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सवा करोड़ बचाने के चक्कर में खर्च कर दिए साढ़े तीन करोड़

पूर्वी निगम की खस्ताहाली दूर करने के लिए सवा करोड़ रुपये बचाने की योजना बनाई गई लेकिन दूसरी ओर निगम ने साढ़े तीन करोड़ रुपये खर्च कर दिए। शिक्षकों को जून माह का परिवहन भत्ता (टीए) न देकर निगम ने रुपयों की बचत की वहीं 365 निगम स्कूलों के प्र

By JagranEdited By: Updated: Thu, 28 Jun 2018 10:43 PM (IST)
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सवा करोड़ बचाने के चक्कर में खर्च कर दिए साढ़े तीन करोड़

जागरण संवाददाता, पूर्वी दिल्ली: पूर्वी निगम ने अपनी खस्ता हालत दूर करने के लिए सवा करोड़ रुपये बचाने की योजना बनाई, लेकिन इसके बदले साढ़े तीन करोड़ रुपये अतिरिक्त खर्च कर दिए। शिक्षकों को जून माह का परिवहन भत्ता (टीए) नहीं देकर निगम ने जहां बचत की, वहीं 365 निगम स्कूलों के प्रधानाचार्यों को पूरे जून पुस्तक बांटने के लिए बुला लिया। इसके एवज में उन्हें करीब साढ़े तीन करोड़ रुपये देने पड़ेंगे।

इस मामले को लेकर पूर्वी दिल्ली नगर निगम शिक्षक यूनियन के एक प्रतिनिधिमंडल ने निगम आयुक्त डॉ. रणबीर ¨सह से मुलाकात की और शिक्षकों पर की जा रही कथित ज्यादती की शिकायत की। उन्होंने कहा कि एक तरफ प्रधानाचार्यों को एक माह का अतिरिक्त वेतन दिया जा रहा है, वहीं शिक्षकों से काम लेकर भी उनकी हाजिरी तक नहीं लगाई गई।

प्रतिनिधिमंडल में शिक्षक नेता महिपाल मावी, विभा ¨सह, रामनिवास सोलंकी, मंटू बंसल, तारिक आलम और सत्यप्रकाश छाबड़ी रहे। शिक्षकों ने कहा कि जून माह में बच्चों को पुस्तकें बांटने का जिम्मा प्रधानाचार्यों को दिया गया था। इसलिए वह पूरे जून स्कूल आए। इस कार्य में प्रधानाचार्यों ने कई शिक्षकों को भी लगाया था, क्योंकि पुस्तक अकेले नहीं बांटी जा सकती और फाइल पर क्लास टीचर के भी दस्तखत होते हैं। इसके बावजूद उनकी हाजिरी नहीं लगाई गई। इतना ही नहीं छुट्टियों के दिनों में सभी स्कूलों में स्वास्थ्य जांच शिविर भी लगाए गए थे। उसमें भी शिक्षकों को बुलाकर हाजिरी नहीं लगाई गई। निगम स्कूल 30 जून को खुलते थे, उसे बढ़ाकर दो जुलाई कर दिया गया। इसलिए उन्हें परिवहन भत्ता (टीए) नहीं मिलेगा।

शिक्षकों का कहना है कि उन्हें प्रत्येक जून में 3500 रुपये का परिवहन भत्ता मिलता था। उससे उन्हें इस वर्ष वंचित कर दिया गया। ऐसा करके निगम ने सवा करोड़ रुपये की बचत की, लेकिन दूसरी तरफ निगम को साढ़े तीन करोड़ रुपये का नुकसान हो गया। प्रधानाचार्यों को किताब बांटने के लिए पूरे जून माह बुलाया गया, जिससे उन्हें 25 दिनों के अर्जित अवकाश का भुगतान करना पड़ेगा। शिक्षक नेता महिपाल मावी कहते हैं कि निगम प्रशासन की अनदेखी की वजह से ऐसा हुआ है। एक तरफ शिक्षक स्कूल पहुंचते रहे पर उनकी हाजिरी नहीं लगी। वहींख् दूसरी ओर प्रधानाचार्यों को जबरन पूरे जून माह स्कूल आना पड़ा। निगम प्रशासन के इस रवैये से सभी को नुकसान हुआ।

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यह आयुक्त की हठधर्मिता की वजह से हुआ है। एक तरफ सवा करोड़ रुपये बचाए गए हैं तो दूसरी तरफ साढ़े तीन करोड़ रुपये अतिरिक्त खर्च कर दिए गए। अगर पुस्तकें बांटने का काम छुट्टी से पहले कर लिया गया होता तो निगम को आर्थिक नुकसान नहीं होता। एक तरफ शिक्षकों को टीए नहीं देने से नुकसान हुआ है, वहीं दूसरी तरफ निगम पर भी आर्थिक बोझ बढ़ा है।

सत्यपाल ¨सह, चेयरमैन, स्थायी समिति

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