दिल्ली दंगा: शाहरुख को पिस्तौल बेचने के मामले में बाबू वसीम को कड़कड़डूमा कोर्ट ने किया बरी
दिल्ली दंगे के दौरान पुलिस पर पिस्तौल तानने वाले शाहरुख को असला बेचने के मामले में कड़कड़डूमा कोर्ट ने बाबू वसीम को बरी कर दिया है। जबकि हेड कांस्टेबल दीपक दहिया पर पिस्तौल तानने के मामले में आरोपित शाहरुख पठान पर पहले ही आरोप तय हो चुके हैं।
By Jagran NewsEdited By: Nitin YadavUpdated: Tue, 31 Jan 2023 10:16 AM (IST)
नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। दिल्ली दंगे में हेड कांस्टेबल पर पिस्तौल तानने के आरोपित शाहरुख पठान को हथियार बेचने के मामले में कड़कड़डूमा ने कोर्ट ने बाबू वसीम को बरी कर दिया है, लेकिन कोर्ट ने जांच से भागने के मामले में उस पर आरोप तय किए हैं।
24 फरवरी 2020 को जाफराबाद इलाके में हेड कांस्टेबल दीपक दहिया पर पिस्तौल तानने के मामले में आरोपित शाहरुख पठान पर पहले ही आरोप तय हो चुके हैं। इसी मामले में मेरठ की विकासपुरी कालोनी निवासी बाबू वसीम पर आरोप था कि उसने पठान को पिस्तौल उपलब्ध कराई थी।
अभियोजन के अनुसार, पठान ने अपने प्रकटीकरण बयान में कहा था कि दिसंबर 2019 में उसने यह पिस्तौल और 20 राउंड कारतूस बाबू वसीम से 25 हजार रुपये में खरीदे थे। उसकी बाबू वसीम से मुलाकात घोंडा में एक मस्जिद के पास हुई थी।
वकील ने दी यह दलीलें
कोर्ट ने रिकार्ड से पाया कि जुलाई 2020 में बाबू वसीम को दंडाधिकारी न्यायालय द्वारा भगोड़ा घोषित किया गया था। अप्रैल 2022 में उसकी गिरफ्तारी हुई थी। सभी पक्षों को सुनने के बाद अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश अमिताभ रावत के कोर्ट ने कहा कि आरोपित बाबू वसीम के खिलाफ मामला मूल रूप से वास्तविक सामग्री या सबूत के बजाय अनुमान पर आधारित है। इस संबंध में दिया गया पठान का बयान कानून के तहत स्वीकार्य नहीं है।
हेड कांस्टेबल से तथ्य बनाने में हुई देरी, नौ बरी
उत्तर पूर्वी दिल्ली दंगे में एक व्यक्ति का घर और दुकान जलाने के मामले में शनिवार को कड़कड़डूमा कोर्ट ने संदेह का लाभ देते हुए नौ आरोपितों को बरी कर दिया। अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश पुलस्त्य प्रमाचल के कोर्ट ने कहा कि संपत्ति में आगजनी की घटना पूरी तरह सच है, पुलिस उन लोगों के खिलाफ आरोप साबित नहीं कर पाई जिन्हें आरोपित बनाया गया था।पार्याप्त नहीं एक व्यक्ति की गवाही
एक हेड कांस्टेबल ही घटना में आरोपितों की मौजूदगी बता रहा है, उसने भी महत्वपूर्ण तथ्य जांच के दौरान बताने में देरी की है। सिर्फ एक गवाह का बयान पर्याप्त नहीं माना जा सकता। इस कारण आरोपितों को संदेह का लाभ देते हुए बरी कर दिया है।यह भी पढ़ें: पानी के बिल के भुगतान के लिए वन-टाइम सेटलमेंट स्कीम लाएगी दिल्ली सरकार, दिल्ली जल बोर्ड ने दी जानकारी
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