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देश में तेजी से बढ़ती फार्मा इंडस्‍ट्री के विभिन्‍न क्षेत्रों में कुशल युवाओं के लिए बढ़ रहे अवसर

Career in Pharmacy स्‍वतंत्रता के 75वें वर्ष में प्रवेश के उपलक्ष्‍य में मनाये जा रहे अमृत महोत्‍सव के मौके पर यह बड़े गौरव की बात है कि तमाम तरह की औषधियों के उत्‍पादन में भारत आज आत्‍मनिर्भर है।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Updated: Sat, 21 Aug 2021 09:45 AM (IST)
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विभिन्न तरह की नौकरियों की प्रचुर संभावना ने ही इस फील्‍ड ने युवाओं का भी ध्‍यान अपनी ओर खींचा है।

नई दिल्ली, जेएनएन। हाल के वर्षों में देश का फार्मा सेक्‍टर तेजी से आगे बढ़ते हुए इंजीनियरिंग और मेडिकल को कड़ी टक्‍कर देता दिख रहा है। कोरोना काल में तमाम सेक्टर जहां कमोबेश बदहाल रहे, वहीं इस दौरान फार्मा सेक्टर ने और तेजी से छलांग लगाई। इसका प्रमाण भारत में तेजी से बढ़ती फार्मा कंपनियों की संख्या और इस सेक्टर में कुशल प्रोफेशनल्स की मांग है। रिजर्व बैंक की ताजा आकलन रिपोर्ट के मुताबिक, 2030 तक देश का फार्मा कारोबार तीन गुना से भी ज्‍यादा हो जाएगा, जो अभी मात्रा के हिसाब से दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा औषधि उत्‍पादक देश है। विभिन्न तरह की नौकरियों की प्रचुर संभावना ने ही इस फील्‍ड ने युवाओं का भी ध्‍यान अपनी ओर खींचा है।

फार्मा कोर्स करने के बाद अब सिर्फ अस्पतालों में फार्मासिस्ट बनने का विकल्प ही नहीं है, बल्कि रिसर्चर, एनालिस्ट, ड्रग इंस्पेक्टर, मार्केटिंग एग्जीक्यूटिव/मेडिकल एक्जीक्यूटिव जैसे कई अन्य आकर्षक पेपैकेज वाली नौकरियां भी सामने आ गई हैं। इनमें तरक्की की अवसर भी खूब हैं। स्पेशलाइजेशन के जरिये युवा नई मेडिसिन के रिसर्च से लेकर उसकी मैन्यूफैचरिंग और मार्केटिंग से भी जुड़ सकते हैं। कोविड जैसी महामारी के लंबे समय तक रहने वाले प्रभाव और भारत जैसे देश में दवाओं की बड़े पैमाने पर जरूरत को देखते हुए यह कहा जा सकता है कि फार्मा कोर्स करने वाले युवाओं को आने वाले समय में भी लगातार भरपूर अवसर मिलते रहेंगे।

तेजी से बढ़ता सेक्‍टर: विभिन्न रोगों के इलाज में काम आने वाली औषधियों के निर्माण, स्टोरेज और डाक्टर के प्रिस्क्रिप्शन के अनुसार दवाओं के वितरण से जुड़े विज्ञान को फार्मेसी कहते हैं। मेडिकल के क्षेत्र में हर दिन जिस तरह की नई खोज हो रही है, उसमें फार्मेसी का अहम रोल है। यही वजह है कि पिछले तीन दशकों के दौरान फार्मेसी के जानकार औषधि अनुसंधान और उद्योग में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। आइए जानते हैं फार्मेसी का कोर्स करके आप किस-किस रूप में एक आकर्षक करियर बना सकते हैं:

