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नंबर से नहीं, लक्ष्य का पीछा करने से मिलती है सफलता

किताबी नंबर से ज्यादा महत्वपूर्ण है कि आप लाइफ में खुद के सामने खुद को कैसे पेश करते हैं। सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण है कि आप विभिन्न परिस्थितियों में खुद का संतुलन कैसे बिठाते हैं। जरूरी नहीं कि 10वीं या 12वीं का टॉपर हर परीक्षा में टॉप ही करेगा और यह भी जरूरी नहीं कि जिन्हें 10वीं या 12वीं में कम नंबर आए हैं वह प्रतियोगी परीक्षा में टॉप नहीं करते। ऐसा भी नहीं है कि 10वीं या 12वीं में टॉप करने वाले आगे बेहतर नहीं करते। 10वीं 12वीं या ग्रेजुएशन तक में कम नंबर लाने बच्चे जीवन में काफी आगे बढ़ते हैं। यह इस पर निर्भर करता है कि आप किस तरह लक्ष्य का पीछा करते हैं। जीवन में आपने जो लक्ष्य निर्धारित किया है उसके लिए लगातार कितना चलते हैं। मेरे सामने ऐसे कई उदाहरण हैं जिन्हें औसत नंबर आता था लेकिन है आगे चलकर उन्होंने बहुत बेहतर किया।

By JagranEdited By: Updated: Sun, 27 May 2018 10:18 PM (IST)
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नंबर से नहीं, लक्ष्य का पीछा करने से मिलती है सफलता

परीक्षा में नंबर से ज्यादा महत्वपूर्ण है कि आप जीवन में खुद को कैसे पेश करते हैं। आप विभिन्न परिस्थितियों में खुद का संतुलन कैसे बिठाते हैं। जरूरी नहीं कि 10वीं या 12वीं का टॉपर हर परीक्षा में टॉप ही करेगा और जिन्हें 10वीं या 12वीं में कम नंबर आए, वे प्रतियोगी परीक्षा में टॉप नहीं करेंगे। 10वीं, 12वीं या ग्रेजुएशन तक में कम नंबर लाने वाले बच्चे जीवन में काफी आगे बढ़ते हैं।

यह इस पर निर्भर करता है कि आप किस तरह लक्ष्य का पीछा करते हैं। जीवन में आपने जो लक्ष्य निर्धारित किया है, उसके लिए लगातार कितना चलते हैं। अभिभावक किस तरह हौसला बढ़ाते हैं। बच्चों को दबाव में आने से रोकते हैं। मेरे सामने कई ऐसे उदाहरण हैं कि जिन्हें औसत नंबर आता था, उन्होंने भी आगे चलकर बहुत बेहतर किया। 

वहीं, ऐसे भी उदाहरण हैं कि एमबीबीएस या इंजीनिय¨रग की प्रवेश परीक्षा में टॉप करने वाले बच्चे इंजीनिय¨रग या एमबीबीएस की फाइनल परीक्षा में टॉप नहीं कर पाए। कई बार ऐसा भी होता है कि जो एमबीबीएस में गोल्ड मेडलिस्ट हैं, वह पीजी में टॉप नहीं करते। मेरे कुछ जानने वाले हैं, जिन्होंने यूपीएससी की परीक्षा में बेहतर करके आइएएस व आइपीएस बने, लेकिन उनका एकेडमिक बहुत बेहतर नहीं था। वह ग्रेजुएशन तक औसत दर्जे के छात्र रहे, लेकिन बाद में मेहनत से अपने लक्ष्य का पीछा करते रहे और ऊंचाई पर पहुंच गए। कम नंबर आने से कभी हताश नहीं होना चाहिए । सबसे जरूरी है कि हमारे सामने जो परिस्थिति आई है, उस परिस्थिति में हम खुद को कैसे संभाल सकते हैं। जीवन को कैसे जी सकते हैं। यही असली परीक्षा होती है और इसमें सफल होना जरूरी है। (सुधीर कुमार से बातचीत पर आधारित)

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