जानिये- 'अम्मा' के बारे में, जिनकी वजह से दिल्ली-एनसीआर के लोगों को मिली सेहत से जुड़ी बड़ी सौगात
Guru Mata Amritanandamay हगिंग संतֹ’ के नाम से भी देश-दुनिया में चर्चित आध्यात्मिक गुरु मां अमृतानंमयी का बचपन से ही सेवा भाव की इच्छा थी। अपने सेवा भाव के लक्ष्य के कारण उन्होंने विवाह भी नहीं किया।
By Jp YadavEdited By: Updated: Wed, 24 Aug 2022 02:22 PM (IST)
नई दिल्ली/फरीदाबाद, जागरण डिजिटल डेस्क। Guru Mata Amritanandamay : सेहत/स्वास्थ्य के लिहाज से दिल्ली-एनसीआर के लोगों को बुधवार को बड़ा उपहार मिला है। दिल्ली से सटे फरीदाबाद के सेक्टर-88 में निर्मित 2600 बेड के अस्पताल का प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को उद्घाटन किया। इस अस्पताल में कई आधुनिक सुविधाएं मिलेंगी। इसका सर्वाधिक फायदा दिल्ली-एनसीआर के लोगों को होगा।
गौरतलब है कि दिल्ली-एनसीआर के लोगों की सुविधा के मद्देनजर अस्पताल का निर्माण माता अमृतानंदमयी मिशन ट्रस्ट की ओर से किया गया है। फिलहाल पहले चरण में 550 बेड की सुविधाओं के साथ शुरू होगा और इसमें सभी प्रमुख चिकित्सकीय सुविधाएं होंगी, जिसमें आर्कियोलाजी, कार्डियक साइंस, न्यूरो साइंस, गेस्ट्रो साइंस, रिनल, ट्रामा ट्रांसप्लांट, मदर एंड चाइल्ड केयर सहित 81 तरह की विशेष चिकित्सीय सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएंगी।
आइये जानते हैं कि कौन हैं आध्यात्मिक गुरु मां अमृतानंमयी, जिनकी वजह से दिल्ली-एनसीआर के लोगों को अमृता अस्पताल के रूप में चिकित्सीय क्षेत्र की बड़ी सौगात मिलने जा रही है।
नामी आध्यात्मिक गुरु हैं माता अमृतानंदमयी संयुक्त राष्ट्र महासभा (United Nations General Assembly) को भी संबोधित करने वाली माता अमृतानंदमयी एक प्रसिद्ध भारतीय आध्यात्मिक गुरु हैं। इनके अनुयायी इन्हें अम्मा या अमाची (मां) के नाम में संबोधित करते हैं, इसलिए इनके चाहने वाले 'अम्मा' के नाम से जानते हैं।
गले लगाकर फैलाती हैं इंसानियतवर्ग, जाति, धर्म से ऊपर उठकर सबके लिए हमेशा उपलब्ध रहने वाली अम्मा यानी अमृतानंदमयी की गले लगाने की आदत के कारण उन्हें ‘हगिंग संतֹ’ के नाम से भी जाना जाता है। बता दें कि ‘हगिंग संत’ के जीवन पर फिल्म ‘दर्शन-द एम्ब्रेस’ बनाई गई है। फिल्म को 2005 में कान फिल्म फेस्टिवल में स्क्रीनिंग के लिए आधिकारिक तौर पर चुना गया था।
आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।- Dr Mansukh Mandaviya (@mansukhmandviya) 24 Aug 2022बचपन में होने लगे थे दिव्य अनुभव माता अमृतानंदमयी के अनुयायियों और करीबी जानकारों की मानें तो जब वह एक बच्ची थीं तभी से इनमें दिव्य अनुभव थे। परिवार के लोगों का भी कहना है कि वह बचपन में कुछ अलग ही लगती थीं। उनका व्यवहार भी सामान्य नहीं था। बाद में माता अमृतानंदमयी ने माता अमृतानंदमयी मिशन ट्रस्ट बनाया। यह एक विश्वव्यापी संगठन और यह पूरे विश्व में धर्मार्थ कार्य करता है। केरल से शुरू हुआ सफर, फैल गया देश-दुनिया मेंवर्ष 1953 में दक्षिण के अहम राज्यों में शुमार केरल में जन्मा अमृतानंदमयी का परिवार बेहद गरीब था। आर्थिक अभाव के चलते उन्हें बचपन में स्कूल की पढ़ाई तक छोड़नी पड़ी थी। माता अमृतानंदमयी का परिवार मछली का व्यापार करता था। बावजदू इसके संपन्नता के उलट माता अमृतानंदमयी ने हमेशा घर में अभाव ही देखा। ़लोगों की सेवा के लिए नहीं की शादी सेवा भाव के चलते अमृतानंदमयी ने अपना पूरा जीवन गरीबों, असहायों और लाचारों के नाम कर दिया। यह भी सच बात है कि उनके माता-पिता ने उनकी शादी करने की कोशिश की, लेकिन उन्होंने सेवा की बात कहकर मना कर दिया। दरअसल, वर्ष 1981 में कई आध्यात्मिक साधक परायकाडावू में अमृतानंदमयी के माता-पिता की संपत्ति पर आकर गुजारा करने लगे। इसके बाद इसी जगह पर अमृतानंदमयी ने माता अमृतानंदमयी मठ (एमएएम) की स्थापना की। 6 साल बाद वर्ष 1987 में लोगों के अनुरोध पर माता अमृतानंदमयी ने दुनिया के कई देशों में सभाओं का आयोजन किया। बचपन से ही शुरू कर दिया सेवा भावअभाव वाले परिवार में पली बढ़ी माता अमृतानंदमयी के मन में बचपन से ही सेवा भाव था। माता अमृतानंदमयी के कुल छह भाई बहन हैं और वह तीसरे स्थान पर हैं। ऐसा कहा जाता है कि उन्होंने अपने गांव में आर्थिक रूप से गरीब लोगों को गाय और बकरियों का बचा हुआ भोजन खाते हुए देखा था। इसका उनके मन पर गहरा असर हुआ। शायद इसी वजह से उन्होंने आजीवन लोगों की मदद करने का मन बना लिया।