Move to Jagran APP

ब्रांकल थर्मोप्लास्टी से अस्थमा से छुटकारा दिलाएगा एम्स

फोटो-30डीईएल-605 राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली : अस्थमा की बीमारी से जूझ रहे रोगियों के लिए

By JagranEdited By: Updated: Tue, 30 Oct 2018 09:27 PM (IST)
Hero Image
ब्रांकल थर्मोप्लास्टी से अस्थमा से छुटकारा दिलाएगा एम्स

राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली : अस्थमा की बीमारी से जूझ रहे रोगियों के लिए राहत की खबर है। एम्स अब ऐसे मरीजों को ब्रांकल थर्मोप्लास्टी करके रोग से छुटकारा दिलाएगा। यह सुविधा देने वाला एम्स देश का पहला सरकारी अस्पताल बन गया है। मंगलवार को संस्थान ने पहली बार 62 वर्षीय बुजुर्ग महिला मरीज का इस विधि से उपचार किया है।

एम्स के निदेशक रणदीप गुलेरिया ने बताया कि प्रदूषण के कारण अस्थमा के मरीजों की संख्या बढ़ गई है। कुछ मरीज ऐसे भी पहुंच रहे हैं, जिन्हें इनहेलर व सामान्य दवाओं से राहत नहीं मिलती है। इन्हें नियमित रूप से स्टेरॉयड लेने की जरूरत पड़ती है। ऐसे मरीजों पर ब्रांकल थर्मोप्लास्टी बेहद कारगर साबित हुई है। पश्चिमी देशों में अमेरिका में इसका सबसे पहले ट्रायल हुआ था।

उन्होंने बताया कि अस्थमा के मरीजों को एलर्जी के कारण सांस की नली में सूजन व सिकुड़न हो जाती है। इससे श्वसन तंत्र की मांसपेशियां मोटी हो जाती हैं। इससे मरीज का दम फूलने लगता है। नई तकनीक में थर्मल हीट देकर असामान्य मांसपेशियों को जलाकर नष्ट कर दिया जाता है। 65 लाख में खरीदी गई है मशीन

ब्रांकल थर्मोप्लास्टी की मशीन करीब 65 लाख रुपये से खरीदी गई है। इससे अब रोगी निशुल्क इस तकनीकी का फायदा उठा सकेंगे। देश में अब तक ऐसी सिर्फ आठ मशीनें लगी हैं, जो कि निजी संस्थानों में लगी हैं। निजी अस्पतालों में इस तकनीक से इलाज का खर्च करीब पांच लाख रुपये आता है। पांच साल तक ठीक रहता मरीज

एम्स के सहायक प्रवक्ता व पल्मोनरी विभाग के सहायक प्रोफेसर डॉ. करण मदान ने बताया कि इस तकनीक से उपचार के बाद मरीज पांच साल तक ठीक रहता है। इसमें एक डिस्पोजल कैथेटर का इस्तेमाल होता है। इसकी कीमत एक लाख रुपये हैं। पल्मोनरी के विभागाध्यक्ष डॉ. अनंत मोहन ने बताया कि इस तकनीक से सिर्फ उन्हीं मरीजों का इलाज होगा, जिन्हें दवाओं से आराम नहीं मिलती।

तीन सेशन में इलाज

इस तकनीकी में कैथेटर को सांस नली से प्रभावित हिस्से में ले जाकर गर्म किया जाता है। यहां हर 10 सेकेंड के लिए थर्मल ऊष्मा दी जाती है। यह प्रक्रिया 45-45 मिनट के तीन सेशन में पूरी होती है। पहले फेफड़े के दायें हिस्से, फिर बायें और निचले हिस्से की। तीसरे सेशन में फेफड़े के दोनों तरफ ऊपरी हिस्सों की थर्मोप्लास्टी की जाती है। ढाई महीने में इलाज की प्रक्रिया होती है।

आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।