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ईपीसीए अध्यक्ष के दौरे के अगले दिन उपनगरी में एजेंसियां हुई सक्रिय

-- निवासियों का कहना है कि स्थायी तौर पर कायम रहनी चाहिए सक्रियता फोटो नंबर 25 यू

By JagranEdited By: Updated: Thu, 25 Oct 2018 08:59 PM (IST)
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ईपीसीए अध्यक्ष के दौरे के अगले दिन उपनगरी में एजेंसियां हुई सक्रिय

-- निवासियों का कहना है कि स्थायी तौर पर कायम रहनी चाहिए सक्रियता फोटो नंबर 25 यूटीएम 12, 13

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जागरण संवाददाता, पश्चिमी दिल्ली : पर्यावरण प्रदूषण नियंत्रण एवं संरक्षण प्राधिकरण (ईपीसीए) के अध्यक्ष भूरेलाल के दौरे से उपनगरी के लोगों में इस बात को लेकर उम्मीद जगी है कि अब प्रदूषण के मसले पर सरकारी एजेंसियां जमीनी तौर पर कार्य करेंगी। दौरे के अगले दिन जिस तरह से सड़कों पर सफाईकर्मी नजर आ रहे थे, उसे लेकर द्वारका निवासियों का कहना है कि इस तरह की सक्रियता एकाध दिन नहीं बल्कि रोज रहनी चाहिए।

ईपीसीए अध्यक्ष भूरेलाल के दौरे के अगले ही दिन शुक्रवार को उपनगरी की सड़कों पर सरकारी एजेंसियों की सक्रियता नजर आ रही थी। कई जगह सड़कों पर सफाई का कार्य मशीन से किया जा रहा था। दक्षिणी दिल्ली निगम के अधिकारियों का कहना है कि उपनगरी के विभिन्न क्षेत्रों में सड़कों पर सफाई के लिए मैकेनिकल स्वी¨पग की व्यवस्था की गई है। अधिकारियों ने बताया कि मैकेनिकल स्वी¨पग से सफाई के दौरान धूल की समस्या काफी हद तक कम होती है। इसके अलावा सड़कों के किनारे पड़े हरित कचरे को भी सफाईकर्मी उठाते नजर आए। कई जगह सफाई के बाद दवा का छिड़काव भी किया गया।

नियम की अनदेखी पर 29 लोगों के चालान :

निगम अधिकारियों का कहना है कि पिछले दो दिनों के दौरान 29 चालान किए गए हैं। ये चालान भवन निर्माण सामग्री को खुले में रखने, कूड़े में आग लगाने पर किए गए हैं। इस तरह की कार्रवाई आने वाले समय में भी जारी रहेगी। कई जगह ध्यान देने की जरूरत :

उपनगरी द्वारका के सेक्टर-13, 16 व 14 में कई जगह अभी भी सड़क किनारे हरित कचरे पड़े हुए हैं। स्थानीय निवासियों का कहना है कि ऐसा हाल लंबे समय से बना हुआ है। यहां सड़क किनारे जगह-जगह कूड़े के ढेर हैं। लोगों का कहना है कि इस समस्या की ओर ध्यान देना चाहिए। अभी और सक्रिय होने की आवश्यकता :

द्वारका में पर्यावरण से जुड़े ग्रीन सर्किल संस्था के उपाध्यक्ष अनिल पाराशर बताते हैं कि ईपीसीए अध्यक्ष भूरेलाल के दौरे के बाद सरकारी एजेंसियां सक्रिय हुई हैं, लेकिन इस सक्रियता का असर नजर आने में अभी वक्त लगेगा। इस बीच सरकारी एजेंसियों को सक्रियता लगातार दिखानी होगी, अन्यथा स्थायी नतीजे कभी सामने नहीं आएंगे। हरित कचरे की समस्या का होना चाहिए समाधान : द्वारका निवासियों का कहना है कि कचरे में आग लगाने की अधिकांश घटनाओं का कारण हरित कचरा है। हरित कचरे से खाद बनाया जाना सबसे बेहतर विकल्प है, लेकिन इसके ढेर में आग लगा दी जाती है।

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