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और बढ़ा टकराव, स्थिति में सुधार के नहीं दिख रहे आसार

राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली : दिल्ली में फिर से प्रशासनिक संकट गहराने के आसार बन गए हैं।

By JagranEdited By: Updated: Thu, 05 Jul 2018 08:15 PM (IST)
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और बढ़ा टकराव, स्थिति में सुधार के नहीं दिख रहे आसार

राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली : दिल्ली में फिर से प्रशासनिक संकट गहराने के आसार बन गए हैं। दिल्ली सरकार और अधिकारियों के बीच टकराव बढ़ता जा रहा है। सरकार उनके स्थानांतरण और नियुक्ति का अधिकार अपने हाथ में लेना चाहती है, जबकि अधिकारियों का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार को ऐसा कोई अधिकार दिया ही नहीं है। इसी कड़ी में मुख्य सचिव अंशु प्रकाश ने उपमुख्यमंत्री द्वारा सेवाएं विभाग के सचिव को भेजी गई वह फाइल भी वापस भिजवा दी, जिसमें उन्होंने अधिकारियों के स्थानांतरण एवं नियुक्ति के अधिकार उपराज्यपाल से हटाकर मुख्यमंत्री को हस्तांतरित करने का आदेश दिया था।

मनीष सिसोदिया ने बृहस्पतिवार सुबह पत्रकार वार्ता कर अधिकारियों द्वारा दिल्ली सरकार के निर्देशों का पालन करने से मना करने को सीधे तौर पर सुप्रीम कोर्ट की अवमानना बताया। उन्होंने कहा कि सरकार इस दिशा में कानूनी विकल्पों पर विचार कर रही है। सिसोदिया ने पत्रकारों से बातचीत में कहा, 'मुख्य सचिव ने मुझे पत्र लिखकर बताया है कि सेवाएं विभाग आदेशों का पालन नहीं करेगा। अगर वह इसका पालन नहीं कर रहे हैं और स्थानांतरण की फाइलें अब भी उपराज्यपाल ही देखेंगे तो यह संवैधानिक पीठ की आवमानना होगी। हम अपने वकीलों से सलाह-मशविरा कर रहे हैं कि इस स्थिति में क्या किया जा सकता है। सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि उपराज्यपाल केवल तीन विषयों में ही हस्तक्षेप कर सकते हैं जिनमें सेवाएं विभाग शामिल नहीं हैं। शाम को सिसोदिया ने सेवाएं विभाग के सचिव को फिर से आदेश दिया कि बुधवार को दिया हुआ आदेश तत्काल लागू करें और सुबह तक आदेश लागू होने की प्रति कार्यालय में भेजें। ऐसा नहीं करने पर अदालत की अवमानना का केस झेलना होगा।

उधर, अधिकारियों का दो टूक शब्दों में कहना है कि सुप्रीम कोर्ट ने 2016 में जारी उस अधिसूचना को नहीं हटाया, जिसमें तबादलों और तैनाती का अधिकार गृह मंत्रालय को दिया गया था। यहां तक कि सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के आदेश को भी खारिज नहीं किया है। इसलिए वे सरकार का यह आदेश मानने को बाध्य हैं ही नहीं। केंद्रीय मंत्री अरुण जेटली भी ब्लॉग लिखकर बता चुके हैं सर्विसेज पर सुप्रीम कोर्ट ने कोई फैसला नहीं दिया है और अभी भी यह विषय दिल्ली सरकार के दायरे से बाहर है।

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