राम मंदिर को कोई ताकत नहीं हटा सकती : जगद्गुरु रामानंदाचार्य
जासं, नई दिल्ली : जगदगुर रामानंदाचार्य का कहना है कि अयोध्या में राम मंदिर को कोई ताकत नहीं हटा सकती है। वहां रोज होती है पूजा आरती।
By JagranEdited By: Updated: Sat, 02 Jun 2018 11:21 PM (IST)
जागरण संवाददाता, नई दिल्ली :
सुप्रीम कोर्ट में राम मंदिर मामले की चल रही सुनवाई के बीच जगद्गुरु रामानंदाचार्य स्वामी हंसदेवाचार्य ने स्पष्ट किया कि अयोध्या में राम मंदिर था, है और रहेगा, उसे दुनिया की कोई ताकत नहीं हटा सकती है। उन्होंने कहा कि रामलला वहां विराजमान हैं। वहां नियमित पूजा, आरती हो रही है। पुजारी तैनात हैं। हजारों भक्त रोजाना दर्शन करने आ रहे हैं और यह सब हाई कोर्ट के संरक्षण में ही हो रहा है, इसलिए राम मंदिर होने और न होने का कोई सवाल ही नहीं है। वह कांस्टीट्यूशन क्लब में पत्रकार वार्ता को संबोधित कर रहे थे। इस वार्ता में स्वामी जीतेंद्रानंद, स्वामी देवेंद्रानंद, स्वामी अलग गिरी महाराज व महामंडलेश्वर स्वामी नवल किशोर भी मौजूद रहे। उन्होंने कहा कि संत समाज को दुख इस बात का है कि लोग ठाठ में हैं और रामलला टाट में हैं। बता दें कि मामले पर सुप्रीम कोर्ट में अगली सुनवाई 5 जुलाई को है। सुप्रीम कोर्ट से अंतिम फैसला आने में देरी का ठिकरा उन्होंने कपिल सिब्बल के सिर मढ़ते हुए कटाक्ष किया कि एक आतंकी के मामले में कुछ लोग देर रात में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई शुरू करवा देते हैं, जबकि करोड़ों लोगों के आस्था के सवाल को वह वर्षो से लटकाए रखना चाहते हैं। उन्होंने केंद्र सरकार से कानून बनाकर मंदिर बनाने की मांग की है। उन्होंने फतवे और पत्र के खिलाफ मोर्चा लेगा संत समाज
धर्म की आड़ में मोदी सरकार के खिलाफ फतवे और विरोध पत्रों से चिंतित संत समाज भी अब सीधे मोर्चा संभालने की तैयारी में है। समाज इसे लेकर जन जागरूकता अभियान चलाएगा। संत समाज इसलिए चिंतित है कि धार्मिक बंटवारे की साजिश रच विपक्षी दलों के नेता कथित तौर पर देश का माहौल खराब करने में जुटे हैं। इसका मुंहतोड़ जवाब देने की बनी सहमति के बीच रणनीति तैयार करने को लेकर शनिवार से दिलशाद गार्डन के श्री अखंड परमधाम मंदिर में अखिल भारतीय संत समिति की दो दिवसीय राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक आरंभ हुई है। इस आयोजन में देशभर से आचार्य, जगद्गुरु, महामंडलेश्वर व महंत समेत संत समाज के वरिष्ठ लोग जुटे हैं। स्वामी परमानंद ने गोहत्या पर चिंता जताते हुए केंद्र सरकार से कानून बनाने की मांग की है। गंगा पर केंद्र की उदासीनता से चिंतित
स्वामी जीतेंद्रानंद ने कहा कि राष्ट्रीय नदी गंगा संरक्षण प्रबंधन कानून 2017 को सरकार डेढ़ साल से दबाए हुए हैं। वहीं, अब तक गंगा को लेकर इस सरकार के प्रयास भी नाकाफी हैं। हालांकि, समाज के दबाव से मंत्री तो हटाए गए, लेकिन अब भी कोई खास बदलाव नहीं आया है।
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