Move to Jagran APP

लैंड पूलिंग पॉलिसी पर बोले लोग, क्या आशियाने का सपना हो पाएगा पूरा

राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली : दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) की लैंड पूलिंग पॉलिसी पर मंगलवार को भ

By JagranEdited By: Updated: Tue, 03 Jul 2018 09:59 PM (IST)
Hero Image
लैंड पूलिंग पॉलिसी पर बोले लोग, क्या आशियाने का सपना हो पाएगा पूरा

राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली : दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) की लैंड पूलिंग पॉलिसी पर मंगलवार को भी विकास सदन में जन सुनवाई जारी रही। दूसरे दिन भी लोगों ने इस पॉलिसी के नियम एवं शर्तो पर सवाल उठाते हुए उनमें बदलाव की मांग की। कुछ लोगों ने यह सवाल भी पूछा कि क्या उनका एक अदद आशियाने का सपना पूरा हो भी पाएगा या नहीं।

जन सुनवाई में पहुंचे किसानों ने एक ही मांग रखी कि डीडीए उनकी जमीन का अधिग्रहण करे। इसके अलावा उनसे किसी तरह का विकास शुल्क भी नहीं लिया जाए। जबकि अन्य लोगों का कहना था कि फ्लोर एरिया रेश्यो (एफएआर) को 200 से बढ़ाकर 400 ही किया जाए। जन सुनवाई में पहुंचे लोगों ने यह पॉलिसी जल्द लागू करने की मांग भी रखी। मालूम हो कि जन सुनवाई के दूसरे दिन करीब 50 लोगों ने अपनी आपत्तियां एवं सुझाव रखे।

पत्रकारों से बातचीत में जन सुनवाई बोर्ड के सदस्य विजेंद्र गुप्ता ने बताया कि लैंड पूलिंग पर 699 तथा विनियमिकरण पर 77 सुझाव प्राप्त हुए हैं। सभी सुझावों की जाच की जा रही है। ध्यानपूर्वक आकलन के उपरान्त इसे डीडीए के समक्ष विचारार्थ तथा स्वीकृति हेतु प्रस्तुत कर दिया जाएगा। प्राधिकरण द्वारा अधिसूचना जारी किए जाने के बाद यह कानून का रूप ले लेगा।

गुप्ता के मुताबिक सबसे अधिक 571 पत्र एफएआर को लेकर प्राप्त हुए हैं। इसके उपरान्त भूमि अधिग्रहण पर 534 पत्र प्राप्त हुए हैं। बाह्यं विकास प्रभार (ईडीसी) पर 514 पत्र मिले हैं। एक सेक्टर में भूमि की निकटता अथवा समीपस्थता को लेकर 483 पत्र प्राप्त हुए हैं। इनके अतिरिक्त स्टेक होल्डर्स तथा आम जनता के गावों की सीमा, ग्राम सभा भूमि से घिरे हुए भूखण्ड तथा पॉलिसी को क्रियान्वित करने के लिए संवैधानिक शासनाधिकार पर भी रचनात्मक सुझाव प्राप्त हुए।

जन सुनवाई में डीडीए के वित्तीय सदस्य, मुख्य नगर नियोजक, विधायक ओम प्रकाश शर्मा, लैंड पॉलिसी के प्रधान आयुक्त, योजना आयुक्त, नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ अर्बन अफेयर्स के प्रतिनिधियों ने भी भाग लिया।

आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।