...जब मदरसे के प्रबंधक ने राष्ट्रगान गाने से किया इन्कार - क्या हुआ आगे पढ़े खबर में
मुरादनगर के नूरगंज स्थित एक मदरसे में स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में राष्ट्रगान का कड़ा विरोध जताया गया। मदरसे के प्रबंधक ने राष्ट्रगान को उसूलों के पूरी तरह खिलाफ बताते हुए बच्चों से दूसरा गीत गाने को कहा। प्रबंधक का यह कारनामा शहर में चर्चा का विषय
गाजियाबाद। मुरादनगर के नूरगंज स्थित एक मदरसे में स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में राष्ट्रगान का कड़ा विरोध जताया गया। मदरसे के प्रबंधक ने राष्ट्रगान को उसूलों के पूरी तरह खिलाफ बताते हुए बच्चों से दूसरा गीत गाने को कहा। प्रबंधक का यह कारनामा शहर में चर्चा का विषय बना हुआ है।
नूरगंज स्थित मदरसा दारूल उलूम शादीया में 15 अगस्त को कार्यक्रम चल रहा था। ध्वजारोहण के बाद कुछ लोगों ने राष्ट्रगान शुरू किया, तो मदरसे के प्रबंधक कारी खलील अहमद ने राष्ट्रगान गाने पर कड़ा विरोध जताया। इसका कारण पूछने पर प्रबंधक ने राष्ट्रगान को अपने उसूलों के पूरी तरह खिलाफ बता दिया।
बताया गया है कि कार्यक्रम में शामिल कुछ एक लोगों ने दबी जुबान में प्रबंधक के इस निर्णय का विरोध भी किया। इसके बावजूद प्रबंधक ने किसी की एक न सुनी और उसने छात्र व कार्यक्रम में शामिल लोगों से दूसरा गीत गाने को कह दिया।
यह सुनकर सब लोग चकित रह गए। सभी ने दूसरा गीत गाकर कार्यक्रम को आगे बढ़ाया। कार्यक्रम समाप्त होने के बाद सभी लोग अपने अपने घरों को लौट गए, लेकिन मदरसे के प्रबंधक की यह बात शहर में चर्चा का विषय बन गई।
इस बारे में कारी खलील अहमद का कहना है कि उनका इरादा राष्ट्रगान का अपमान करने का नहीं था। उन्होंने बच्चों से ‘सारे जहां से अच्छा हिंदूोस्तां हमारा’ गीत गाने को कहा था, यह भी देशभक्ति गीत है, इसमें तूल देने की कोई बात नही है। उल्लेखनीय है कि इस मदरसे में गत वर्ष राष्ट्रगान हुआ था, तो उसका भी एतराज किया गया था।