न्यूनतम समर्थन मूल्य बढ़ने से किसान खुश पर मांगों पर अडिग
किसानों ने केंद्र सरकार द्वारा खरीफ फसलों की खरीद डेढ़ गुणे समर्थन मूल्य पर किए जाने के फैसले का स्वागत किया है। दिल्ली देहात लाल डोरा संघर्ष समिति द्वारा आयोजित बैठक में केंद्र सरकार द्वारा किसानों को मिले इस सौगात का समर्थन किया गया। हालांकि समिति ने इस बात पर जोर दिया कि जब तक दिल्ली देहात को कृषि का दर्जा नहीं मिलता तब तक इन घोषणाओं का कोई फायदा दिल्ली के किसानों को नहीं मिलेगा।
By JagranEdited By: Updated: Thu, 05 Jul 2018 09:43 PM (IST)
जागरण संवाददाता, बाहरी दिल्ली :
किसानों ने केंद्र सरकार की ओर से खरीफ फसलों की खरीद डेढ़ गुणा समर्थन मूल्य पर करने के फैसले का स्वागत किया है। लाल डोरा संघर्ष समिति की ओर से दिल्ली देहात में आयोजित बैठक में केंद्र सरकार की ओर से किसानों को मिली इस सौगात का समर्थन किया गया। हालांकि समिति ने इस बात पर जोर दिया कि जब तक दिल्ली देहात को कृषि का दर्जा नहीं मिलता तब तक इन घोषणाओं का कोई फायदा यहां के किसानों को नहीं मिलेगा। समिति अब तक यहां के 54 गांवों में बैठक कर चुकी है। सभी गांवों में लोगों ने पूरा सहयोग दिया है। समिति के अध्यक्ष चौधरी कंवर लाल डागर ने बताया कि दिल्ली देहात के शहरीकृत होने वाले 95 गांवों की ग्रामसभा की जमीन व हमारे खेत-खलिहानों में जाने वाले रास्तों व धानों और चारागाहों की जमीन को गांव के साथ लगाकर 36 बिरादरी के लोगों में बराबर-बराबर बांटा जाना चाहिए। इसके उलट सरकारें बाहर से आए हुए लोगों को यहां की ग्रामसभा की जमीनों पर फ्लैट बनाकर निशुल्क बसाया जाता ह,ै जबकि देहात के किसी भी गरीब के लिए ऐसा नहीं किया गया। समिति के महासचिव जगपाल जौंती ने बताया कि यहां के किसानों का कृषि दर्जा खत्म करके और बिजली के बिलों में छह गुणा बढ़ोतरी करके सरकारें किसानों को खत्म करने पर तुली है। इसके कारण यहां के निवासी पलायन के लिए मजबूर हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि गांवों के सभी जमीनों का सर्कल रेट एक समान होना चाहिए और ग्रीन बेल्ट के सभी गांवों में 1/2 एकड़ का फार्म हाउस मंजूर होना चाहिए। धारा 744 व 20 सूत्रीय योजना के तहत दी गई जमीनों व रिहायशी प्लाटों का मालिकाना हक मिलना चाहिए। 30-40 साल पुराने मकानों को गिराने का नोटिस देकर यह सरकार लोगों की ¨जदगी के साथ खिलवाड़ कर रही है। ग्रामसभा की जमीनों पर जबरन कब्जा किया जा रहा है, जबकि ग्रामसभा की जमीन के मालिक उस गांव के मूल निवासी हैं, न कि सरकारें। इस दौरान किसानों ने आह्वान किया है कि किसान अपनी मांगों को लेकर 22 जुलाई को सुबह 10 बजे से घेवरा मेट्रो स्टेशन के नजदीक प्रदर्शन करेंगे।
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