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गलत तरीके से ओआरएस बेचने वाली कंपनी के खिलाफ कार्रवाई करने पर करें विचार

ख्य न्यायाधीश डीएन पटेल व न्यायमूर्ति ज्योति सिंह की पीठ ने भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआइ) और दिल्ली सरकार को निर्देश दिया कि याचिका को प्रतिवेदन के तौर पर लेकर कानून व नियम के तहत उचित कार्रवाई करे।

By Prateek KumarEdited By: Updated: Thu, 26 Aug 2021 07:48 PM (IST)
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दिल्ली सरकार को निर्देश दिया कि याचिका को प्रतिवेदन के तौर पर लेकर कानून के तहत उचित कार्रवाई करे।
नई दिल्ली [विनीत त्रिपाठी]। छद्म तरीके से ओरल रिहाइड्रेशन साल्ट (ओआरएस) बेचने के आरोपित कंपनियों के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग को लेकर याचिका दायर की गई है। मुख्य न्यायाधीश डीएन पटेल व न्यायमूर्ति ज्योति सिंह की पीठ ने भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआइ) और दिल्ली सरकार को निर्देश दिया कि याचिका को प्रतिवेदन के तौर पर लेकर कानून व नियम के तहत उचित कार्रवाई करे। हालांकि, कहा कि दोनों पक्षों को सुनने के बाद ही अंतिम निर्णय लिया जाए।

जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) की सहायक प्रोफेसर रूपा सिंह ने याचिका दाखिल करके कहा कि एक स्थानीय फार्मेसी ने उन्हें ओआरएस के नाम पर एक ओआरएस लिक्विड बेचा। उन्होंने दावा किया कि इससे उनके आठ वर्ष के बच्चे के तबियत खराब हो गई। उन्होंने जब बच्चे को एक बाल रोग विशेषज्ञ को दिखाया तो डाक्टर ने बताया कि ओआरएसएल व ओआरएस एक नहीं है। इतना ही नहीं उसे और डब्ल्यूएचओ से मान्य भी नहीं है। याचिकाकर्ता ने कहा फार्मा कंपनियां बिक्री को बढ़ावा देने के लिए जानबूझकर अपने अन्य उत्पादों को ओआरएस के रूप में गलत लेबल कर रही है।

दिल्ली सरकार के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका खारिज

चार होटलों के कमरों को दो अस्तपालों से लिंक करके आरक्षित करने से जुड़ी दिल्ली सरकार की अधिसूचना को चुनौती देने वाली याचिका को दिल्ली हाई कोर्ट ने खारिज कर दिया। न्यायमूर्ति विपिन सांघी व न्यायमूर्ति जसमीत सिंह की पीठ ने कहा कि कोराेना महामारी की दूसरी लहर के दौरान चिकित्सा बुनियादी ढांचे की भारी कमी थी। सरकारी अधिकारी प्रबंधन करने के लिए सड़कों पर अपनी जान जोखिम में डाल रहे थे और अगर वे बीमार पड़ते तो इसका खमियाजा सभी को भुगतना पड़ता है।

पीठ ने याचिकाकर्ता की उस दलील को भी खारिज कर दिया जिमसें कहा गया था कि सरकारी अधिकारियों और उनके परिवारों के इलाज के लिए राज्य के संसाधनों का उपयोग नहीं किया जा सकता। पीठ ने कहा कि याचिकाकर्ता ने याचिका दायर करते समय महामारी की दूसरी लहर की जमीनी हकीकत को ध्यान नहीं रखा।

डाक्टर कौशल कांत मिश्रा ने 25 अप्रैल को दिल्ली सरकार द्वारा जारी की गई अधिसूचना को रद करने की मांग की है। उन्होंने कहा कि अधिसूचना के तहत विवेक विहार स्थित होटल जिंजर के 70 कमरे, शाहदरा स्थित होटल पार्क प्लाजा के 50 कमरे, कड़कड़डूमा में सीबीटी ग्राउंड स्थित होटल लीला एंबियंस के 50 कमरे और हरी नगर स्थित होटल गोल्डन ट्यूलिप के सभी कमरों को सरकारी अधिकारियों एवं उनके परिवार के सदस्यों के कोरोना के इलाज के लिए अटैच कर लिया है।

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