देखरेख के अभाव में 36 गायों ने तोड़ा दम
- नौ दिन पहले घुम्मनहेड़ा ग्रामीण समिति के सदस्यों को खदेड़कर आचार्य सुशील मुनि ट्रस्ट के लोगों ने कर
- नौ दिन पहले घुम्मनहेड़ा ग्रामीण समिति के सदस्यों को खदेड़कर आचार्य सुशील मुनि ट्रस्ट के लोगों ने कर लिया था कब्जा जागरण संवाददाता, पश्चिमी दिल्ली : घुम्मनहेड़ा गोशाला में फैली अव्यवस्था एक बार फिर गायों का जीवन लील रही है। पिछले पांच दिनों के दौरान यहां 36 गायों की मौत हो चुकी है। हालत यह है कि निगम मृत गायों को गोशाला परिसर से बाहर भी नहीं ले जा रहा है, ऐसे में बदबू भी फैलने लगी है। बारिश की वजह से गोशाला परिसर में पानी भर जाने से अब यहां पर मरी हुई गायें सड़ने लगी हैं। गायों के मरने का सिलसिला तब से शुरू हुआ जब आचार्य सुशील मुनि ने घुम्मनहेड़ा ग्रामीण समिति के हाथों से प्रबंधन छीनकर स्वयं देखभाल करना शुरू कर दिया। दो साल पहले भी इसी तरह की विकट स्थिति पैदा हुई थी। परिसर में गंदा पानी भरने से गायें बीमार होने लगी थीं। खान-पान ठीक नहीं होने से कमजोर गायें दम तोड़ने लगी थीं। इस गोशाला में 1500 गायें हैं।
दो साल पहले जब घुम्मनहेड़ा गोशाला की स्थिति खराब होने की सूचना दिल्ली सरकार और निगम के अधिकारियों को मिली तो सर्वे करने के बाद आचार्य सुशील मुनि ट्रस्ट की प्रबंधक गुरुछाया को बाहर का रास्ता दिखा दिया गया। साथ ही घुम्मनहेड़ा ग्रामीण गोशाला समिति के माध्यम से देखरेख करने के लिए समिति बना दी गई थी। इसके बाद आचार्य सुशील मुनि ट्रस्ट ने घुम्मनहेड़ा ग्रामीण समिति के माध्यम से काम करना शुरू कर दिया। समिति ने भी घुम्मनहेड़ा के ग्रामीण व समाज सेवक श्याम सुंदर यादव को गोशाला की देखरेख का जिम्मा दे दिया। लेकिन, दो साल तक इसका कार्यभार देखते रहने के दौरान आचार्य सुशील मुनि ट्रस्ट की ओर से एक पैसा नहीं दिया गया। जब समिति के सदस्य गायों के लिए भूसा, दाना, दवाई व कर्मचारियों के वेतन के पैसे मांगने लगे तो ट्रस्ट ने आंख दिखाना शुरू कर दिया। समिति के सदस्यों का कहना था कि गोशाला से जुड़े तमाम फंड ट्रस्ट के पास आते हैं, ऐसे में ट्रस्ट को पैसे देने चाहिए। लेकिन, ट्रस्ट उनकी बात को अनसुना कर देता था। ट्रस्ट के माध्यम से रखे गए कर्मचारी समिति पर अनाप-शनाप आरोप लगा रहे थे, तब समिति ने इन्हें बाहर का रास्ता दिखाया। इसके बाद से आचार्य सुशील मुनि ट्रस्ट ने घुम्मनहेड़ा गोशाला को अपने हाथों में दोबारा लेने का प्रयास शुरू कर दिया था। नौ दिन पहले आचार्य सुशील ट्रस्ट की संस्थापक गुरु छाया ने जबरन समिति के सदस्यों को गोशाला से बाहर खदेड़ दिया और घुम्मनहेड़ा के इस ग्रामीण गोशाला पर कब्जा जमा लिया है। ट्रस्ट के हाथों में दोबारा से गोशाला का प्रबंधन आते ही गायों के मरने का सिलसिला शुरू हुआ। जो अब तक थमने का नाम नहीं ले रहा है। ---------------