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Kisan Andolan: राकेश टिकैत ने फिर भरी हुंकार, बोले हर हाल में जारी रहेगा आंदोलन, पढ़िए और क्या-क्या कहा?

Kisan Andolan-भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने फिर दोहराया कि किसानों का धरना प्रदर्शन फिलहाल खत्म नहीं होगा। जब तक सरकार कृषि कानूनों को पूरी तरह से खत्म करने की घोषणा नहीं कर देती है तब तक आंदोलन खत्म नहीं होगा।

By Vinay Kumar TiwariEdited By: Updated: Wed, 13 Oct 2021 04:21 PM (IST)
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राकेश टिकैत ने कहा कि संघर्ष से समाधान तक जारी रहेगा आन्दोलन।
नई दिल्ली, आनलाइन डेस्क। Kisan Andolan-भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने फिर दोहराया कि किसानों का धरना प्रदर्शन फिलहाल खत्म नहीं होगा, उसे हर हाल में जारी रखा जाएगा। जब तक सरकार कृषि कानूनों को पूरी तरह से खत्म करने की घोषणा नहीं कर देती है तब तक आंदोलन खत्म नहीं होगा। अपने इंटरनेट मीडिया एकाउंट ट्विटर पर उन्होंने एक ट्वीट करते हुए लिखा कि संघर्ष से समाधान तक जारी रहेगा आंदोलन। उनके इस आंदोलन के कई मायने निकाले जा रहे हैं। फिलहाल लखीमपुर खीरी में किसानों के साथ हुई घटना को लेकर किसान नेता वहीं जमा है। राकेश टिकैत ने यहां मंत्री अजय मिश्रा टेनी को बर्खास्त किए जाने की मांग कर रखी है। वो उस पर भी अड़े हुए है।

पंजाब, हरियाणा और यूपी के किसान बीते 10 माह से दिल्ली की सीमाओं पर धरना देकर प्रदर्शन कर रहे हैं। इस 10 माह से धरना स्थल के आसपास के गांव और अन्य दुकानदारों का बहुत नुकसान हो चुका है। नगर निगम को सीमाओं पर जिन टोल बूथों से पैसे मिलने थे वो भी बंद पड़े हैं। इन टोल बूथों से अब तक सरकार को करोड़ों रुपये का नुकसान भी हो चुका है। और तो और धरना स्थलों के आसपास रहने वाले भी प्रदर्शनकारी किसानों से धरना खत्म करने के लिए मीटिंग कर चुके हैं, कुछ जगहों पर दोनों पक्षों में झड़प भी हो चुकी है मगर कोई नतीजा नहीं निकला।

इस बीच ये मामला सुप्रीम कोर्ट भी पहुंचा, कोर्ट ने भी कह दिया कि कृषि कानूनों पर रोक है फिर किसान किस मांग को लेकर धरना दे रहे हैं। इससे पहले नोएडा की रहने वाली मोनिका अग्रवाल भी कोर्ट में केस फाइल करके यहां बैठे किसानों की वजह से हो रहे नुकसान और जाम के मुद्दे को उठा चुकी हैं। उन्होंने कोर्ट में ये कहते हुए केस फाइल किया था कि उनको नोएडा से दिल्ली जाने में जहां पहले 30 मिनट लग रहे थे वहीं अब एनएच-9 पर बैठे किसानों की वजह से उनको वो ही दूरी तय करने में दो घंटे लग जाते हैं। किसान अपनी मांगों को लेकर किसी और जगह धरना दें, ऐसे सड़क को जाम करना किसी भी तरह से सही नहीं है। 26 जनवरी को किसानों ने दिल्ली की सड़कों और लाल किले पर क्या किया था ये किसी से छिपा नहीं है। पूरी दुनिया में किसानों के उस कृत्य की आलोचना हुई थी।

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