फार्मासिस्‍ट: देखा जाए तो यह पारंपरिक और सदाबहार नौकरी है। सरकारी व निजी अस्‍पतालों, नर्सिंग होम्स, हेल्थकेयर सेंटर्स आदि में इनकी अनिवार्य जरूरत होती है। डाक्टर के प्रिस्क्रिप्शन को समझ कर उसके अनुसार सही दवा देने के काम काम फार्मासिस्ट ही करते हैं। डाक्टर की बात और पर्चे को ठीक से न समझ पाने के कारण प्राय: ये मरीज या तीमारदार को दवाओं के सेवन के बारे में अच्छी तरह समझाते भी हैं। दवाओं की दुकान खोलने के लिए भी एक फार्मासिस्ट के रूप में समुचित प्राधिकारी से लाइसेंस होना चाहिए। यह लाइसेंस उसे ही मिलता है, जो किसी मान्यताप्राप्त संस्थान से फार्मेसी का कोर्स किया होता है।

ड्रग इंस्‍पेक्‍टर: फार्मेसी कोर्स करके ड्रग इंस्‍पेक्‍टर भी बन सकते हैं। फार्मा कंपनियों से बनने के बाद जब दवाएं बाजार में आती हैं, उससे पहले ड्रग इंस्‍पेक्‍टर ही दवाओं की गुणवत्‍ता, उसकी उपयोगिता और सुरक्षा को सुनिश्चित करने का काम करते हैं। ड्रग इंस्‍पेक्‍टर को मेडिसिन के बारे में और मेडिसिन से जुड़े कानूनों की अच्‍छी जानकारी होती है। दवाओं में साल्‍ट के कंबिनेशन और उसके टेस्टिंग की भी इन्‍हें समझ होती है।

मेडिकल रिप्रजें‍टेटिव: बीफार्मा डिग्री करके मेडिकल रिप्रजेंटेटिव (एमआर) भी बना जा सकता है। सभी छोटी-बड़ी फार्मा कंपनियां अपने फार्मा प्रोडक्‍ट्स और मेडिकल डिवाइसेज की मार्केटिंग के लिए ऐसे प्रोफेशनल्‍स को नियुक्‍त करती हैं। ऐसे प्रोफेशनल्‍स को पैकेज भी काफी अच्‍छा मिलता है। साथ में सालाना सेल्‍स इंसेंटिव भी मिलता है।

क्‍वालिटी कंट्रोल एसोसिएट: फार्मा इंडस्‍ट्री में इस विशेषज्ञता वाले प्रोफेशनल्स की भी काफी मांग देखी जा रही है। फार्मास्‍युटिकल से लेकर सभी तरह के मेडिकल डिवाइसेज के प्रोडक्‍शन/ मैन्‍युफैक्‍चरिंग यूनिट्स में गुणवत्‍ता मानकों को सुनिश्चित करने के लिए ऐसे प्रोफेशनल्‍स की सेवाएं ली जाती हैं। बीफार्मा में ग्रेजुएशन करके प्रोडक्‍शन एवं क्‍वालिटी कंट्रोल एसोसिएट के तौर पर करियर शुरू किया जा सकता है।

मेडिकल स्‍क्राइव: यह एक नये तरह का जॉब प्रोफाइल है। इन दिनों इसमें करियर अपॉर्च्‍युनिटी बहुत तेजी से बढ़ रही है। मेडिकल स्‍क्राइव को ही मेडिकल कोडर या मेडिकल ट्रांसक्रिप्‍शन एग्‍जीक्‍यूटिव भी कहा जाता है, जो मेडिकल से दस्‍तावेजों का लेखन करते हैं, दवाओं का डिस्क्रिप्‍शन और मैन्‍युअल तैयार करते हैं। शुरुआत में छोटी-छोटी फार्मा कंपनियों के लिए काम करते हुए आगे चलकर यहां बड़ी कंपनियों में अवसर बड़ी आसानी से मिल जाते हैं और तब पे पैकेज भी काफी अच्‍छा मिलता है। अमूमन बीफार्म क्‍वालिफाई लोगों को कंपनियां अपने यहां इन पदों पर रखती हैं।

