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स्थानीय पुलिस को सूचित किए बिना गिरफ्तारी पर हाई कोर्ट सख्त

- गाजियाबाद की लोनी पुलिस ने नवविवाहित दंपती को किया था गिरफ्तार - पूर्व न्यायमूर्ति व पूर्व उप्र

By JagranEdited By: Updated: Mon, 27 Aug 2018 10:58 PM (IST)
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स्थानीय पुलिस को सूचित किए बिना गिरफ्तारी पर हाई कोर्ट सख्त

जागरण संवाददाता, नई दिल्ली :

राष्ट्रीय राजधानी की स्थानीय पुलिस को सूचित किए बगैर गाजियाबाद की लोनी पुलिस द्वारा बीते दिनों जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय से की गई नवविवाहित दंपती की गिरफ्तारी पर हाई कोर्ट ने सख्त रवैया अपनाया है। याचिका पर सुनवाई कर रहे न्यायमूर्ति एस मुरलीधर व न्यायमूर्ति विनोद गोयल की पीठ ने कहा कि मामले की जांच के लिए दो सदस्यीय जांच समिति गठित की गई है। इसकी जिम्मेदारी दिल्ली हाई कोर्ट के पूर्व न्यायमूर्ति एसपी गर्ग और पुलिस महानिरीक्षक (जाच) कंवलजीत देवल को दी गई है।

साथ ही पीठ ने गृह मंत्रालय को आदेश दिया कि वह सुनिश्चित करे कि जांच के दौरान दिल्ली पुलिस व उत्तर प्रदेश पुलिस सहयोग करे। देश कानून से चलता है और इस तरह की गतिविधि किसी स्तर पर स्वीकार्य नहीं है। इस तरह की कार्रवाई के लिए पुनर्निरीक्षण प्रक्रिया जरूरी है, जिससे नागरिकों के जीवन और स्वतंत्रता से समझौता न हो। कमेटी अपनी रिपोर्ट में यह भी सुझाव देगी कि किस तरह से व्यवस्था में सुधार लाया जा सकता है।

बता दें कि अलग-अलग समुदाय के युवक-युवती ने 28 जून 2018 को उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद में शादी की थी और फिर युवती ने जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) परिसर में पति के आवास पर रहना शुरू कर दिया था। गाजियाबाद की लोनी पुलिस ने बगैर स्थानीय पुलिस को सूचित किए तीन जुलाई की रात लगभग आठ बजे युवती व युवक को जबरन उठा लाई और युवती को उसके परिजनों को सौंपकर युवक को तीन दिनों तक हवालात में रखा।

पीड़ित युवक ने आरोप लगाया था कि हवालात में उसके साथ मारपीट की गई और धमकाया गया कि अगर उसने पत्नी से मिलने की कोशिश की तो उसे दुष्कर्म के झूठे मामले में फंसा दिया जाएगा।

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