाद ही हो गए हैं। इस फुट ओवर ब्रिज को रेलवे कॉलोनी के बाहर बनाया जा सकता था।
प्रदूषण भी खूब
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की ओर से समय-समय पर जारी किए जाने वाले आंकड़ों के अनुसार दिल्ली में इस इलाके में प्रदूषण का स्थान कभी दूसरे तो कभी तीसरे स्थान पर रहा है। इस बार भी हालात बदतर हैं। प्रदूषण का स्तर यहां सुबह व शाम को तो वाहनों की भरमार से बढ़ता ही है। रात में 9 बजे के बाद इस इलाके में ट्रकों का आवागमन प्रदूषण के स्तर को कई गुना बढ़ा देता है। गोल चक्कर के पास ही यहां ट्रांसपोर्ट नगर भी है और शकूरबस्ती की सीमेंट साइ¨डग भी बढ़ते प्रदूषण का अहम कारण है।
अवैध पार्किंग भी है मुसीबत
जखीरा से मोतीनगर की तरफ हालात एक जैसे ही नजर आते हैं। जखीरा चारा मंडी के पास गोल चक्कर से निकल भी गए तो मोतीनगर चौक तक करीब दो किलोमीटर तक का रास्ता तय करने में पीढि़यां याद आ जाती हैं। इस रोड पर पहले कारखाने होते थे। अब वे ज्यादातर अवैध बैंक्वेट हॉलों में तब्दील हो गए हैं। वाहनों के लिए पार्किंग का इंतजाम इनके पास नहीं है। ऐसे में इन बैंक्वेट हॉलों में आने वाले अधिकतर लोग सड़क के दोनों तरफ अपनी गाड़ियां सहूलियत के अनुसार ही खड़ी कर देते हैं। यह स्थिति कर्मपुरा की तरफ मुड़ने वाली लाल बत्ती तक है। मोतीनगर थाने के बाहर ही बड़ी तादाद में ऐसे वाहन महीनों से खडे़ हैं जिसकी वजह से यहां अक्सर जाम के हालात बनते हैं। यहां से चंद कदम आगे ही एक नामी हलवाई का प्रतिष्ठान है, जितने लोग उसके यहां आते हैं उतनी पार्किग का प्रबंध भी उसके पास नहीं है। ऐसे में यहां आने वाले लोग सड़क पर ही वाहन पार्क कर अंदर चले जाते हैं। इस स्थिति का फायदा कुछ ऐसे लोग उठा रहे हैं जिन्हें पार्किग का ठेका तो अन्य स्थानों का मिला है, लेकिन उसी की आड़ में यहां भी अवैध पार्किंग का धंधा चलाए हुए हैं।