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दिल्ली की विशेष CBI अदालत ने दी तेजस्वी को दी चेतावनी, कहा- गवाहों को प्रभावित करने वाले बयान देने से बचें

अदालत ने कहा कि आपको अपने बयान से होने वाले प्रभाव को समझना होगा और भविष्य में दोबारा नहीं होना चाहिए।तेजस्वी को निचली अदालत से मिली जमानत को चुनौती देते हुए सीबीआइ ने आरोप लगाया था कि जमानत को रद नहीं किया गया तो वे जांच प्रभावित हो सकती है।

By Vineet TripathiEdited By: Prateek KumarUpdated: Tue, 18 Oct 2022 11:45 PM (IST)
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जमानत रद करने से इन्कार करते हुए दिल्ली की विशेष सीबीआइ अदालत ने दी तेजस्वी को चेतावनी।
नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। आइआरसीटीसी घोटाला मामले में बिहार के उप-मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव की जमानत रद करने से इन्कार करते हुए राउज एवेन्यू कोर्ट की विशेष सीबीआइ अदालत ने सार्वजनिक तौर पर बयान देने के दौरान तेजस्वी को शब्दों के चयन को लेकर जिम्मेदार होने की चेतावनी दी। विशेष न्यायाधीश गीतांजलि गाेयल ने तेजस्वी से कहा कि आप बहुत ही जिम्मेदार पद पर हैं, तो आपके लिए ऐसे शब्दों का इस्तेमाल करना उचित नहीं है। उचित शब्दों का चयन करें क्योंकि सार्वजनिक तौर पर बोले गए शब्दों का एक बड़े हिस्से पर प्रभाव होता है।

बयान से होने वाले प्रभाव को समझना होगा

अदालत ने कहा कि आपको अपने बयान से होने वाले प्रभाव को समझना होगा और यह भविष्य में दोबारा नहीं होना चाहिए। तेजस्वी को निचली अदालत से मिली जमानत को चुनौती देते हुए सीबीआइ ने आरोप लगाया था कि तेजस्वी जमानत को रद नहीं किया गया तो वे जांच को प्रभावित कर सकते हैं। एजेंसी ने कहा कि तेजस्वी वर्तमान में बिहार के उपमुख्यमंत्री हैं और एक प्रेस-कान्फ्रेंस के दौरान तेजस्वी ने सीबीआइ अधिकारी को धमकाया था और इस तरह से वह जांच प्रभावित करने की कोशिश कर रहे हैं।

जांच प्रभावित करने की आशंका

एजेंसी की तरफ से पेश हुए अधिवक्ता डीपी सिंह ने कहा कि मामले की जांच में शामिल एक सीबीआइ अधिकारी हाल ही में ट्रक से दुर्घटना का शिकार हुआ है। उन्होंने कहा कि इस घटनाओं काे हम उस धमकी से नहीं जोड़ रहे हैं, क्योंकि हमारे पास कोई सुबूत नहीं हैं।लेकिन, तेजस्वी की धमकी के बाद अधिकारी डरे हुए हैं, ऐसे में एजेंसी अदालत से तेजस्वी की जमानत रद करने की मांग करती है। एजेंसी ने इससे पहले यह भी कहा था कि तेजस्वी एक प्रभाशाली व्यक्ति हैं और वे जांच को प्रभावित कर सकते हैं।

यह है मामला

वहीं, तेजस्वी की तरफ से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता मनिंदर सिंह ने एजेंसी की दलील को बेबुनियाद बताते कहा कि उनके मुवक्किल की प्रेस-वार्ता किसी अन्य संदर्भ में थी। इसमें उन्होंने भूमि और नौकरी घोटाला से लेकर कई मुद्दे पर बात की थी, ऐसे में यह जमानत रद करने का आधार कैसे हो सकता है। उन्होंने कहा कि अगर, एजेंसी को लगता है कि उनके मुवक्किल ने सीबीआइ अधिकारी को धमकाया है तो वह प्राथमिकी करें। सीबीआइ ने वर्ष 2017 में पूर्व रेल मंत्री व बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू यादव, उनकी पत्नी राबड़ी देवी और तेजस्वी यादव समेत अन्य के खिलाफ मामला दर्ज किया था। इस मामले में एजेंसी आरोप पत्र भी दाखिल कर चुकी है।इस मामले में लालू, राबड़ी और तेजस्वी को वर्ष 2018 में जमानत मिल चुकी है।

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