दिल्ली के लाखो लोगों को खुशखबरी देने की तैयारी, केजरीवाल सरकार लगाएगी कई जगहों पर आरओ संयंत्र
दिल्ली सरकार राजधानी में आरओ संयंत्र स्थापित करने की योजना बना रही है। इस योजना को उन क्षेत्र में लागू किया जाएगा जहां भूजल का स्तर अधिक है लेकिन खारेपन और टीडीएस (टोटल डिसाल्व्ड सालिड) ज्यादा होने के कारण पानी उपयोग करने योग्य नहीं है।
नई दिल्ली [संतोष कुमार सिंह]। दिल्ली सरकार राजधानी में रिवर्स ऑस्मोसिस (आरओ) संयंत्र स्थापित करने की योजना बना रही है। इस योजना को उन क्षेत्र में लागू किया जाएगा, जहां भूजल का स्तर अधिक है, लेकिन खारेपन और टीडीएस (टोटल डिसाल्व्ड सालिड) ज्यादा होने के कारण पानी उपयोग करने योग्य नहीं है। दिल्ली के जल मंत्री और दिल्ली जल बोर्ड (डीजेबी) के अध्यक्ष सत्येंद्र जैन ने अधिकारियों के साथ बैठक कर इस परियोजना की तैयारियों पर चर्चा की।
उन्होंने कहा कि साधारण आरओ सिस्टम में काफी मात्रा में पानी की बर्बादी होती है। इसे ध्यान में रखकर दिल्ली सरकार अत्याधुनिक तकनीक आरओ संयंत्र लगाएगी जिससे 80 फीसद पानी का उपयोग हो सकेगा। पहले चरण में 363 मिलियन लीटर प्रति दिन (एमएलडी) की कुल क्षमता वाले आरओ संयंत्र चिन्हित स्थानों पर लगाए जाएंगे।
इससे खराब गुणवत्ता वाले भूजल को साफ करके घरों में आपूर्ति की जाएगी। नजफगढ़ क्षेत्र में पानी दो-तीन मीटर की गहराई पर ही उपलब्ध है, लेकिन खारेपन की वजह से इस पानी का उपयोग नहीं किया जा सकता। इस तरह के अन्य स्थानों पर भी आरओ संयंत्र लगाए जाएंगे। इस परियोजना के पहले चरण में ओखला, द्वारका, नीलोठी-नांगलोई, चिल्ला और नजफगढ़ में एक वर्ष के अंदर इस तरह के संयंत्र लगाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है।
उन्होंने कहा कि केंद्रीय भूजल बोर्ड की रिपोर्ट के अनुसार, दिल्ली के भूजल में 22 लाख मिलियन गैलन लीटर से अधिक खारा पानी है। इस पानी को पीने योग्य बनाने के लिए इसे आरओ से शोधित करने की जरूरत है। उन्होंने बताया कि निजी निवेशक आरओ संयंत्र की स्थापना में निवेश करेंगे और दिल्ली जल बोर्ड उनसे निर्धारित दर पर साफ किया पानी खरीदेगा। इस प्रक्रिया के दौरान निकले हुए कचरे को पर्यावरण के अनुसार निस्तारित किया जाएगा।
मंत्री ने अधिकारियों को उन क्षेत्रों में छोटे आरओ संयंत्र लगाने के भी निर्देश दिए, जहां टैंकरों के माध्यम से पानी की आपूर्ति की जाती है। प्रत्येक पांच सौ घरों पर एक छोटा आरओ संयंत्र लगेगा। दो हजार की आबादी वाली प्रत्येक झुग्गी में कम से कम एक आरओ संयंत्र लगाने का फैसला किया गया है।