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गांधी नगर में फिर शुरू हुआ अतिक्रमण

सर्वाेच्च न्यायालय के आदेश पर अमल करते हुए जैसे तैसे पूर्वी दिल्ली नगर निगम के शाहदरा दक्षिणी जोन व शाहदरा जिला प्रशासन ने संयुक्त रूप से मिलकर गांधी नगर पुस्ता रोड पर अतिक्रमण मुक्त अभियान लगाया था। जिस दिन अभियान चलाया गया था, उस दिन यहां के स्थानीय निवासियों को लगा था कि शायद अतिक्रमण से निजात मिलेगी। लेकिन अभियान के दो दिन बाद अतिक्रमण के वही हालात हो गए हैं। सर्विस रोड से लेकर पुस्ता रोड पर अवैध पार्किंग व कपड़ा व्यापारियों ने कपड़े के थान रखने के लिए अगल अलग गोदाम बनाए हुए हैं।

By JagranEdited By: Updated: Sun, 06 May 2018 08:16 PM (IST)
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गांधी नगर में फिर शुरू हुआ अतिक्रमण

जागरण संवाददाता, पूर्वी दिल्ली : सर्वाेच्च न्यायालय के आदेश पर गांधी नगर से अतिक्रमण तो हटा दिया गया, लेकिन निगरानी की कमी के कारण तीन दिन बाद ही फिर पुराने जैसे हालात हो गए। गांधी नगर एशिया की बड़ी गारमेंट्स मार्केट में से एक है और यहां विभिन्न राज्यों के अलावा विदेशों से भी लोग खरीदारी करने आते हैं। इसलिए भीड़भाड़ ज्यादा होती है।

पूर्वी निगम के शाहदरा दक्षिणी जोन और शाहदरा जिला प्रशासन ने यहां बृहस्पतिवार (तीन मई) को अतिक्रमण के खिलाफ संयुक्त रूप से बड़े पैमाने पर कार्रवाई थी। वर्षो बाद हुई इस कार्रवाई के बाद लोगों ने भी राहत की सांस ली थी, लेकिन एक बार फिर फुटपाथ से लेकर सड़क तक पर अवैध कब्जा हो गया। हालात ऐसे हैं कि जितना माल दुकानों व गोदाम में है, उतना ही माल सर्विस रोड व फुटपाथ पर है। इसकी पै¨कग भी सड़क पर ही की जा रही है। दिन में माल की ढुलाई पर रोक है, लेकिन व्यापारी इस नियम की भी धज्जियां उड़ाने से बाज नहीं आते।

वहीं, अवैध रूप से वाहन पार्क करने का खेल भी जारी है, जबकि पुस्ता रोड पर ही निगम की पार्किंग है। दुकानदारों ने अपनी दुकान व गोदाम में आने जाने के लिए पुस्ता रोड से दुकान तक लोहे के जाल से रास्ता बनाया था। निगम ने इसे तोड़ दिया था, लेकिन दुकानदारों ने फिर से रास्ता बना लिया।

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सामाजिक कार्यकर्ता की जुबानी

सामाजिक कार्यकर्ता एमके कश्यप ने बताया कि पुस्ता रोड की सर्विस रोड सात मीटर चौड़ी और 1300 मीटर लंबी है। यह सड़क कैलाश नगर से गीता कॉलोनी श्मशान घाट तक जाती है। वर्ष-2003 में दिल्ली हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश ने अतिक्रमण हटाने का आदेश दिया था। वर्ष-2011 में दिल्ली के मुख्य सचिव के आदेश पर अतिक्रमण हटाने के लिए एसटीएफ का गठन किया गया था, लेकिन कभी अतिक्रमण नहीं हटा। यहां 1998 से व्यापक पैमाने पर अवैध कब्जा है। सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के बाद कार्रवाई तो हुई, लेकिन दो दिन बाद ही हालात फिर पुराने जैसे हालात हो गए।

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पुस्ता रोड लोक निर्माण विभाग के अंतर्गत आता है। दो दिन पहले एसटीएफ ने यहां कार्रवाई की थी, लेकिन सिर्फ अभियान चलाने से काम नहीं चलेगा। अतिक्रमण हटाने के बाद निगरानी भी रखनी पड़ेगी। अधिकारियों को अपनी जिम्मेदारी से भागना नहीं चाहिए। उन्हें दोबारा कार्रवाई कर पुस्ता रोड को पूरी तरह से अतिक्रमण मुक्त कराना चाहिए।

-रोमेश चंद गुप्ता, पार्षद, शास्त्री पार्क

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