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Hindi Diwas 2022: हिंदी साहित्य की 10 मशहूर कहानियां, नहीं पढ़ी तो किया अपना बड़ा नुकसान

Hindi Diwas 2022 मुंशी प्रेमचंद सूर्यकांत त्रिपाठी निराला महादेवी वर्मा सुदर्शन समेत ऐसे कई साहित्यकारों की रचित कहानियां आज भी देश के प्रारंभिक स्कूलों से लेकर विश्वविद्यालय स्तर तक के छात्रों के पाठ्यक्रम में शामिल है। चलिए आज इनमें से कुछ ऐसी ही 10 कहानियों के बारे में जानते हैं-

By Aditi ChoudharyEdited By: Updated: Wed, 14 Sep 2022 04:32 PM (IST)
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Hindi Diwas 2022: हिंदी साहित्य की 10 मशहूर कहानियां, नहीं पढ़ी तो किया अपना बड़ा नुकसान
नई दिल्ली, जागरण डिजिटल डेस्क। भारत में हिंदी साहित्य का इतिहास बेहद गौरवशाली रहा है। करीब एक सदी से अधिक पुराने इतिहास में कई साहित्यकारों का जन्म हुआ और उनकी रचना आज के दौर में भी प्रासंगिक साबित होती है। मुंशी प्रेमचंद, सूर्यकांत त्रिपाठी निराला, महादेवी वर्मा, सुदर्शन समेत ऐसे कई साहित्यकारों की रचित कहानियां आज भी देश के प्रारंभिक स्कूलों से लेकर विश्वविद्यालय स्तर तक के छात्रों के पाठ्यक्रम में शामिल है। चलिए आज इनमें से कुछ ऐसी ही 10 कहानियों के बारे में जानते हैं-

  • कफन- मुंशी प्रेमचंद

हिंदी साहित्य में प्रेमचंद की पहचान आधुनिक साहित्यकार के तौर पर की जाती है। ग्रामीण परिवेश पर आधारित उनकी कहानियां सामाजिक व्यथाओं को बखूबी पेश करते थे। शब्दों के जरिए मानवीय चेतना पेश करने की उनकी काबिलियत की आज भी मिसाल दी जाती है।

प्रसिद्ध कहानी कफन में मुंशी प्रेमचंद ने अमीरी और गरीबी के बीच सामाजिक और राजनीतिक खाई को दर्शाया है। यह प्रेमचंद की आखिरी कहानी थी।

  • ईदगाह- मुंशी प्रेमचंद

हिंदी साहित्य की मशहूर कहानियों में मुंशी प्रेमचंद की कई कहानियों का जिक्र होता है। एक ऐसी ही कहानी है ईदगाह। हामिद और इसकी दादी के इर्द गिर्द लिखी यह कहानी बाल मनोविज्ञान को गहनता से दर्शाती है। इस कहानी को पढ़कर आप समझ सकते हैं कि परिस्थितियां उम्र नहीं देखती और कैसे एक छोटा बच्चा भी विषम परिस्थितियों के कारण समय से पहले ही परिपक्व हो जाता है।

  • बड़े भाई साहब- मुंशी प्रेमचंद

मुंशी प्रेमचंद की कहानी बड़े भाई साहब से जीवन और  रश्ते के बारे में बताती है। यह कहानी छोटे और बड़े भाइयों के बीच की गतिशीलता दर्शाती है। इस कहानी में बाल मनोविज्ञान का विश्लेषण किया गया है। 

  • तीसरी कसम उर्फ मारे गए गुल्फाम- फणीश्वर नाथ रेणु

शहरी और देहाती भावनाओं पर आधारित फणीश्वर नाथ रेणु की कहानी  निश्छल प्रेम कथा है। पूरी कहानी में प्रेम कहीं भी मर्यादा का अतिक्रमण करती नहीं दिखती है। कहानी में आज के जमाने वाले प्रेम की तरह बड़े-बड़े दावे किये गए हैं, न ही लंबी-चौड़ी कसमें खाई गईं हैं।

  • पंच परमेश्वर- मुंशी प्रेमचंद

पंच परमेश्वर कहानी प्रेमचंद्र के द्वारा 1916 में लिखी कहानी है जो जुमन सेख और अलगू चौधरी में गहरी मित्रता पर आधारित थी। मौजूदा वक्त में जब लोग सभी फैसले अपना फायदा और नुकसान देखकर लेते हैं, पंच परमेश्वर के जरिए संदेश मिलता है कि जब लोग किसी समूह का नेतृत्व करते हैं तो उन्हें व्यक्तिगत लाभ व हानि से परे होकर निर्णय लेना चाहिए। फैसला बिना भेदभाव वाला और न्यायप्रिय होना चाहिए। 

  • हार की जीत- सुदर्शन

हार की जीत कहानी सुदर्शन जी की प्रसिद्ध कहानी है। कहानी बताती है कि जीवन में किसी भी चीज को पाने के लिए सामने वाले का विश्वास नहीं तोड़ना चाहिए| जीवन में किसी को भी धोखा नहीं देना चाहिए। 'हार की जीत' कहानी का उद्देश्य यह बतलाना है कि यदि स्वार्थ की चिन्ता नं करके परहित या मानव-कल्याण के भाव से आचरण किया जाए, तो दुष्ट व्यक्ति में भी मानवता की भावना उत्पन्न हो सकती है।

  • चीफ की दालत- भीष्म साहनी

भीष्म साहनी द्वारा लिखी चीफ की दावत कहानी मौजूदा पीढ़ी में हो रहे नैतिक क्षरण और मूल्यों में हो रहे निरंतर गिरावट को उजागर करता है। इस कहानी में उन्होने मध्यमवर्गीय समाज के खोखलेपन और दिखावटीपन को दर्शाया है। यह कहानी आज भी उतनी ही प्रासंगिक है। जितनी उस समय थी।

  • पाजेब- जैनेन्द्र कुमार

जैनेन्द्र कुमार की कहानी पाजेब बाल मनोविज्ञान पर आधारित है। उन्होंने इसे आत्मकथा शैली में लिखा है। इस कहानी में लेखक ने अतर्मन के उद्घाटन पर जोर दिया है। पाजेब की कथावस्तु भाषित है तथा उसके पात्रों का चरित्र-चित्रण कथाबस्तु के अनुकूल है।

  • शरण दाता- अज्ञेय

अज्ञेय की शरण दाता कहानी आजादी के साथ देश के विभाजन की त्रासदी से जुड़ी कहानी है। इसमें लेखक ने साम्प्रदायिक सद्भाव और आपसी भाईचारा बनाये रखने की प्रेरणा दी है। कहानी के दो खंड में मानव के दो अलग अलग रुपों को बताया गया है। पहले खंड में व्यक्ति की विवशता को दर्शाया गया है। वहीं दूसरे हिस्से में व्यक्ति की बर्बरता का चित्रण किया गया है।

  • काबूलीवाला- रवींद्र नाथ टैगोर

रवींद्रनाथ टैगोर की इस कहानी में उन्होंने एक छोटी बच्ची और एक फेरीवाले के बीच पनपने वाली दोस्ती का वर्णन किया है। शुरु में छोटी बच्ची काबुलीवाले से डरती है क्योंकि उसे लगता है कि काबुलीवाला अपनी बोरी में बच्चों को बंद करके रखता है। बाद में दोनों के बीच अच्छी दोस्ती हो जाती है।

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