संपत्तियों को यूनिक आइडी देने का रास्ता साफ
पूर्वी दिल्ली नगर निगम में संपत्तियों के सर्वे और उन्हें यूनिक आइडी देने का रास्ता अब साफ हो गया है। इस संबंध में टेंडर आदि की प्रक्रिया पहले ही पूरी की जा चुकी थी और पायलट प्रोजेक्ट का काम भी किया जा रहा था लेकिन स्थायी समिति से प्रस्ताव पास नहीं होने की वजह से कंपनी काम नहीं कर पा रही थी। जिसकी वजह से पिछले काम रूका हुआ था।
By JagranEdited By: Updated: Thu, 05 Jul 2018 08:46 PM (IST)
डिजिटल इंडिया प्रोजेक्ट
- स्थायी समिति में प्रस्ताव पारित, दक्षिण अफ्रीका की कंपनी से पहले ही हो चुका है करार - पूर्वी दिल्ली नगर निगम की सभी संपत्तियों की पहचान, पैमाइश के बाद तैयार होगा डाटा बैंक जागरण संवाददाता, पूर्वी दिल्ली : पूर्वी दिल्ली नगर निगम में संपत्तियों के सर्वे और उन्हें यूनिक आइडी देने का रास्ता अब साफ हो गया है। इस संबंध में टेंडर आदि की प्रक्रिया तो पहले ही पूरी की जा चुकी थी लेकिन स्थायी समिति से प्रस्ताव पारित नहीं होने के कारण कंपनी काम नहीं कर पा रही थी। बृहस्पतिवार को स्थायी समिति ने प्रस्ताव पास कर दिया है।
डिजिटल इंडिया प्रोजेक्ट के तहत केंद्रीय शहरी विकास मंत्रालय, केंद्रीय ग्रामीण मंत्रालय और प्रधानमंत्री कार्यालय के दिशानिर्देशों के अनुसार पूर्वी दिल्ली नगर निगम की सभी संपत्तियों की पहचान करने, उनकी पैमाइश करने, उनका डाटा बैंक तैयार करने और उन्हें यूनिक आइडी देने का कार्य शुरू हुआ था। इसके तहत सभी यूनिटों पर नेम प्लेट लगाकर संपत्ति का विशेष नंबर, मकान नंबर और मकान मालिक का नाम लिखा जाना है। पिछले साल महापौर व स्थायी समिति के अध्यक्ष से पूर्व अनुमति लेकर निगम प्रशासन ने इसके लिए टेंडर जारी किया था। विभिन्न प्रक्रियाओं को पूरा करने के बाद इस कार्य का जिम्मा दक्षिण अफ्रीका की डाटा कंपनी को दिया गया था लेकिन प्रति यूनिट तय 408 रुपये की दर और आर्थिक तंगी को लेकर स्थायी समिति ने इस प्रस्ताव को पास नहीं किया था। पिछले स्थायी समिति अध्यक्ष प्रवेश शर्मा के कार्यकाल में इस परियोजना का उद्धाटन समारोह आयोजित किया गया लेकिन उसमें निगम के नेता नहीं पहुंचे। कार्य आदेश जारी होने के बाद भी स्थायी समिति से प्रस्ताव पास नहीं होने की वजह से पिछले चार महीने से काम आगे नहीं बढ़ पा रहा था लेकिन अब इसका रास्ता साफ हो गया है। बृहस्पतिवार को स्थायी समिति ने प्रस्ताव पास कर दिया। हालांकि समिति के सदस्य राजीव वर्मा ने आयुक्त को उस बात पर कायम रहने के लिए कहा है जिसमें उन्होंने कहा था कि इस मद में होने वाले करीब 55 करोड़ रुपये की व्यवस्था शहरी विकास मंत्रालय या दिल्ली सरकार के माध्यम से की जाएगी। इसमें निगम का फंड नहीं लगाया जाएगा। इसके अलावा उन्होंने