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सीने पर गोलियों की बौछार भी कम नहीं कर पाई देशभक्ति का जज्बा

राजेश शर्मा, नागल चौधरी (नारनौल) जब देशभक्ति का जज्बा दिल में होता है तो गोलियों की बौछार भी

By JagranEdited By: Updated: Wed, 01 Aug 2018 09:22 PM (IST)
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सीने पर गोलियों की बौछार भी कम नहीं कर पाई देशभक्ति का जज्बा

राजेश शर्मा, नागल चौधरी (नारनौल)

जब देशभक्ति का जज्बा दिल में होता है तो गोलियों की बौछार भी मातृभूमि की रक्षा के लिए वीर सैनिक के कदम नहीं रोक सकती हैं। नायन निवासी भूपसिंह भी भारत माता के ऐसे ही वीर सपूत थे। उन्होंने दो साथियों सहित जम्मू-कश्मीर के पुंछ सेक्टर में देश की सीमा की रक्षा करते हुए 13 अक्टूबर 2000 को शहीद हो गए थे। उस समय इस वीर की उम्र महज 25 साल की थी।

भूपसिंह के घर में देशप्रेम की बयार कई वर्षो से बह रही है। उनके दादा श्रीराम आजाद हिंद फौज में सिपाही थे। पिता नायब सूबेदार रामस्वरूप भी सेना में रहकर देश की सेवा कर चुके हैं। भूपसिंह में देशभक्ति की भावना कूट-कूटकर भरी थी। दादा से स्वाधीनता आंदोलन की बातें सुनते तो अंग्रेजों के प्रति खून खौल उठता था। उन्होंने प्रण कर लिया था कि सेना में भर्ती होकर भारत माता की सेवा करेंगे। वह पहले ही प्रयास में 24 राजपूत रेजीमेंट में भर्ती हो गए। वर्ष 2000 में वह पुंछ में तैनात थे। 13 अक्टूबर 2000 की रात पुंछ जिले के मंडी ब्लॉक में पाकिस्तान सीमा के नजदीक वह और उनके साथी पेट्रोलिंग कर रहे थे। इसी दौरान पहले से घात लगाकर बैठे आतंकियों ने भूपसिंह की टोली पर अंधाधुंध फायरिंग शुरू कर दी। गोलीबारी में नायब सूबेदार नसरुद्दीन खान एवं सैनिक संजय गंभीर रूप से घायल हो गए। साथियों के घायल होने के बाद आतंकियों ने भूपसिंह पर गोलियों की बौछार कर दी, लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी। वह जज्बे के साथ आगे बढ़ते रहे और आठ आतंकियों को मार गिराया। इसके बाद इस जांबाज ने आखिरी सांस ली।

पिता की शहादत के समय उनकी बेटी बबली मा की कोख में थी। घर में उम्र के आखिरी पड़ाव से गुजर रहीं शहीद की मा नाथी देवी को गर्व है कि उनके बेटे ने आतंकियों को अपने मंसूबों में कामयाब नहीं होने दिया और आठ दुश्मनों को मौत के घाट उतार दिया।

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