एक साथ एक हजार इलेक्ट्रिक बसों की खरीद पर फिर उठे सवाल
-हैदराबाद में आयोजित दो दिवसीय सम्मेलन में सामने आई कई आपत्तियां -बिजली आपूर्ति और प्रदूषण्
By JagranEdited By: Updated: Sun, 29 Jul 2018 08:41 PM (IST)
संजीव गुप्ता, नई दिल्ली
एक साथ एक हजार इलेक्ट्रिक बसें खरीदे जाने के दिल्ली सरकार के निर्णय पर फिर सवाल खडे़ हो गए हैं। पर्यावरण संरक्षण व नियंत्रण प्राधिकरण (ईपीसीए) के बाद अब यह सवाल अन्य राज्यों के विशेषज्ञों और सरकारी अधिकारियों ने खडे़ किए है। उनका कहना है कि इससे वायु प्रदूषण भी खत्म नहीं होगा। हैदराबाद स्थित एडमिनिस्ट्रेटिव स्टाफ कॉलेज ऑफ इंडिया में 26-27 जुलाई को जलवायु परिवर्तन पर हुए दो दिवसीय सम्मेलन में वायु प्रदूषण, ग्लोबल वार्मिग, थर्मल पावर प्लांट और ई- वाहनों सहित कई मुद्दों पर चर्चा हुई। इस पर भी विचार हुआ कि सार्वजनिक परिवहन के रूप में इलेक्ट्रिक बसों को चलाने का निर्णय पायलट प्रोजेक्ट है। सफल रहने पर ही इसे आगे बढ़ाया जाना चाहिए।
तेलंगाना राज्य औद्योगिक ढांचागत निगम लिमिटेड (टीएसआइआइसी) के निदेशक विजय जायसवाल ने बताया कि तेलंगाना सरकार ने 100 इलेक्ट्रिक बसें खरीदने का निर्णय लिया है। ई- बसें नई तकनीक पर आधारित हैं, इन बसों की बड़ी खरीद से पहले जांचना होगा कि सार्वजनिक परिवहन के रूप में यह कितनी अनुकूल हैं। जायसवाल के अनुसार, एक बस में 250 किलोवाट की बैटरी लगाई जाती है। इसे चार्ज करने के लिए बिजली की भी मांग बढ़ेगी। इसके लिए ग्रिड व लोड प्रबंधन को भी मजबूती देनी होगी। इलेक्ट्रिक वाहनों को प्रोत्साहित करने के क्रम में बिजली की दरें भी कई तरह से तय करनी पडें़गी। कम व्यस्त समय में दरें कम रखनी होंगी जबकि व्यस्त समय में ज्यादा।
दिल्ली के संदर्भ में उनका कहना था कि एक साथ इतनी अधिक बसें खरीदना तर्कसंगत फैसला नहीं है। अगर यह प्रोजेक्ट सफल नहीं रहा तो आर्थिक नुकसान भी उतना ही बड़ा उठाना होगा। स्टाफ कॉलेज में ऊर्जा क्षेत्र के एसोसिएट प्रोफेसर राजकिरन वी. बिलोलीकर ने बताया कि दिल्ली सरकार को एक हजार इलेक्ट्रिक बसें खरीदने से पहले इनके लिए बिजली आपूर्ति भी सुनिश्चित करनी होगी। यहां बिजली उत्पादन महज 1200 मेगावाट है, जबकि मांग सात हजार मेगावाट तक पहुंच गई है। इसलिए दिल्ली सरकार को चरण बद्ध तरीके से ही इलेक्ट्रिक बसों को खरीदने एवं चलाने का निर्णय लेना चाहिए।
केंद्र ने पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर 40 बसें ही चलाने को कहा : केंद्र सरकार के भारी उद्योग मंत्रालय ने दिसंबर 2017 में इलेक्ट्रिक बसों के पायलट प्रोजेक्ट के लिए दस लाख से अधिक आबादी वाले 11 शहरों का चयन किया था। इस सूची में दिल्ली के अलावा बेंगलुरु, हैदराबाद, इंदौर, लखनऊ, मुंबई, जयपुर, कोलकाता, अहमदाबाद, जम्मू और गुवाहाटी शामिल हैं। जम्मू और गुवाहाटी में 15-15 बसें और शेष शहरों में 40-40 बसें चलाने को कहा था, इसके लिए केंद्र सरकार सब्सिडी भी देगी। 250 किलोवाट बैटरी के लिए चाहिए 250 यूनिट बिजली : एक बस में अमूमन 250 किलोवाट क्षमता की बैटरी होती है। प्रति किलो वाट के लिए एक यूनिट के हिसाब से 250 किलोवाट बैटरी को चार्ज करने में करीब 250 यूनिट बिजली खर्च होगी। इस तरह से एक हजार बसों की चार्जिग के लिए 2.50 लाख यूनिट बिजली चाहिए होगी। एक बार चार्ज होने के बाद एक बस करीब 200 किलोमीटर की दूरी तय कर पाएगी।
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