Move to Jagran APP

शिक्षा के साथ संस्कार दे रहीं सेवानिवृत्त शिक्षिका

लोकेश चौहान, दक्षिणी दिल्ली बच्चों को पढ़ाने के लिए शिक्षक कैसा हो, इस पर कई प्रकार के विचार ह

By JagranEdited By: Updated: Mon, 31 Dec 2018 09:37 PM (IST)
Hero Image
शिक्षा के साथ संस्कार दे रहीं सेवानिवृत्त शिक्षिका

लोकेश चौहान, दक्षिणी दिल्ली

बच्चों को पढ़ाने के लिए शिक्षक कैसा हो, इस पर कई प्रकार के विचार हो सकते हैं, लेकिन ऐसा शिक्षक, जिससे पढ़ने के लिए बच्चे इंतजार करते हों, कम ही देखने को मिलते हैं। ऐसी ही एक शिक्षिका हैं कमलेश पोपली। वे पोस्ट ग्रेजुएट टीचर पीजीटी के पद से सेवानिवृत्त होने के बाद गांव के गरीब बच्चों को उनके स्कूल के बाद नि:शुल्क शिक्षा दे रही हैं। बच्चे उनका इंतजार इसलिए करते हैं, क्योंकि उनके पढ़ाने का तरीका पूरी तरह से अलग हैं। जिस तरह से बच्चों का लगाव नाना-नानी और दादा-दादी के साथ होता है, कुछ वैसा ही उनसे है।

कमलेश पोपली सरकारी स्कूल में शिक्षिका थीं। वे बताती हैं कि जहां उनका स्कूल था, वहां के आसपास का पूरा क्षेत्र ग्रामीण था। स्कूल में पढ़ाने के समय से ही वे स्कूल की छुट्टी के बाद गरीब बच्चों को पढ़ाती थीं। वे सफदरजंग एंक्लेव के सर्वोदय विद्यालय में राजनीति शास्त्र की शिक्षिका के रूप में पीजीटी के पद से सेवानिवृत्त हुई थीं। इस समय वे परिवार के साथ अर्जुन नगर में रह रही हैं।

सेवानिवृत्त होने के बाद उन्होंने हुमायूंपुर, अर्जुन नगर व मोहम्मदपुर गांव के बच्चों को स्कूल के समय के बाद पढ़ाना शुरू किया। शुरू में बच्चों की संख्या कम थी, लेकिन बच्चों ने खुद ही एक दूसरे को स्कूल के बाद की पढ़ाई के बारे में बताना शुरू कर दिया। इसके बाद बच्चों की संख्या लगातार बढ़ती गई। वे 11वीं और 12वीं कक्षा के बच्चों को राजनीति शास्त्र पढ़ाती हैं। वे बच्चों में ऐसे संस्कार विकसित कर रही हैं, जिससे वे अपराध से दूर रहें और बड़ों का सम्मान करें।

इस समय वे आइजीसीएल एनजीओ के साथ कार्य कर रही हैं। एनजीओ उन्हें स्कूलों के ऐसे बच्चों को पढ़ाने के लिए भेजते हैं, जो पढ़ाई में कमजोर होने के साथ ग्रामीण परिवेश से हैं। वे उदाहरण देकर बच्चों को कहानियों के माध्यम से पढ़ाती हैं।

आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।