पत्रकारिता, राजनीति के बाद जेल का अध्याय, ऐसी है मनीष सिसोदिया के सफर की कहानी
दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया को सीबीआई ने कथित शराब घोटाले के कई आरोपों में गिरफ्तार कर लिया है। आज सीबीआई मेडिकल के बाद उन्हें राउज एवेन्यू कोर्ट के समक्ष पेश करेगी। वहीं कोर्ट में पेशी के बाद सीबीआई सिसोदिया की रिमांड की मांग कर सकती है।
By Nitin YadavEdited By: Nitin YadavUpdated: Mon, 27 Feb 2023 10:59 AM (IST)
नई दिल्ली, डिजिटल डेस्क। दिल्ली के उपमुख्यमंत्री और शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया को रविवार को लंबी पूछताछ के बाद सीबीआई ने गिरफ्तार कर लिया है। सिसोदिया को कथित शराब घोटाले के आरोपों में गिरफ्तार किया गया है। सीबीआई द्वारा उनकी गिरफ्तारी के बाद उनके राजनीतिक सफर को लेकर चर्चाएं तेज हो गई हैं। जानकारों का मानना है कि सिसोदिया ने काफी कम वक्त में खुद को देश के कद्दावर नेताओं के रूप में स्थापित किया है। आज उनकी गिनती दिल्ली के सीएम के करीबियों और एक मंझे हुए राजनेताओं में की जाती है।
इन्हीं राजनीतिक चर्चाओं के बीच आज हम आपको मनीष सिसोदिया के अब तक के सफर के बारे में बताने जा रहे हैं कि कैसे सिसोदिया ने पत्रकारिता के पेशे को छोड़कर राजनीति के गलियारों में कदम रखा। बता दें कि सिसोदिया ने पत्रकारिता पेशे के बाद राजनीति की दुनिया में कदम रखा और उन्हें आम आदमी पार्टी के गठन के बाद से ही केजरीवाल का करीबी माना जाता है।
पेशे से पत्रकार थे मनीष सिसोदिया
यूपी के हापुड़ में जन्में 51 वर्षीय मनीष सिसोदिया ने अपने पेशेवर जीवन की शुरुआत एक पत्रकार के रूप में की थी। उन्होंने पत्रकारिता का डिप्लोमा करने के बाद ऑल इंडिया रेडियो में जीरो ऑवर नाम के एक कार्यक्रम को होस्ट किया। इसके बाद सिसोदिया ने एक निजी समाचार चैनल में काम किया। फिर उन्होंने कई सामाजिक संस्थाओं के साथ मिलकर काम किया है और अन्ना हजारे के भ्रष्टाचार विरोधी आन्दोलन में काफी सक्रिय रहे। अन्ना आन्दोलन के बाद अरविंद केजरीवाल ने राजनीतिक पार्टी बनाने का फैसला किया तो सिसोदिया उनके साथ आ गए।2013 में पहली बार बने विधायक
मनीष सिसोदिया साल 2012 में स्थापित आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य हैं। उन्होंने अपनी पार्टी के बैनर तले साल 2013 में हुए दिल्ली विधानसभा चुनाव लड़ा और पटपड़गंज विधानसभा क्षेत्र से जीत का स्वाद चखा। इसके बाद उन्होंने 2015 और फिर 2020 के दिल्ली विधानसभा चुनावों में भी जीत दर्ज की और 2015 से वह दिल्ली के उपमुख्यमंत्री पद पर भी बरकरार हैं।
सर्वश्रेष्ठ शिक्षा मंत्री का मिल चुका है पुरस्कार
मनीष सिसोदिया को आम आदमी पार्टी के 2015 से 2020 के कार्यकाल में शिक्षा विभाग मिला, जिसमें उन्होंने बेहतरीन काम करते हुए शिक्षा की गुणवत्ता में कई सुधार करते हुए स्कूलों के मूलभूत ढांचे को भी दुरुस्त किया। इसके बाद उन्होंने सर्वश्रेष्ठ शिक्षा मंत्री के पुरस्कार से भी नवाजा गया।पत्रकार, राजनेता के बाद जेल की यात्रा
पत्रकारिता के क्षेत्र में काम करने के बाद सिसोदिया राजनीति के दंगल में कूदे पर अब अपनी आबकारी नीति को लेकर सवालों के घेरे में हैं। सिसोदिया पर आरोप है कि उन्होंने आबकारी नीति साल 2021-22 में किए बदलावों में अनियमितता और लाइसेंसधारकों को अनुचित लाभ देने के आरोप लगे हैं। इस नीति के तहत लाइसेंस शुल्क माफ या कम कर दिया गया था या सक्षम अधिकारी प्राधिकारी की मंजूरी के बिना एल-1 लाइसेंस बढ़ाया गया था।
कोरोना महामारी के कारण 28 दिसंबर 2021 से 27 जनवरी 2022 तक निविदा लाइसेंस शुल्क पर छूट की अनुमति दी गई थी। इसकी वजह से सरकारी खजाने को 144.36 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ। उपराज्यपाल की सिफारिश सीबीआई ने केस दर्ज किया।
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