रोबोटिक्स में करियर, 2030 तक देश को दुनिया का ड्रोन मैन्युफैक्चरिंग हब बनाने का लक्ष्य
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार के हाल के फैसले से माना जा रहा है कि आने वाले दिनों में ड्रोन का कारोबार बढ़ने से इस सेक्टर में प्रशिक्षित ड्रोन इंजीनियर और ड्रोन पायलट के रूप में करियर के अवसर तेजी से बढ़ने वाले हैं...
By Sanjay PokhriyalEdited By: Updated: Tue, 21 Sep 2021 03:58 PM (IST)
शीर्ष पांडेय। रोबोटिक्स और ड्रोन की बढ़ती उपयोगिता को देखते हुए इनदिनों देश के तमाम निजी स्कूल अपने यहां बच्चों का एक्सपोजर बढ़ाने और उन्हें भविष्य के लिए तैयार करने के उद्देश्य से बच्चों को स्टेम और स्टीम जैसे विषयों की ट्रेनिंग दे रहे हैं। बच्चों को ड्रोन बनाने और उसे उड़ाने में कुशल बनाने के लिए फिज रोबोटिक्स जैसी टेक कंपनियों की सेवाएं ले रहे हैं, जो रोबोट से लेकर ड्रोन बनाने और उसे उड़ाने का प्रशिक्षण देते हैं, जिससे बच्चे कम उम्र में इस उभरती तकनीक में महारत हासिल कर सकें और आने वाले समय में खुद को इंडस्ट्री की जरूरतों के अनुसार तैयार कर सकें।
लेकिन रोबोटिक्स और ड्रोन में प्रशिक्षण देने और बच्चों के आत्मविश्वास को बढ़ाने की यह गति अभी कुछ चुनिंदा स्कूलों तक ही सीमित है। लेकिन हाल के केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्रालय द्वारा इस सेक्टर में जोर दिये जाने से आने वाले दिनों में भारत विश्व में ड्रोन निर्यातक देश बनने की राह पर अग्रसर हो सकता है। इसके साथ इस सेक्टर का अगले तीन साल में टर्नओवर करीब 900 करोड़ रुपये तक पहुंच जाएगा। सरकार की तरफ से कहा गया है कि इस पहल से करीब 10 हजार रोजगार के अवसर भी पैदा होंगे।
तेजी से बढ़ती संभावनाएं: भारत में ड्रोन का इस्तेमाल भारतीय थल सेना और वायसेना काफी समय से कर रही है। भारतीय कंपनियां भी ड्रोन्स का इस्तेमाल आपदा की स्थिति में एनडीआरएफ को फुटेज पहुंचाने और सर्विलांस में कर रही हैं। ड्रोन की जरूरत को देखते हुए आने वाले समय में ड्रोन का इस्तेमाल अनेक प्रकार के कार्यों के लिए किया जाने वाला है, जैसे कि पायलट की ट्रेनिंग, बच्चों को ज्ञान देने, रिसर्च के कार्यों में, मौसम विज्ञान, एग्रीकल्चर में मदद, ड्रोन टैक्सी, लाजिस्टिक आदि के रूप में। विशेषज्ञों की मानें, तो भविष्य में एक साथ कई-कई ड्रोंस का इस्तेमाल होगा, जो आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस जैसी तकनीकों से भी लैस होंगे। वे किसी मिशन में एक-दूसरे से बात कर पाएंगे और निर्धारित कार्य को एक तय समय सीमा में संपन्न भी करेंगे। इसलिए इस सेक्टर में युवाओं की ड्रोन पायलट, ड्रोन डिजाइनर, बैटरी डिजाइनर, इलेक्ट्रॉनिक इंजीनियर, एयरोनॉटिकल इंजीनियर्स जैसे तमाम रूपों में की मांग बढ़ने वाली है।
ऐसे ट्रेंड प्रोफेशनल्स आने वाले समय में ड्रोंस के अनेक विभागों में अपनी सेवाएं देते देखे जाएंगे। ज्यादातर कंपनियां ऐसे प्रोफेशनल्स को अपने यहां नियुक्त करने पर जोर देंगी। आने वाले कुछ वर्षों में इस तरह की जॉब बहुत आसानी से लिंक्डइन, फेसबुक या किसी रोबोटिक्स या ड्रोन कंपनी के करियर पेज पेज पर आपको खूब देखने को मिलेंगी। फिलहाल, ड्रोन में स्पेशलाइजेशन हासिल करने वालों की अभी डिफेंस इंडस्ट्री और मैन्युफैक्चरिंग इंडस्ट्री में सबसे अधिक मांग है।
