नहीं होता ब्लैक, व्हाइट या यलो फंगस, ये नाम गलत, जानिए इन नामों पर क्या कहते हैं अस्पतालों के डॉक्टर
कोरोना महामारी के बीच ब्लैक फंगस व्हाइट फंगस और यलो फंगस के मामले सामने आने शुरू हो गए हैं। लेकिन एम्स सहित बड़े अस्पतालों के डाक्टर कहते हैं कि म्यूकोरमाइकोसिस को ब्लैक फंगस कहना गलत है। व्हाइट व यलो फंगस भी नहीं होता।
By Vinay Kumar TiwariEdited By: Updated: Wed, 26 May 2021 12:08 PM (IST)
राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली। कोरोना महामारी के बीच ब्लैक फंगस, व्हाइट फंगस और यलो फंगस के मामले सामने आने शुरू हो गए हैं। लेकिन एम्स सहित बड़े अस्पतालों के डाक्टर कहते हैं कि म्यूकोरमाइकोसिस को ब्लैक फंगस कहना गलत है। व्हाइट व यलो फंगस भी नहीं होता। पहले भी मरीजों में कई तरह के फंगस संक्रमण होते रहे हैं। लेकिन सबका निष्कर्ष यही है कि कोरोना से संक्रमित रहे लोगों में प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होने से फंगल संक्रमण बढ़ा है। कोरोना, अनियंत्रित मधुमेह व स्टेरायड तीनों मिलकर शरीर की प्रतिरोधक क्षमता कमजोर कर रहे हैं।
ब्लैक, व्हाइट या यलो फंगस की बात गलत फंगस कई तरह के होते हैं। एम्स ट्रॉमा सेंटर की लैब मेडिसिन की प्रोफेसर डा. पूर्वा माथुर ने कहा कि काले, सफेद या पीले फंगस की जो बातें कही जा रही हैं, यह गलत नाम है। कल्चर जांच में रंग के आधार पर ब्लैक व व्हाइट फंगस कहा जाने लगा। ब्रेड खराब होने पर एस्परजिलस फंगस लग जाता है। इसी तरह म्यूकरमाइकोसिस अलग तरह का फंगस है, इसे ब्लैक फंगस नहीं कहा जाता। कोरोना से पहले भी अन्य रोगों से पीडि़त मरीजों में दूसरे देशों की तुलना में भारत में इसके मामले अधिक देखे जाते थे। गर्म व नमी युक्त वातावरण इसके लिए अनुकूल होता है।
वातावरण में मौजूद है फंगस फंगस वातावरण में मौजूद होता है। म्यूकरमाइकोसिस हवा, मिट्टी, धूल वाली जगहों पर होता है। सामान्य लोगों में शरीर की प्रतिरोधक क्षमता संक्रमण नहीं होने देती। तीन से पांच सप्ताह के बीच संक्रमण म्यूकरमाइकोसिस का संक्रमण नाक के जरिये शरीर में होता है। इसलिए इसे म्यूकरमाइकोसिस कहा जाता है। इसका संक्रमण नाक से शुरू होकर आंख, चेहरे की हड्डियों व मस्तिष्क में जा सकता है। कुछ मामलों में यह फेफड़े व आंत में भी पाया जाता है। कोरोना के कुछ सक्रिय मरीजों के अलावा ठीक होने के तीन से पांच सप्ताह के भीतर इसका संक्रमण देखा जा रहा है।
इसलिए घातक है संक्रमण बताया जा रहा है कि म्यूकरमाइकोसिस प्रभावित हिस्से के टिश्यू को नष्ट कर देता है। यही वजह है कि संक्रमण अधिक होने से प्रभावित हिस्से को सर्जरी कर हटाना जरूरी हो जाता है। यदि यह रक्तवाहिकाओं में पहुंच जाए तो ब्लॉक कर देता है। इस वजह से इसका संक्रमण घातक होता है।
कोरोना के कारण सफेद रक्तकण में हो रहा बदलाव कोरोना के कारण खून में मौजूदा सफेद रक्तकण में बदलाव आता है। इस वजह से शरीर की प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होती है। कोरोना के कई मरीजों में आंतरिक सूजन को रोकने के लिए इम्यूनिटी सप्रेस करने वाली दवाएं दी जाती हैं। स्टेरायड का इस्तेमाल बढ़ा है। ऐसी स्थिति में प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होने की संभावना ज्यादा बढ़ जाती है।
गैर कोरोना मरीजों में अभी नहीं देखा फंगल संक्रमण गंगाराम अस्पताल के ईएनटी विभाग के चेयरमैन डा. अजय स्वरूप ने कहा कि अभी अस्पताल में म्यूकरमाइकोसिस के 78 मरीज भर्ती हैं। ये सभी कोरोना से पीडि़त रहे हैं। एम्स में भी भर्ती करीब 95 फीसद मरीज कोरोना से संक्रमित होने के साथ-साथ मधुमेह से पीडि़त रहे हैं। उन्होंने स्टेरायड का इस्तेमाल भी किया है। ऐसे मरीज बहुत कम देखे गए हैं जिन्हें मधुमेह नहीं है और स्टेरायड भी नहीं लिया है।
कैंडिडा को कहा जा रहा है व्हाइट फंगस कैंडिडा फंगस को कई जगहों पर व्हाइट फंगस कह रहे हैं। इसके संक्रमण से मुंह व खाने की नाली में सफेद धब्बे बन जाते हैं। जीभ भी सफेद हो सकता है।
म्यूकरमाइकोसिस के कारण1. कोरोना के कारण ब्लड के सफेद कण में बदलाव, इस वजह से शरीर का प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होना।2. मरीज को अनियंत्रित मधुमेह की बीमारी होना।
3. स्टेरायड के इस्तेमाल से शुगर बढ़ जाना और इसका उचित इलाज नहीं होना। स्टेरॉयड से प्रतिरोधक क्षमता भी होती है कम।4. कोरोना के संक्रमण के कारण खून में सीरम फेरिटिन की मात्रा भी बढ़ जाती है। यह फेरिटिन म्यूकरमाइकोसिस के लिए अच्छी खुराक है। इस वजह से भी म्यूकरमाइकोसिस या अन्य फंगस को बढ़ने के लिए मौका मिल जाता है।5. साफ सफाई की कमी व गंदगी।
किन मरीजों में संक्रमण का अधिक खतरा
- कोरोना से संक्रमित हुए मधुमेह व कैंसर, अंग प्रत्यारोपण के मरीज।- आक्सीजन व वेंटिलेटर सपोर्ट पर अधिक समय तक रहने वाले मरीज।- अनियंत्रित मधुमेह।शुरुआती लक्षणसिर दर्द, नाक बंद हो जाना, नाक से काला या भूरा पानी आना, ब्लड निकलना, चेहरा व गाल पर दर्द, सूजन, आंख से कम दिखाई देना व अचानक दांत कमजोर हो जाना व नाक की त्वचा पर काली परत बन जाना।
बचाव के लिए जरूरी
- पहले से शुगर नहीं होने पर भी स्टेरायड लेने के बाद ब्लड शुगर की जांच आवश्यक।- प्रतिरोधक क्षमता बेहतर बनाने के लिए पौष्टिक भोजन जरूरी।- नाक को साफ पानी से साफ करना व स्वच्छता जरूरी ये भी पढ़ें- Kisan Andolan: राकेश टिकैत अपनी बात पर अड़े, जानिए सरकार के साथ बातचीत को लेकर क्या कहा
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