मरती रहीं गायें, 19 वर्षो में भी सुझावों पर अमल नहीं
लापरवाही - वर्ष 1999 में विधायक रमाकांत गोस्वामी की अध्यक्षता में बनी थी कमेटी - गो सदन की 50
By JagranEdited By: Updated: Mon, 30 Jul 2018 10:08 PM (IST)
जागरण संवाददाता, नई दिल्ली : दिल्ली में गोशालाओं में गोपालन के नियमों को लेकर 1999 में तत्कालीन दिल्ली सरकार ने संजीदगी दिखाई थी। तत्कालीन विधायक रमाकांत गोस्वामी की अध्यक्षता में गठित कमेटी ने कई महत्वपूर्ण सुझाव दिए लेकिन 19 साल बीत जाने के बाद भी दिल्ली सरकार व निगम इन पर अमल नहीं कर सके। नतीजतन, बीते दिनों दक्षिणी दिल्ली स्थित सुशील मुनि गोशाला में 50 से अधिक गायें काल का ग्रास बन गई जबकि इससे पहले भी गोशालाओं में हजारों गायों की अकाल मौत के मामले सामने आते रहे हैं।
वर्ष 1999 में विधायक रमाकांत गोस्वामी की अध्यक्षता में छह सदस्यीय कमेटी बनी थी। कमेटी ने एक दर्जन से अधिक सुझाव दिल्ली सरकार और निगम को दिए थे। इनमें गाय के चारे से लेकर रखरखाव, इलाज और निगरानी की व्यवस्था बनाने की बात कही गई थी। कमेटी के सुझावों को दिल्ली विधानसभा ने भी स्वीकार कर लिया था लेकिन इसे पूरी तरह लागू नहीं किया जा सका। बॉक्स
खरीदे गए चारे पर है निर्भरता
दिल्ली में पांच गोशालाएं संचालित होती हैं। समिति द्वारा सुझाव दिया गया था कि गायों के लिए खरीदे हुए चारे के अलावा गोशाला की 50 फीसद जमीन पर भी घास या हरियाली उगाई जाए। इस पर अमल न होने से गायें केवल खरीदे गए चारे पर ही निर्भर हैं चारा संकट अक्सर बना रहता है। गायों की बढ़ती गई संख्या गोशाला की बदहाली में प्रशासनिक लापरवाही का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि गोशालाओं में गायें बढ़ती गई लेकिन नई गोशाला नहीं खोली गई। गोशालाओं में गायों की संख्या पढ़ जाने के बाद भी इनके लिए पर्याप्त इंतजाम तक नहीं किए गए।
गोशालाओं की क्षमता बढ़ा दी गई है। इसकी वजह से इसमें चारा नहीं उगाया जाता है। गाय की स्वास्थ्य की देखरेख के लिए इंतजाम किए गए हैं। - डॉ राकेश कुमार, निदेशक, पशुपालन विभाग, दिल्ली सरकार
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