क्‍लीनिकल फार्मासिस्‍ट/ ड्रग इंफार्मेशन फार्मासिस्‍ट: ऐसे प्रोफेशनल्‍स मरीजों को दी जाने वाली दवाओं के विभिन्‍न पहलुओं की

क्‍लीनिकल जांच करते हुए उससे मरीजों को जागरूक करते हैं। माना जा रहा है कि आने वाले दिनों में नई नई बीमारियों के सामने आने से इस प्रोफाइल के जॉब्‍स की उपयोगिता और बढ़ेगी।

क्‍लीनिकल रिसर्च : फार्मा कंपनियों द्वारा किसी तरह की औषधि (लिक्‍विड, टैबलेट या कैप्‍सूल फार्म में) बनाने से पहले उससे संबंधित कई तरह के रिसर्च और ट्रायल करने होते हैं। इस तरह के कार्य फार्मेसी में कुशल प्रोफेशनल्‍स ही कर सकते हैं। आज जबकि देश में विभिन्‍न औषधियों का उत्‍पादन तेजी से बढ़ रहा है, ऐसे में दवा उत्‍पादक कंपनियों को ऐसे रिसर्चर की लगातार जरूरत होती है जो गुणवत्‍ता के साथ औषधि उत्‍पादन में मददगार हो सकें।

शैक्षिक योग्यताएं: बारहवीं के बाद फार्मेसी में डिप्लोमा या डिग्री कोर्स (डी फार्म) किया जा सकता है। डिप्लोमा कोर्स के लिए फिजिक्स, केमिस्ट्री, बायोलॉजी या मैथ्स के साथ बारहवीं होना चाहिए। यह दो वर्ष का होता है। वहीं, ग्रेजुएशन यानी बी फार्म (बैचलर इन फार्मेसी) कोर्स चार वर्ष का अवधि है। यह कोर्स मैथ्स के अलावा, कंप्यूटर साइंस, बायोटेक्नोलाजी व बायोलाजी से बारहवीं करने वाले भी कर सकते हैं। फार्मा कोर्स में दाखिले के लिए प्रवेश परीक्षा क्लियर करनी होती है। नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (एनटीए) के अलावा विभिन्न राज्य अपने स्तर पर यह परीक्षा आयोजित करते हैं।

प्रमुख संस्‍थान

दिल्‍ली इंस्‍टीट्यूट ऑफ फार्मास्‍यूटिकल साइंसेज ऐंड रिसर्च, दिल्‍ली

www.dipsar.ac.in

जामिया हमदर्द, नई दिल्‍ली

http://jamiahamdard.edu

एनआइईटी, ग्रेटर नोएडा

https://www.niet.co.in/

आर्यन इंस्‍टीट्यूट आफ टेक्‍नोलाजी, गाजियाबाद

https://www.aitgzb.ac.in

कोर्स एक, करियर अनेक: नई दिल्‍ली के आइपी यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर प्रो. (डा.) महेश वर्मा ने बताया कि भारत दुनिया में फार्मेसी का बहुत बड़ा सेंटर है। यहां डीफार्म कोर्स करके केमिस्ट शाप खोल सकते हैं, इंडस्‍ट्री में काम कर सकते हैं, ड्रग इंस्‍पेक्‍टर बन सकते हैं। अगर एमफार्म कर लेते हैं, तो प्रोफेसर बनकर मेडिकल कालेज में पढ़ा सकते हैं। पीएचडी करके रिसर्च कर सकते हैं। जब तक बीमारियां रहेंगी, तो दवाइयां भी रहेंगी। कोविड जैसी वायरस संबंधी बीमारियां सामने आने से रिसर्च का स्‍कोप बहुत बढ़ गया है। सबसे अच्‍छी बात यह है कि इस फील्‍ड में बहुत सारे डाइवर्स एरियाज हैं, जहां फार्मा कोर्स करके करके दस से अधिक क्षेत्रों में करियर को आगे बढ़ाया जा सकता है।

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