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New Excise Policy 2021: आबकारी नीति बनाने व लागू करने का दिल्ली सरकार को अधिकार: हाई कोर्ट

New Excise Policy 2021 नई आबकारी नीति से जुड़े एक निर्णय को चुनौती देने वाली याचिका पर दिल्ली हाई कोर्ट ने स्पष्ट किया कि नई आबकारी नीति बनाने और इसे लागू करने का दिल्ली सरकार को पूरा अधिकार है।

By Mangal YadavEdited By: Updated: Wed, 29 Sep 2021 07:59 PM (IST)
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हाई कोर्ट ने पुरानी नीति के तहत लाइसेंस धारी की याचिका पर की टिप्पणी
नई दिल्ली [विनीत त्रिपाठी]। नई आबकारी नीति से जुड़े एक निर्णय को चुनौती देने वाली याचिका पर दिल्ली हाई कोर्ट ने स्पष्ट किया कि नई आबकारी नीति बनाने और इसे लागू करने का दिल्ली सरकार को पूरा अधिकार है। मुख्य न्यायाधीश डीएन पटेल व ज्योति सिंह की पीठ ने कहा कि प्रथम दृष्टया नए तंत्र ने उनके किसी भी अधिकार का उल्लंघन नहीं किया है। अदालत नीति के परिणामी प्रभाव पर प्रतिकूल प्रभाव नहीं डालना चाहती है। पीठ ने उक्त टिप्पणी करते हुए एल-7 लाइसेंसधारी खुदरा बिक्रेताओं को पुराने नीति के तहत निजी क्षेत्र में 30 सितंबर से शराब की बिक्री नहीं करने से जुड़े निर्णय पर रोक लगाने से इन्कार कर दिया।

पुराने नीति के तहत लाइसेंस धारक रतन सिंह ने निर्णण के खिलाफ आवेदन दाखिल किया था। आवेदनकर्ता ने अन्य लाइसेंसधारकों की तरह ही उनलोगों को शराब की बिक्री जारी रखने देने की मांग की थी। हालांकि, पीठ ने कहा कि अदालत की नजर में सरकार के पास दिल्ली उत्पाद अधिनियम- 2009 के तहत नई उत्पाद नीति जारी करने के लिए सभी शक्तियां और क्षेत्राधिकार हैं।

पीठ ने कहा कि प्रथम दृष्टया नई नीति के तहत जो तंत्र अपनाया जा रहा है, वह याचिकाकर्ता के किसी अधिकार का उल्लंघन नहीं करता है। भले ही एल-सात लाइसेंसधारकों को 30 सितंबर से शराब की बिक्री को बंद कर देने के लिए कहा गया हो, लेकिन भेदभाव नहीं होने के कारण आवेदनकर्ता के पक्ष में कोई मामला नहीं बनता है। पीठ ने कहा कि लाईसेंस बंद होने के कारण जनता को कोई नुकसान होनेवाला नहीं है, क्योंकि अन्य श्रेणियों के वेंडर काम करते रहेंगे।

दिल्ली सरकार की तरफ से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी व अधिवक्ता राहुल मेहरा ने पीठ को सूचित किया था कि 16 नवंबर से सरकारी दुकानें भी बंद हो जाएंगी, ऐसे में जरूरी है कि शांतिपूर्ण और समान्यजस्यपूर्ण नई नीति बनाई जाए। उन्होंने बताया कि नई नीति के कारण राजस्व 50 प्रतिशत बढ़कर 9,500 करोड़ रुपये हो गया है और अतिरिक्त 1,000 करोड़ रुपये आने की भी उम्मीद है।

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