ड्रोन में ऐसे हासिल करें महारत: जो भी युवा इस फील्ड में अपना करियर बनाना चाहते हैं, उन्हें सबसे पहले अपनी स्टेम स्किल को मजबूत करने पर ध्यान देना चाहिए। वहीं, जो इंजीनियर हैं या इंजीनियरिंग कर चुके हैं, उन्हें रिसर्च और प्रोजेक्ट को और बेहतर बनाने पर काम करने की आवश्यकता है। क्योंकि आने वाले समय में ड्रोन सेक्टर में लोगों को जॉब सिर्फ और सिर्फ स्किल के आधार पर मिलेगी। वैसे, युवाओं को ड्रोन की तकनीक सीखने के लिए पहले इलेक्ट्रॉनिक्स और एयरोमाडलिंग की जानकारी होना अनिवार्य है, तभी इस फील्ड में वे खुद को आगे बढ़ा पाएंगे। फिलहाल इस फील्ड में कोई भी टेक्निकल बैकग्राउंड का युवा अपना करियर बना सकता है, जिसे ड्रोन की समझ और ज्ञान हो और जिसे इस फील्ड में खूब रुचि हो। यदि आप विधिवत सीखकर और ट्रेनिंग लेकर प्रोफेशनल तरीके से इस फील्ड में करियर बनाना चाहते हैं, तो आपको मेक्ट्रोनिक और स्टेम का कोर्स करना चाहिए। यह कोर्स करके आप एक ड्रोन इंजीनियर बन सकते हैं। कुल मिलाकर, यदि आपको अपना करियर ड्रोन के क्षेत्र में बनाना है तो इसमें अपडेटेड स्किल सीखने और उसे निरंतर निखारने का प्रयास करें। इसके अलावा, अलग-अलग स्किल्स भी हासिल करने पर जोर दें। ऐसा करते हैं तो निश्चित रूप से आपको सफलता मिलेगी और खुद को स्थापित करके इस फील्ड में तेजी से आगे बढ़ा पाएंगे।
कोर्स एवं योग्यताएं: ड्रोन टेक्नोलाजी में प्रशिक्षण के लिए अलग से कोई कोर्स नहीं है। आइआइटी संस्थानों में रोबोटिक्स के अंतर्गत ही इस विषय की भी पढ़ाई कराई जाती है। जो छात्र इलेक्ट्रिकल, मैकेनिकल, इंस्ट्रूमेंटेशन या कंप्यूटर साइंस जैसे टेक्निकल बैकग्राउंड से हैं, वे यह कोर्स कर सकते हैं। इस फील्ड की डिमांड को देखते हुए कई संस्थानों में आजकल रोबोटिक सांइस नाम से भी अलग से कोर्स कराए जा रहे हैं। इसके लिए साइंस स्ट्रीम में 12वीं पास होना आवश्यक है।
लाखों में सैलरी पैकेज: इस फील्ड में औसतन एक ड्रोन इंजीनियर 15 लाख से लेकर 60 लाख रुपये तक सालाना सैलरी पा रहे हैं। वहीं, एक ड्रोन पायलट आमतौर पर इससे कहीं ज्यादा कमाते हैं, क्योंकि ड्रोन पायलट को अभी तीन तरह से (घंटे, दिन और माह के अनुसार) भुगतान किया जाता है। आमतौर पर एक ड्रोन पायलट एक घंटे की अपनी फीस पांच से सात हजार रुपये चार्ज करते हैं। दिन के हिसाब से सात से दस हजार रुपये तक चार्ज करते हैं। चूंकि भारत में ड्रोन का इस्तेमाल अभी शुरुआती दौर में है, इसलिए यहां ड्रोन पायलट प्रोजेक्ट बेसिस पर काम करते हुए दिन और घंटे के अनुसार अपनी फीस लेते हैं। लेकिन यूएस या एशियाई देशों में ऐसे ड्रोन पायलट को 50 लाख से 60 लाख रुपये तक सैलरी आफर हो रही है। वहीं, यूरोप में बच्चे/किशोर भी ड्रोंस की रेस में हिस्सा लेकर लाखों कमा रहे हैं।
क्या है ड्रोन?: ड्रोन आपने भी कहीं न कहीं जरूर देखा होगा। यह एक डिवाइस है, जिसे मिनी-एयरक्राफ्ट कहा जा सकता है। जैसे हवाई जहाज आसमान में उड़ते हैं, उसी तरह यह भी आसमान में उड़ सकता है। इसमें लगे कैमरे को कमांड देकर मनचाही तस्वीरें खींची जा सकती हैं। यह डिवाइस रिमोट से जुड़े मानिटर के जरिए कंट्रोल किया जाता है। यह रोबोटिक्स का ही एक पार्ट है। सभी ड्रोन देखने में एक जैसे नहीं होते हैं, जरूरत के मुताबिक इनकी शक्ल सूरत अलग-अलग हो सकती है। इस तरह के डिवाइस की उड़ने की अपनी एक क्षमता होती है, जो तकरीबन दो किमी. के दायरे में उड़ सकते हैं। इस ड्रोन को उड़ाने वाला पायलट कहीं एक जगह बैठकर वहीं से इसकी निगरानी करता है कि यह सही से उड़ रहा है या नहीं। ऐसे प्रोफेशनल्स को ड्रोन उड़ाने के लिए भी बकायदा लाइसेंस लेना होता है, जिसे उड्डयन मंत्रालय द्वारा जारी किया जाता है। इस तरह के लाइसेंस पांच साल के लिए मान्य होते हैं। बाद में फिर इसका नवीनीकरण कराना होता है।
प्रमुख संस्थानआइआइटी, खड़गपुर, दिल्ली, मुंबई, कानपुर, मद्रास, गुवाहाटी, रुड़कीwww.iit.ac.inइंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस, बेंगलुरुwww.iisc.ernet.inबिड़ला इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी एंड साइंस (बिट्स), पिलानीwww. bits-pilani.ac.inनेताजी सुभाष इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, नई दिल्लीwww.nsit.ac.in(लेखक फिज रोबोटिक साल्यूशंस के मैनेजिंग डायरेक्टर हैं)
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