Jamia violence: शरजील इमाम सहित अन्य को बरी करने के फैसले के खिलाफ HC पहुंची दिल्ली पुलिस, 13 को होगी सुनवाई
Jamia violence साकेत कोर्ट ने 4 फरवरी 2023 को अपना फैसला सुनाते हुए शरजील इमाम सहित 10 आरोपितों को बरी कर दिया था। अदालत के फैसले के बाद पुलिस ने इस मामले को लेकर दिल्ली हाई कोर्ट में चुनौती दी जहां अब इस मामले की सुनवाई 13 फरवरी को होगी।
By Jagran NewsEdited By: Nitin YadavUpdated: Fri, 10 Feb 2023 01:17 PM (IST)
नई दिल्ली, आइएएनएस। Jamia violence: बीते दिनों दिल्ली के साकेत कोर्ट ने जामिया हिंसा मामले में आरोपी शरजील इमाम, आसिफ इकबाल तान्हा सहित 11 आरोपियों को बरी कर दिया था। पुलिस ने निचली अदालत के इस फैसले के खिलाफ निर्णय को चुनौती देने वाली याचिका पर जल्द सुनवाई की मांग को दिल्ली हाई कोर्ट ने स्वीकार कर लिया है।
मुख्य न्यायाधीश सतीश चंद्र शर्मा की अध्यक्षता वाली पीठ ने सालिसिटर जनरल तुषार मेहता के अनुरोध पर यह निर्देश दिया। एसजी ने कहा कि कोर्ट रजिस्ट्री ने याचिका पर कुछ आपत्तियां उठाई हैं, लेकिन मामले में जल्द सुनवाई की जानी चाहिए। इस पर पीठ ने याचिका को 13 फरवरी को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध करने की अनुमति दे दी।
पुलिस ने आरोपियों का बनाया बली का बकरा: कोर्ट
4 फरवरी को साकेत कोर्ट कॉम्प्लेक्स के अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश अरुल वर्मा ने 11 आरोपियों को आरोपमुक्त करते हुए पुलिस की खिंचाई करते हुए कहा कि चार्जशीट और तीन पूरक चार्जशीट के अवलोकन से सामने आए तथ्यों से मालूम होता है कि पुलिस अपराध करने वाले वास्तविक अपराधियों को पकड़ने की बजाए इन लोगों को पकड़ने में कामयाब रहे। आरोपितो को 'बलि का बकरा' बताया था।जज ने कहा कि चार्जशीट किए गए व्यक्तियों को लंबे समय तक चलने वाले मुकदमे की कठोरता से गुजरने की अनुमति देना हमारे देश की आपराधिक न्याय प्रणाली के लिए अच्छा नहीं है। इस तरह की पुलिस कार्रवाई उन नागरिकों की "स्वतंत्रता के लिए हानिकारक" है जो शांतिपूर्वक इकट्ठा होने और विरोध करने के अपने मौलिक अधिकार का प्रयोग करना चुनते हैं। अदालत ने कहा था कि 11 अभियुक्तों के खिलाफ न्यायिक प्रणाली को मजबूत करने से पहले,जांच एजेंसियों को टेक्नोलिजी का इस्तेमाल करना चाहिए था या किसी विश्वास पात्र खुफिया जानकारी जुटानी चाहिए थाी।
अदालत ने इन आरोपितों को किया था बरी
साकेत कोर्ट ने 4 फरवरी, 2023 को फैसला सुनाते हुए शारजील इमाम, आसिफ इकबाल तन्हा, मोहम्मद कासिम, महमूद अनवर, शहजर रजा खान, मोहम्मद अबुजर, मोहम्मद शोएब, उमैर अहमद, बिलाल नदीम, चंदा यादव और सफूरा जरगर के खिलाफ अदालत के समक्ष दूसरा पूरक आरोप पत्र दायर किया गया था, जिन्हें इस मामले में बरी कर दिया गया है।दिसंबर 2019 में नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) का विरोध कर रहे लोगों और पुलिस के बीच झड़प के बाद हिंसा भड़क गई थी।यह भी पढ़ें: दिल्ली की सड़कों पर युवाओं को प्रेरित कर रहे हैं नीरज चोपड़ा और मैरी काम
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