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लैंड पूलिंग पॉलिसी की खामियां दूर करने की मांग

राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली : दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) के मुख्यालय में लैंड पूलिंग पॉलिसी को ल

By JagranEdited By: Updated: Mon, 02 Jul 2018 09:51 PM (IST)
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लैंड पूलिंग पॉलिसी की खामियां दूर करने की मांग

राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली : दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) के मुख्यालय में लैंड पूलिंग पॉलिसी को लेकर शुरू हुई जनसुनवाई के पहले दिन काफी कम संख्या में लोग पहुंचे। अधिकांश लोगों ने योजना को प्रचारित करने और इसकी खामियां दूर करने की मांग की। दिल्ली के गांवों से आए लोगों का कहना था कि छोटे किसान भी इसका लाभ उठा सकें, इसका ध्यान रखा जाना चाहिए। चार जुलाई तक जनसुनवाई जारी रहेगी।

लैंड पूलिंग पॉलिसी को लेकर डीडीए को 734 आपत्तियां व सुझाव मिले हैं, लेकिन करीब 50 लोग ही जनसुनवाई में भाग लेने के लिए पहुंचे। इनमें से कई लोगों ने व्यावसायिक कार्य के लिए अधिक जगह देने मांग की तो कई ने बाहरी विकास शुल्क (ईडीसी) हटाने की। ग्रामीणों ने डीडीए अधिकारियों को इस योजना को प्रचारित करने की सलाह दी।

उन्होंने कहा कि लोगों को यह बताया जाना चाहिए कि इस योजना से उन्हें क्या लाभ मिलेगा और इसपर किस तरह से काम होगा। बापरौला गाव के रहने वाले अभिषेक ने कहा कि इस योजना को लेकर लोगों में भ्रम की स्थिति है। उन्हें न तो इससे होने वाले लाभ की जानकारी है और न ही उन्हें यह मालूम है कि वह अपनी जमीन डीडीए को बेचेंगे या फिर प्राइवेट डेवलपर को। अन्य लोगों ने भी कहा कि शंकाएं दूर की जानी चाहिए। उन्होंने इस योजना को लागू करने में हो रही देरी पर नाराजगी जताई। कहा कि इसकी खामियों को दूर करके इसे जल्द लागू किया जाना चाहिए।

जनसुनवाई में शामिल डीडीए के पूर्व अधिकारी विजय रिशबद ने कहा कि डीडीए में लैंड पूलिंग पॉलिसी के लिए अलग से टीम होनी चाहिए, जो इस पॉलिसी को लेकर लोगों की शिकायतों को दूर करने का भी काम करे। निजी डेवलपरों की जगह डीडीए को जमीन विकसित करने के लिए अपने स्तर पर ज्यादा काम करना चाहिए। गांव के लोग कृषि पर आश्रित हैं। उनसे जमीन ले लिए जाने पर उनकी नियमित आमदनी खत्म हो जाएगी इसलिए उन्हें पांच फीसद की जगह 33 फीसद जमीन पर व्यावसायिक कार्य करने की अनुमति मिलनी चाहिए।

गौरतलब है कि वर्ष 2015 में केंद्र सरकार ने लैंड पूलिंग पॉलिसी को मंजूरी दे दी थी। इसे लागू करने के लिए दिल्ली के 89 गावों को शहरीकृत गाव घोषित किया जाना जरूरी था। इसकी फाइल दिल्ली सरकार के पास काफी समय तक पड़ी रही। पिछले वर्ष मई में इन गांवों को शहरीकृत गांव घोषित कर दिया गया था।

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