रोहिणी आश्रम में मौजूद महिलाओं की सेहत खराब, हाई कोर्ट ने बनाई कमेटी
जागरण संवाददाता, नई दिल्ली : रोहिणी स्थित आध्यात्मिक आश्रम मामले में सुनवाई के दौरान हैरान
By JagranEdited By: Updated: Fri, 27 Jul 2018 09:56 PM (IST)
जागरण संवाददाता, नई दिल्ली :
रोहिणी स्थित आध्यात्मिक आश्रम मामले में सुनवाई के दौरान हैरान करने वाली सच्चाई सामने आई। मुख्य पीठ के समक्ष दिल्ली महिला आयोग ने जानकारी दी है कि आश्रम में रह रहीं महिलाओं की सेहत बेहद खराब है और वे बुरी हालत में रहने को मजबूर हैं। इस पर कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश गीता मित्तल व न्यायमूर्ति सी हरिशंकर की पीठ ने जेपी सिंह, हरकिशन तारा, और वीना रानी की तीन सदस्यीय कमेटी गठित कर महिलाओं की सेहत का ख्याल रखने का निर्देश दिया। मुख्य पीठ ने वीना रानी को निर्देश दिया किया वह एम्स के डॉक्टर सुरेंद्र नाथ के साथ मध्यस्थता की तारीख तय करें। मामले की अगली सुनवाई 10 अगस्त को होगी। मुख्य पीठ ने निर्देश दिया कि बैठक में महिलाओं और युवतियों के परिवार के लोगों को भी शामिल किया जाए, ताकि उनकी सेहत और रहन-सहन की सही जानकारी हासिल हो सके। अदालत ने नगर निगम से कहा कि वह पता लगाए कि कहीं इस आश्रम का अवैध निर्माण तो नहीं किया गया है। महिला आयोग की अध्यक्ष स्वाति जय¨हद केनेतृत्व में बनी समिति ने अदालत को बताया कि आश्रम में जो महिलाएं मौजूद हैं उनके अपने परिवार से रिश्ते अच्छे नहीं थे, लेकिन अब उन्हें आश्रम में खतरा है। उनकी सुरक्षा भी एक बड़ा मुद्दा है। आश्रम में मौजूद लोगों की मानसिक स्थिति पर एम्स की तरफ से स्टेटस रिपोर्ट भी दाखिल की गई। गौरतलब है कि रोहिणी स्थित वीरेंद्र देव दीक्षित के आश्रम के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई गई थी। आरोप था कि आश्रम में महिलाओं और युवतियों को बंधक बनाकर रखा जाता है और दुष्कर्म की भी घटनाएं हुई हैं। हाई कोर्ट ने इसी जांच केंद्रीय जांच एजेंसी को सौंपी थी और संस्थापक वीरेंद्र देव दीक्षित को गिरफ्तार करने के आदेश दिए थे। गत तारीख पर सीबीआइ ने ये साफ कर दिया था कि वीरेंद्र के बारे में कुछ पता नहीं चला है। उसके खिलाफ इंटरनेशनल ब्लू कॉर्नर नोटिस जारी कराया गया है।
पीठ ने कहा, यह कैसी आध्यात्मिक शिक्षा है : सुनवाई के दौरान मुख्य पीठ ने कहा कि आश्रम की यह कैसी आत्ध्यात्मिक शिक्षा है कि एक बेटी अपने माता-पिता को मना कर रही है और धमकी दे रही है। अदालत में जिन 15 महिलाओं को लाया गया वे अपने परिजनों के बारे में कितना बुरा कह रहीं हैं। एक बेटी कैसे कह सकती है कि वह अपने माता-पिता से बात नहीं करना चाहती। आखिर आश्रम में आपने क्या सिखाया है। यह निराशा की बात है कि अदालत में महिलाओं ने अपने परिजनों से मुंह मोड़ लिया।
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