Delhi Murder: घूमने-फिरने की शौकीन थी श्रद्धा, दुनिया घुमाने का वादा करके जिंदगी के आखिरी सफर पर ले गया आफताब
Shraddha murder case छतरपुर में आफताब ने बर्बरता की हदें पार कर दीं। उसने अपनी लिव-इन पार्टनर 28 साल की श्रद्धा वाकर की गला दबाकर हत्या कर दी। आरी से शव के करीब 35 टुकड़े कर फ्रिज में रखे और दो माह में इन टुकड़ों को ठिकाने लगाया। (Photo- FB)
By Jagran NewsEdited By: Abhishek TiwariUpdated: Tue, 15 Nov 2022 08:29 AM (IST)
नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। 28 साल की श्रद्धा वाकर घूमने-फिरने की बेहद शौकीन थी। उसे पहाड़ की वादियों और हरे-भरे जंगलों से प्यार था। उसकी इसी कमजोरी का फायदा उठाकर 28 वर्षीय आफताब अमीन पूनावाला ने नजदीकियां बढ़ाई थीं और दुनिया घुमाने का सपना दिखाकर उसे जिंदगी के आखिरी सफर पर भी लेकर निकला था। ये बातें पुलिस की जांच पड़ताल में सामने आई हैं। इसके अलावा श्रद्धा के फेसबुक और इंस्टाग्राम अकाउंट भी इसकी गवाही दे रहे हैं।
पहाड़ी इलाकों में घूमने का बनाया था प्लान
सूत्रों के मुताबिक झगड़े के बाद जब श्रद्धा घर लौट गई तो उसने एक बार फिर उसे पर्यटन स्थलों पर घुमाने का वादा करके अपनी बातों के जाल में फंसा लिया। उसने कहा कि वह उससे बेहद प्यार करता है और गिले-शिकवे भुलाकर जिंदगी की नई शुरुआत करना चाहता है।इसीलिए उसने उसके सबसे पसंदीदा पहाड़ी इलाकों में घूमने का प्लान बनाया है। इससे श्रद्धा को भरोसा हो गया और वह उसके साथ दोबारा रहने के लिए तैयार हो गई थी, लेकिन उसे नहीं पता था कि आफताब इसके पीछे उसकी हत्या की साजिश का जाल बुन रहा है।
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11 मई को की थी इंस्टाग्राम पर आखिरी पोस्ट
श्रद्धा पूरी दुनिया घूमकर दुनिया के बारे में अच्छे से जानना चाहती थी। उसने हत्या से एक हफ्ते पहले यानी 11 मई को अपने इंस्टाग्राम से आखिरी पोस्ट डाली थी। पोस्ट में उसने अपनी लोकेशन हिमाचल प्रदेश के चौगन कस्बे स्थित एक कैफे बताई थी। हाथों में यूरोप के पर्यटन स्थलों से जुड़ी एक मैगजीन दिखाई दे रही है। कैप्शन में उसने लिखा है कि दुनिया घूमने और उसके बारे में जानने की इच्छा है।मैगजीन के फ्रंट कवर पर नाम और बैक कवर पर एक्सप्लोर मोर की टैगलाइन के साथ एक अंतरराष्ट्रीय एयरलाइन के बारे में जानकारी छपी हुई है। श्रद्धा के इंस्टाग्राम पर चार मई की एक रील भी है। इसमें वह वह ऋषिकेश में गंगा तट पर बैठी दिखाई दे रही है। इसके कैप्शन में उसने लिखा है कि 1500 किलोमीटर की यात्रा के बाद मैंने अपने दिन को सूर्यास्त के दृश्य के साथ समाप्त करने का फैसला किया। मैं वशिष्ठ गुफा में गंगा तट पर गई। किसे पता था मैं ऐसे गंगा के निर्मल तट पर बैठकर यहां की सुंदरता निहारते हुए ऐसे समय बिताऊंगी।
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