हाउ¨सग सोसाइटियों व डीडीए फ्लैटों के एवज में प्रति यूनिट 408 रुपये नहीं लेने की भी मांग की। इस मामले में महापौर बिपिन बिहारी ¨सह ने भी आयुक्त को पत्र लिखा है। इसमें यह दलील दी गई है कि हाउ¨सग सोसाइटी और डीडीए के फ्लैट की पैमाइश तो पहले से ही है। इसमें कोई बदलाव भी नहीं हुआ है। आयुक्त डॉ. रणबीर ¨सह ने कहा कि चूंकि कई जगहों पर फ्लैटों के आकार में बदलाव किया गया है, इसके अलावा उसका भू-उपयोग भी बदला गया है। साथ ही सभी का डाटा बेस तैयार करना है। निगम के नेताओं का कहना है कि इस मामले में जो भी तथ्य सामने आएंगे उसके अनुसार बदलाव किया जाएगा।
----------------- फोटो फाइल 05 ईएनडी 101 व 102 एलईडी लाइट के लिए क्या पंडितजी से मुहूर्त निकलवाएं
गुस्सा - कुछ वार्डो में बारी से पहले ही लाइट लगाए जाने का पार्षदों ने किया विरोध - स्थायी समिति की बैठक में जताई आपत्ति तो जांच के लिए बनाई गई समिति जागरण संवाददाता, पूर्वी दिल्ली : स्थायी समिति की बैठक में बृहस्पतिवार को पक्ष-विपक्ष के पाषर्दो ने एलईडी लाइटों को लगाए जाने के तरीकों को लेकर एतराज जताया। पार्षदों ने कहा कि समझ नहीं आ रहा है कि अधिकारी किस तरीके से लाइटें लगवा रहे हैं। कुछ विशेष वार्डो पर उनका कुछ ज्यादा ही ध्यान है तो कुछ पर बिल्कुल नहीं। शिकायतों के बाद इसकी जांच के लिए एक समिति गठित की गई है। निगम पार्षद गुरजीत कौर ने कहा कि अधिकारियों का गणित समझ से परे है। उन्होंने कहा, मेरे वार्ड में एलईडी लाइट लगे इसके लिए मैं पंडितजी से मुहूर्त निकलवाऊं या हवन करवाऊं, यह समझ में नहीं आ रहा है। अधिकारियों ने पहले 37 नंबर वार्ड में लाइट को लगवाया, फिर 41 में, उसके बाद 40 में और अब 47 नंबर वार्ड में चले गए जबकि एक तरफ से वार्डो में लाइटें लगाई जानी चाहिए थीं। निगम पार्षद राजीव चौधरी ने कहा कि जिन इलाकों में अंधेरा रहता है वहां हाईमास्ट लाइटें तक नहीं बदली जा रही हैं। ऐसा लगता है कि निगम अधिकारी लगातार हादसे का इंतजार कर रहे हैं। जहां डार्क स्पॉट हैं वहां कई हादसे हो चुके हैं। उन्होंने कहा कि जो एलईडी लाइटें लगाई जा रही हैं, उनकी गुणवत्ता अच्छी नहीं है। रेखा त्यागी ने भी लाइट लगाने में गड़बड़ी की शिकायत की। निगमायुक्त डॉ. रणबीर ¨सह ने कहा कि एलईडी लाइटों को लेकर जल्द ही कंपनी के उच्च अधिकारियों के साथ बैठक की जाएगी। पार्षदों की मांग पर स्थायी समिति चेयरमैन सत्यपाल ¨सह ने समिति गठित की है, जो एलईडी लाइट लगाने वाली कंपनी की कार्यप्रणाली व गुणवत्ता की जांच करेगी। इसका संयोजक प्रवेश शर्मा को बनाया गया है। सदस्यों में स्थायी समिति के डिप्टी चेयरमैन रोमेश गुप्ता, निगम पार्षद गुरजीत कौर व रेखा त्यागी हैं।
आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।