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सामुदायिक भवनों में आसान नहीं जिम खोलने की राह

जागरण संवाददाता, बाहरी दिल्ली : नगर निगम ने अनुपयोगी साबित हो रहे सामुदायिक भवनों में जिम ख

By JagranEdited By: Updated: Wed, 05 Sep 2018 07:15 PM (IST)
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सामुदायिक भवनों में आसान नहीं जिम खोलने की राह

जागरण संवाददाता, बाहरी दिल्ली : नगर निगम ने अनुपयोगी साबित हो रहे सामुदायिक भवनों में जिम खोलने का एलान तो कर दिया, लेकिन दिल्ली देहात के इन भवनों में जिम खुल को लेकर संशय है। वजह है दिल्ली सरकार और नगर निगम में टकराव। ग्रामीण क्षेत्र में अधिकांश सामुदायिक भवन दिल्ली सरकार के हैं और नगर निगम की सत्ता में भाजपा है। इन सबके बीच दोनों के बीच टकराव किसी से छुपा नहीं है।

दरअसल, गांव के लोगों को गांव में ही रोजगार और उनकी जरूरत का सामान मुहैया कराने के मकसद से बहुउद्देश्यीय सामुदायिक भवन बनाए गए थे, लेकिन उद्देश्य पूरा नहीं हुआ। इन भवनों के साथ ही रोजगारपरक प्रशिक्षण पाने के सपने संजोए युवाओं के सपने भी टूट गए। अब ग्रामीणों में पीड़ा इस बात को लेकर है कि राजनीति के चश्मे से हर चीज को देखने वाले नेताओं को ये भवन नजर ही नहीं आते हैं। इन सामुदायिक केंद्रों का जीर्णोद्वार कर सुविधाएं मुहैया करानी चाहिए, न कि राजनीति करनी चाहिए।

साहिब सिंह वर्मा के कार्यकाल में बने थे भवन: साहिब ¨सह वर्मा ने मुख्यमंत्री रहते हुए वर्ष 1995-98 के दौरान दिल्ली देहात के करीब पांच दर्जन गांवों में बहुउद्देश्यीय सामुदायिक भवनों का निर्माण करवाया था। दिल्ली सरकार के विकास विभाग से जुड़े इन सामुदायिक भवनों का निर्माण डीएसआइडीसी (दिल्ली राज्य औद्योगिक विकास निगम) ने किया था, जिसमें करोड़ों रुपये की लागत आई थी। बाहरी दिल्ली के तत्कालीन सांसद कृष्णलाल शर्मा और साहिब ¨सह वर्मा ने इन सामुदायिक भवनों का शुभारंभ भी किया। शुरुआती दिनों में युवाओं को प्रशिक्षण भी दिया गया और इन भवनों में बनीं दुकानों में ग्रामीणों को विभिन्न प्रकार के सामान भी मिलते थे। लेकिन, दिल्ली में सत्ता बदलते ही इन सामुदायिक भवनों की दुर्गति शुरू हो गई। इन भवनों में खुली दुकानें बंद होने लगीं और धीरे-धीरे पूरी योजनाओं पर पानी फिर गया। वर्जन

आजकल ज्यादातर सामुदायिक भवन असमाजिक तत्वों का जमावड़ा स्थल बन गया है। शीशे टूट चुके हैं। दरवाजे गायब हैं। यह जनता के पैसे की बर्बादी नहीं तो क्या है। सरकार कहती हैं कि हमारे पास गांवों में जगह नहीं हैं, लेकिन इन सामुदायिक भवनों की दशा सुधारकर सुविधाएं मुहैया कराने पर ध्यान नहीं है। नगर निगम और दिल्ली सरकार को तालमेल के साथ काम करना होगा।

योगेंद्र डबास, मुबारिकपुर

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ग्रामीणों के हित के लिए मैं निजी स्तर पर इन सामुदायिक भवनों का बेहतर इस्तेमाल कराने का प्रयास कर रहा हूं। अधिकारियों से रिपोर्ट मांगी गई है। दिल्ली सरकार व नगर निगम से भी इस बाबत बातचीत की जाएगी। विधायकों को भी दलगत राजनीति से ऊपर उठकर जनता के पैसे से बने इन सामुदायिक भवनों के जीर्णोद्धार और उनके बेहतर इस्तेमाल की दिशा में काम करना चाहिए।

डॉ. उदित राज, सांसद

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